राजनीतिलेखक की कलम

सीडब्ल्यूसी के संकल्प

 

कांग्रेस की सबसे महत्वपूर्ण समिति कांग्रेस वर्किंग कमेटी (सीडब्ल्यूसी) की बैठक तेलंगाना और आंध्र प्रदेश की महत्वपूर्ण नगरी हैदराबाद मंे गत 16 सितम्बर को शुरू हुई थी। इस बैठक की कई विशेषताएं हैं। सबसे पहली तो यह कि बैठक की अध्य़क्षता मल्लिकार्जुन खरगे कर रहे थे जो कि नेहरू गांधी परिवार से नहीं हैं। यह पहली बार हुआ है जब सीडब्ल्यूसी का नेतृत्व नेहरू-गांधी परिवार नहीं कर रहा है। दूसरी विशेषता यह थी कि सीडब्ल्यूसी मंे कांग्रेस पार्टी के साथ ही 28 दलों के गठबंधन इंडिया को लेकर रणनीति बनानी थी। कांग्रेस ने इंडिया की पहल को वैचारिक एवं चुनावी सफलता दिलाने का संकल्प लिया है। यह संकल्प निभाना आसान नहीं है। उदाहरण के लिए पिछले दिनों उत्तराखण्ड में हुए विधानसभा उपचुनाव को लेकर उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रमुख अजय राय ने इंडिया की सहयोगी समाजवादी पार्टी को कठघरे में खड़ा किया। उधर, हरियाणा और पंजाब मंे आम आदमी पार्टी से कांग्रेस के मतभेद साफ-साफ दिख रहे हैं। इसी साल मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम में इंडिया के घटक दलों की क्या भूमिका रहेगी, यह अब तक सामने नहीं आया है। इनमंे तीन राज्य तो कांग्रेस के वर्चस्व वाले माने ही जाते हैं जिनके बारे मंे इंडिया के नेताओं ने मोटा-मोटा फार्मूला लगभग तय कर लिया है। सीडब्ल्यूसी की हैदराबाद बैठक में कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने अपनी तरफ से घोषित कर दिया कि हमारा एकमात्र एजेण्डा तेलंगाना मंे विधानसभा चुनाव जीतना है। इसके साथ ही पांचों राज्यों को लेकर कांग्रेस ने अपना दावा कर दिया है। इस प्रकार के दावों से, इंडिया की पहल को कैसे साकार किया जा सकेगा? गठबंधन कैसे मजबूत होगा?

सीडब्ल्यूसी की बैठक में कांग्रेस ने विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस’ की पहल को वैचारिक एवं चुनावी सफलता दिलाने का संकल्प लिया है। पार्टी ने कहा कि वह यह सुनिश्चित करना चाहती है कि देश विभाजनकारी और ध्रुवीकरण की राजनीति से मुक्त हो तथा लोगों को एक पारदर्शी, जवाबदेह एवं जिम्मेदार केंद्र सरकार मिले। हैदराबाद में कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक के बाद डीके शिवकुमार ने कहा, हमारा एकमात्र एजेंडा तेलंगाना (विधानसभा) चुनाव जीतना और इण्डिया को अगले आम चुनाव जीतने में मदद करना है। इसके अलावा इस समय कोई दूसरा एजेंडा नहीं है। कांग्रेस ने अपनी कार्य समिति की दो दिवसीय बैठक के बाद पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में पार्टी को निर्णायक जनादेश मिलने की उम्मीद जताई और आगे की लड़ाई के लिए कमर कसने की घोषणा करते हुए कहा कि लोकतंत्र बचाने के लिए केंद्र की ‘तानाशाह’ सरकार को हटाना जरूरी है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने विस्तारित कार्य समिति की बैठक में पार्टी के नेताओं को दो टूक नसीहत भी दी कि वे अनुशासित व एकजुट रहें और अपने व्यक्तिगत मतभेदों को दूर रखकर इसकी सफलता को प्राथमिकता दें तथा ऐसा कुछ नहीं करें, जिससे पार्टी को नुकसान हो।
पार्टी की विस्तारित कार्य समिति की बैठक में 2024 के लोकसभा चुनाव और तेलंगाना समेत पांच राज्यों में आगामी विधानसभा चुनावों की रणनीति, आगे की रूपरेखा, संगठन को मजबूत बनाने तथा कुछ अन्य विषयों पर चर्चा की गई।

