सम-सामयिक

इंडिया के बजाय भारत नाम उपयुक्त

इंडिया की जगह भारत

 

केन्द्र सरकार ने जी-20 के निमंत्रण पत्र में ‘‘गर्वमेंट आॅफ भारत’’ लिखा तो उसके बाद ‘‘इंडिया’’ नाम बदलकर ‘‘भारत’’ करने की चर्चा शुरू हो गयी। इसके साथ इंडिया शब्द को हटाने के प्रयास शुरू गये हैं। इंडिया की जगह भारत का इस्तेमाल संवैधानिक है। इस बारे में एक्सपर्ट की राय अलग-अलग है।

संविधान विशेषज्ञ कहते हैं कि भारतीय संविधान में वर्णित है – ‘‘इंडिया देट इज भारत– दोनों नामों का प्रयोग किया जा सकता है। ‘‘इंडिया’’ शब्द हटाने के लिए संविधान में आवश्यक संशोधन करना होगा। आफिसियल पत्राचार में ‘‘इंडिया’’ के स्थान पर ‘‘भारत’’ का उपयोग असंवैधानिक नहीं है। संविधान संशोधन के लिए संसद के दोनों सदनों में दो-तिहाई मत से विधेयक पारित होना चाहिए। आधे राज्य इसकी पुष्टि भी करेंगे। मौजूदा शासन ने ‘‘इंडिया’’ हटाया है। यह उसका अधिकार है। संविधान विशेषज्ञ कहते हैं कि संविधान के अनुच्छेद .1 में उल्लेखित है कि ‘इंडिया देट इज भारत’’ राज्यों का एक संघ होगा। दोनों का समान अर्थ है। इसलिए दोनों नाम प्रचलन में है।

भारत का प्राचीन पौराणिक नाम आर्यवत्र्त था। पौराणिक ग्रंथों में यजुर्वेद व जैन ग्रंथों में भारतवर्ष वर्णित है। जैन परम्परा के अनुसार ऋषभदेव के बड़े बेटे सहयोगी भरत के नाम पर भरत पड़ा। दूसरे भरत जो दुष्यंत व शंकुतला के पुत्र थे। यजुर्वेद के जम्बूदीप भरतखण्डे भारतवर्षे को संकल्प के रूप में पूजा में नाम लिया जाता है। यजुर्वेद की रचना बताते हैं कि 1400 ईसापूर्व हुयी थी। 2500 वर्ष पूर्व महाभारत युद्ध कौरवों व पाडंवों के बीच हुआ जो महाभारत कहा गया। इसमें भारत नाम वर्णित है।
आर्यवर्त भारत का प्रथम नाम प्रचलन में था। आर्यावर्त यानि आर्यो का निवास। इस नाम का इस्तेमाल भारत को महाद्वीपों से अलग करने के लिए किया गया था ताकि इसकी अलग पहचान बने। मुगलों का शासन हुआ तो दिल्ली व आसपास के क्षेत्र को मुगलों ने ‘‘हिन्दुस्तान’’ नाम दिया। फारसी व उर्दू में ‘‘हिन्दुस्तान’’ का नाम भारत गणराज्य है।

यूनानियों ने भारत को इंडस या इंडिया कहा। यूनानी शासक सिंकदर ने भारत पर आक्रमण किया। इस देश की इंडिया पहचान दे गये। अंग्रेजों ने इसे ‘‘इंडिया’’ अपनाया तब से यह इंडिया बन गया। अब उसे बदलकर भारत रखने की कार्यवाही शुरू हो चुकी है।
‘‘इंडिया’’ उपनिवेश भारत का प्रतीक है। इसे बदला गया तो यह एक ऐतिहासिक पहल होगी। भारतीय संविधान में इसे ही रखना होगा। दस्तावेजों में ‘‘इंडिया’’ नाम को डिलीट करना होगा। पुरानेे दस्तावेजों में यह रहेगा। तो नये डाक्ॅयूमेंट्स में भारत ही रहेगा। इस प्रक्रिया में धन, श्रम, समय लगेगा। फिर सब कुछ सामान्य हो जायेगा। यह नाम आदतन प्रचलन में रहेगा। इस नाम को अपनाने में समय लगेगा। शासन का कार्य सराहनीय है पर इसमें बाधायें भी आयेंगी।

प्राचीन काल में भारत के कई नाम रहे है जिनमें जम्बूद्वीप, भारतवर्ष, हिम वर्ष, आर्यवर्त, हिन्द, हिन्दुस्तान, इंडिया प्रसिद्ध है। इनमें भारत ज्यादा प्रचलित लोकप्रिय रहा। भारत यहां इतिहास व संस्कृति के अनुरूप है। इसके इतिहास संस्कृति, साहित्य, लोगों की आस्था, भावना व इससे जुड़ाव को देखते हुए संविधान सभा ने मसौदे में लिखा ‘‘इंडिया देट इज भारत।’’

हिन्दी व कई दक्षिण की भाषाओं मंे भारत का ही प्रयोग होता है। अन्य भाषाओं में इसके प्रयोग में कोई कठिनाई नहीं है। भारत शब्द में यहां की सभ्यता, संस्कृति, इतिहास, भाषा व आध्यामिकता के दर्शन होते हैं। भारत शब्द हमारी विरासत, विचारधारा, दर्शन व गरिमा का प्रतीक है। यह शब्द संप्रभुता सम्पन्न राष्ट्र का दर्शन कराता है। संवैधानिक व्यवस्था मंे इस एकल शब्द का प्रयोग होगा तो यह हमारे गौरव की वृद्धि करेगा। ‘भारत’ शब्द का प्रचन नये युग का आरम्भ है जो हमारी प्राचीन सभ्यता व संस्कृति के प्रति अटूट आस्था को दर्शाता है। (हिफी)

(बृजमोहन पन्त-हिफी फीचर)

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button