राजनीतिलेखक की कलम

नवीन पटनायक का साफ्ट कार्नर

 

ओडिशा (उड़ीसा) मंे एक दशक से सत्ता संभाल रहे नवीन पटनायक भी भाजपा और उसके गठबंधन राजग के करीब आते दिख रहे हैं। उन्हांेने मोदी सरकार की विदेश नीति और राष्ट्रीय नीति दोनों की सराहना की है। उन्हांेने यह स्वीकारने मंे कोई संकोच नहीं किया कि केन्द्र के साथ उनके मधुर संबंध हैं और स्वाभाविक रूप से वह अपने राज्य का विकास चाहते हैं। नवीन पटनायक यह कहने में भी झिझक नहीं दिखाते कि राज्य के विकास मंे केन्द्र सरकार की भागीदारी महत्वपूर्ण है। महिला आरक्षण बिल का उन्हांेने समर्थन किया है और यह भी बताया कि 2019 के लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी ने राज्य में 33 फीसद महिला प्रत्याशियों को टिकट दिया था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नीतियों को नवीन पटनायक ने 10 में से 8 नम्बर दिये हैं। लोकसभा चुनाव 2024 से पहले जब राजनीतिक दलों की मोर्चेबंदी हो रही है, तब भाजपा को भी अपने गठबंधन राजग का आकार बड़ा करने की जरूरत पड़ रही है।

अभी हाल में कर्नाटक से जनता दल एस के साथ राजग का गठबंधन हो गया है। पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा ने स्वयं आगे बढ़कर भाजपा से हाथ मिलाया है। अब ओडिशा मंे भी नवीन पटनायक के साथ अगर राजग का समझौता हो जाए तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए। नवीन पटनायक ने मोदी सरकार की राज्यसभा मंे काफी मदद भी की है। ओडिशा में पटनायक परिवार ही चार दशक से सत्ता को संभाल रहा है। नवीन पटनायक का भाजपा के प्रति साफ्ट कार्नर उन्हंे कम से कम एक कार्यकाल का अवसर तो दे ही सकता है।

ओडिशा के मुख्यमंत्री एवं बीजू जनता दल (बीजद) अध्यक्ष नवीन पटनायक ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रशंसा करते हुए कहा है कि वह भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करने के लिए काम कर रहे हैं।

पटनायक ने भ्रष्टाचार से निपटने के लिए प्रधानमंत्री द्वारा उठाये गये कदमों की सराहना की। मुख्यमंत्री ने यहां ‘द न्यू इंडियन एक्सप्रेस’ समूह द्वारा आयोजित ओडिशा साहित्य महोत्सव में मोदी सरकार को 10 में से 8 नम्बर की रेटिंग देते हुए केंद्र की विदेश नीति और भ्रष्टाचार उन्मूलन की दिशा में किये जा रहे कामों की सराहना की। पटनायक ने कहा कि मैं मोदी सरकार को विदेश नीति और कई अन्य मामलों में किए गये कार्यों के कारण 10 में से 8 रेटिंग देता हूं। साथ ही इस (भाजपा) सरकार में भ्रष्टाचार भी कम हुआ है। महिला आरक्षण विधेयक पर एक सवाल का जवाब देते हुए, पटनायक ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण कदम है। मेरी पार्टी ने हमेशा महिला सशक्तीकरण का समर्थन किया है। मेरे पिता (पूर्व मुख्यमंत्री बीजू पटनायक) ने स्थानीय चुनावों में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीट आरक्षित की थी और मैंने इसे बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दिया। पटनायक ने कहा कि उनकी पार्टी ने 2019 के चुनाव में ओडिशा की 33 प्रतिशत लोकसभा सीट पर महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था। बीजद अध्यक्ष ने एक राष्ट्र, एक चुनाव का भी समर्थन करते हुए कहा, ‘‘हमने हमेशा इसका स्वागत किया है, हम इसके लिए तैयार हैं।