विस्तारित कार्य समिति की बैठक में खरगे, पार्टी की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी, महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया और हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू, कांग्रेस की प्रदेश इकाइयों के अध्यक्ष तथा पार्टी के कई अन्य वरिष्ठ नेता शामिल हुए। बताया जाता है कि ‘इंडिया’ गठबंधन के तहत आम आदमी पार्टी (आप) के साथ तालमेल को लेकर दिल्ली और पंजाब के कुछ नेताओं ने आपत्ति जताई। सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजय माकन ने राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में आप की सक्रियता और बयानों का हवाला देते हुए कहा कि अरविंद केजरीवाल की पार्टी के साथ सीटों के तालमेल को लेकर जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए। पंजाब विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष प्रताप सिंह बाजवा ने भी आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन का विरोध किया। सूत्रों के अनुसार, खरगे ने इन नेताओं को भरोसा दिलाया कि राज्य इकाइयों के साथ बातचीत होने पर सीटों का तालमेल होगा।

सोनिया गांधी ने इससे पूर्व कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में इस बात पर जोर दिया था कि ‘इंडिया’ गठबंधन को मजबूती देनी चाहिए तथा राहुल गांधी ने भी इस गठबंधन और कांग्रेस दोनों को मजबूत बनाने की पैरवी की थी। इसके बावजूद विरोध में विस्तारित कार्य समिति की बैठक को संबोधित करते हुए खरगे ने कांग्रेस नेताओं से आगामी चुनावों के लिए तैयार रहने की अपील की और कहा कि देश में बदलाव के संकेत हैं तथा कर्नाटक एवं हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव के नतीजे इसके प्रमाण हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘यह आराम से बैठने का समय नहीं है। दिन-रात मेहनत करनी होगी। हम सभी के जीवन में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं, पर हमें हमेशा अनुशासन में ही रहना चाहिए। कांग्रेस अध्यक्ष ने पार्टी नेताओं का आह्वान किया, ‘‘यह ध्यान रखें कि हम अहं या अपनी वाहवाही के लिए ऐसा कुछ न करें, जिससे पार्टी का नुकसान हो। अनुशासन के बगैर कोई नेता नहीं बनता। हम खुद अनुशासन में रहेंगे, तभी लोग हमारा अनुकरण करेंगे, हमारी बात मानेंगे। उन्होंने देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के हैदराबाद में ही 1953 में दिए उस वक्तव्य का उल्लेख किया, जिसमें उन्होंने अनुशासन की भावना पर जोर दिया था। कार्य समिति की बैठक में पारित प्रस्ताव में कहा गया कि देश की जनता बदलाव चाहती है।

कांग्रेस ने 20 अगस्त को अपनी कार्य समिति का पुनर्गठन किया था, जिसमें पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के साथ पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और राहुल गांधी समेत कई वरिष्ठ नेता शामिल हैं। कार्य समिति में 39 सदस्य, 32 स्थायी आमंत्रित सदस्य और 13 विशेष आमंत्रित सदस्य शामिल किए गए हैं। इसमें सचिन पायलट और शशि थरूर जैसे नेताओं को पहली बार जगह मिली है। उम्मीद करनी चाहिए कि सीडब्ल्यूसी की बैठक में अनुशासन समेत जो संकल्प लिये गये है, पार्टी उन पर अमल भी करेगी। (हिफी)

(अशेाक त्रिपाठी-हिफी फीचर)

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