वैश्विक वित्तीय संरचना पुरानी, सुधार की जरूरत : गुटेरस

संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव एंटोनियो गुटेरस ने कहा कि वैश्विक वित्तीय संरचना पुरानी, काम करने में अक्षम और अनुचित है। उन्होंने कहा कि इसमें गहन संरचनात्मक सुधार करने की जरूरत है। संवाददाताओं से बात करते हुए गुटेरस ने कहा कि यही बाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के बारे में भी कही जा सकती है। महासचिव ने कहा, ‘हमें यूएन चार्टर और अंतरराष्ट्रीय कानून के मुताबिक 21वीं सदी की हकीकतों को ध्यान में रखते हुए एक प्रभावी अंतरराष्ट्रीय संस्था बनाने की जरूरत है।’
उन्होंने कहा, ‘यही वजह है कि मैं सख्त कदमों की वकालत कर रहा हूं, जिससे कि उन वैश्विक संस्थानों को हकीकत में सार्वभौमिक बनाया जा सके और वे आज की वास्तविकताओं का प्रतिनिधित्व करें और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं की जरूरतों को लेकर और अधिक प्रतिक्रिया दे सकें।’संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत को शामिल किए जाने के सवाल पर गुंटेरेस ने संकेत दिए कि भारत प्रमुख उम्मीदवार है। उन्होंने कहा, ‘यह फैसला करना मेरे हाथ में नहीं है कि कौन सा देश संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का सदस्य होगा। यह स्वाभाविक है कि भारत आज ऐसा देश है, जिसकी आबादी पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा है, साथ ही विश्व की बहुपक्षीय व्यवस्था का एक महत्त्वपूर्ण साझेदार है।
गुंटेरेस ने चेतावनी दी कि आधे अधूरे कदमों से पर्यावरण को होने वाले पूरे नुकसान से नहीं बचा जा सकता। उन्होंने कहा कि जी20 देशों को वैश्विक तापमान में वृद्धि 1.5 डिग्री बढ़ोतरी के लक्ष्य पर कायम रहने की जरूरत है। नेतृत्व का मतलब विश्वास पर आधारित जलवायु न्याय है और हरित अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देकर इसे बेहतर बनाया जा सकता है। कुल मिलाकर जी20 देशों की वैश्विक उत्सर्जन में 80 प्रतिशत हिस्सेदारी है। संयुक्त राष्ट्र संघ ने जी20 के समक्ष जलवायु एकजुटता संधि रखी है। इसके तहत बड़े उत्सर्जकों को उत्सर्जन में कटौती के लिए अतिरिक्त प्रयास करने हैं और संपन्न देशों को लक्ष्य हासिल करने के लिए उभरती अर्थव्यवस्थाओं को समर्थन करना है।
जलवायु न्याय की जरूरत पर जोर देते हुए सचिव ने कहा कि अमीर देशों को न सिर्फ उत्सर्जन कम करने बल्कि गरीब देशों को जलवायु परिवर्तन स्वीकार करने के लिए आर्थिक मदद करने की भी जरूरत है।इस साल की शुरुआत में गुटेरस ने एजेंडे को गति देने के लिए सुपर चार्ज की योजना पेश की थी। गुटेरस ने कहा कि जी20 देशों को सतत विकास के लक्ष्य को हासिल करने के लिए कम से कम सालाना 500 अरब डॉलर का वित्तीय प्रोत्साहन देने की जरूरत है। इसमें नकदी बढ़ाने के लिए असाधारण विशेष अधिकारों की ठोस संरचना तैयार करना शामिल है, जिसकी सबसे ज्यादा जरूरत है।
संयुक्त राष्ट्र ने भुगतान निलंबन को समर्थन करने के लिए एक प्रभावी ऋण व्यवस्था पर भी जोर दिया है। उन्होंने कहा कि बहुपक्षीय विकास बैंकों के कारोबारी मॉडल में बदलाव और उनके अर्थपूर्ण पूंजीकरण की जरूरत है, जिससे निजी वित्तपोषण की व्यापक सुविधा मिल सके।