इस प्रकार केंद्र के साथ उनकी सरकार के संबंधों के बारे में पूछे जाने पर, पटनायक ने कहा, ‘‘केंद्र के साथ हमारे मधुर संबंध हैं। स्वाभाविक रूप से, हम अपने राज्य का विकास चाहते हैं और विकास में केंद्र सरकार की भागीदारी महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि ओडिशा सरकार गरीबी उन्मूलन और राज्य के सर्वांगीण विकास के लिए समर्पित भाव से काम कर रही है। ध्यान रहे चार दशक से ओडिशा की सत्ता पटनायक संभाल रहे हैं। पटनायकों की सत्ता की गाथा जानकी बल्लभ पटनायक से शुरू हुई जो 1980 में यहां के मुख्यमंत्री बने। कांग्रेस के पुराने सिपाही और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के करीबी जेबी ओडिशा में लगातार दो बार मुख्यमंत्री बने लेकिन, आगे इस कहानी में नए पटनायक आए और पकड़ बनाई।

सन् 1990 के चुनाव में प्रदेश की जनता ने जेबी को सत्ता से बाहर किया तो दूसरे पटनायक नेता बीजू पटनायक को चुन लिया। जनता पार्टी के ये कद्दावर नेता ज्यादा समय सत्ता में नहीं रह सके, 1995 में हुए चुनाव में जेबी ने कांग्रेस को वापसी करवाई और खुद मुख्यमंत्री बने। पहले दो कार्यकाल के मुकाबले इस बार चीजें आसान नहीं रही। एक सिविल सेवा के अधिकारी की पत्नी से हुए सामूहिक दुष्कर्म कांड के बाद 1999 में उन्हें इस्तीफा देना पड़ा और सोनिया गांधी ने उनकी जगह गिरिधर गमंग को सीएम बना दिया था। पीड़िता ने अपने यौन शोषण में सीएम जेबी की भूमिका पर भी सवाल उठाए थे, जिसके बाद कांग्रेस की छवि को भी प्रदेश में काफी नुकसान हुआ। इसके बाद बीजू पटनायक के छोटे बेटे नवीन पटनायक के लिए रास्ता खुला। बीजू पटनायक के निधन के बाद उनके सहयोगी 1997 में नई पार्टी बीजू जनता दल बना चुके थे। इसे आगे बढ़ाने के लिए उन्होंने नवीन को आमंत्रित किया। पिता की विरासत के चलते नवीन इस समय पार्टी के पोस्टर बॉय बन चुके थे और उनकी लोकप्रियता तेजी से बढ़ी। उन्होंने भाजपा को भी अपना सहयोगी बनाया। 1999 के आम चुनाव में वे सांसद बने, लेकिन केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी से मतभेद हुए तो प्रदेश की राजनीति में लौट आए और यहीं ध्यान केंद्रित किया।

वर्ष 2000 का विधानसभा चुनाव जीतकर वे सत्ता में आए और इसके बाद से ओडिशा में केवल नवीन पटनायक का ही युग चल रहा है। कंधमाल दंगों के बाद 2009 में भाजपा से नाता तोड़ वे और मजबूत होकर उभरे हैं। सीएम नवीन पटनायक ने 33 प्रतिशत स्टार्टअप की फाउंडर महिलाओं को सुनिश्चित करने की कोशिश की है ताकि महिलाएं भी नेतृत्व करने में अपनी भागीदारी निभा सके। महिला एंटरप्रेन्योर के विकास और ओडिशा के सामाजिक आर्थिक परिदृश्य में उनके योगदान पर आयोजित संगोष्ठी में उन्होंने कहा था कि महिला एंटरप्रेन्योर को बढ़ावा देने के लिए हमारे पास 22,000 रुपये का मासिक भत्ता है। सरकार उत्पाद निर्माण की प्रक्रिया को समर्थन देने और उसे बाजार तक ले जाने के लिए 16 लाख रुपये तक की अनुदान राशि दे रही है। इस तरह नवीन पटनायक की नीतियों को भाजपा के साथ रहकर मजबूती मिल सकती है। (हिफी)

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)

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