लेखक की कलम

भारतमय होता राम मंदिर

(मनीषा-हिफी फीचर)
अयोध्या मंे जब रामजन्मभूमि बनाम बाबरी मस्जिद विवाद चल रहा था तब न्यायालय से लेकर आम जनता तक यही चाहती थी कि दोनों पक्ष एक साथ बैठकर कोई रास्ता निकाल लें। दुभागर््य से ऐसा नहीं हो सका और लम्बी अदालती लड़ाई के बाद 2019 मंे सुप्रीम कोर्ट ने विराजमान रामलला को उस विवादित जमीन का मालिक करार दिया। विपक्षी मुस्लिम पक्ष को भी सांत्वना स्वरूप अयोध्या मंे ही मस्जिद बनाने के लिए जमीन देने का राज्य सरकार को निर्देश दिया था। राम मंदिर के लिए एक ट्रस्ट बनाने का आदेश दिया गया था। सरकार ने श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट बनाया है जिसके महासचिव विश्व हिन्दू परिषद के उपाध्यक्ष चम्पत राय हैं। इस ट्रस्ट ने राम मंदिर को भारत मंदिर बनाने का प्रयास किया है और निर्माण कार्य पूर्णता की तरफ है। मंदिर मंे विराजमान रामलला की प्रतिमा का प्राण-प्रतिष्ठा समारोह 22 जनवरी 2024 को संभवतः होगा। इस बीच साम्प्रदायिक सद्भाव की एक मिसाल यह देखने को आई कि श्रीराम जन्मभूमि से सटी एक मस्जिद-मस्जिद बद्र अयोध्या- को उसके मुतवल्ली मोहम्मद रईस ने श्रीरामजन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को 30 लाख रुपये में बेंच देने का समझौता किया और 15 लाख रुपये अग्रिम ले लिये हैं। इस पर कुछ लोग विवाद जता रहे हैं। कानून की दृष्टि से इसकी वैधता क्या है, इस पर माथापच्ची करने के बजाय हमेशा के लिए विवाद को समाप्त करने के लिए यह बिक्री समझौता मान लेना चाहिए। राम मंदिर भव्य रूप मंे बन रहा है और विश्वस्तरीय बन रहा है, इसलिए उसके निकट मस्जिद का रहना उचित भी नहीं है। मुस्लिम समाज पहले जो गलती कर चुका है, उसे अब न दोहराए। अब अयोध्या का माहौल राममय बन चुका है, उसमें किसी मस्जिद का विवाद न उठाया जाए।
राम मंदिर निर्माण समिति के
अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा ने संकेत दिए हैं कि राम मंदिर के पहले चरण का निर्माण कार्य पूरा होने और अगले साल 22 जनवरी को वहां श्रीराम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के बाद इसे 23 तारीख से श्रद्धालुओं के लिए खोला जा सकता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रधान सचिव रहे मिश्रा ने यह भी कहा कि श्रीराम की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा अगले वर्ष 22 जनवरी को होगी और 20 से 24 जनवरी के बीच किसी भी दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इससे जुड़े अनुष्ठान में सम्मिलित होंगे। उन्होंने कहा, प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को लेकर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय की देखरेख में एक समिति बनाई गई है। वह विस्तार से इस विषय पर काम कर रही है। ट्रस्ट ने एक निवेदन यह भी किया है सभी से, पूरे देश से, हर गांव-गांव से कि वे यथासंभव अपने गांव में भगवान की प्राण प्रतिष्ठा को मनाएं। मिश्रा ने कहा कि ट्रस्ट ने सभी श्रद्धालुओं से यह निवेदन किया है कि वे 22 तारीख को अयोध्या आने का प्रयास न करें। उन्होंने कहा कि प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान को निश्चित रूप से दूरदर्शन के माध्यम से दिखाया जाएगा। प्राण प्रतिष्ठा के अगले दिन से बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के अयोध्या पहुंचने की संभावना को देखते हुए मिश्रा ने इस संभावित भीड़ को नियंत्रित करने को भी चुनौती करार दिया। उन्होंने कहा कि लोगों की सुविधा के लिए ट्रस्ट ने यह निर्णय लिया है कि उनकी ओर से एक संकेत दिया जाएगा कि विभिन्न प्रदेशों के लोग निश्चित तिथियों को ही आएं। उन्होंने कहा, और एक यह भी योजना है, हालांकि वह पूरी तरह से क्रियान्वित तो नहीं हो सकती। 23 तारीख से प्रदेशों के कार्यक्रम बना दिए जाएं। जो श्रद्धालु एक प्रदेश से आ रहे हैं, उनके लिए एक कार्यक्रम हो और वह रेल की समय सारणी से भी मैच होना चाहिए। सड़क मार्ग से आने वाले लोगों का भी कार्यक्रम तय होना चाहिए।
मिश्रा ने कहा कि यह भी प्रयास किया जा रहा है कि कुछ स्थानों पर खाने की व्यवस्था भी हो। संभव है 25 से 50 हजार लोगों के लिए बिना किसी भुगतान के खाने की व्यवस्था की जाए। इन सब पर ट्रस्ट की समिति विचार कर रही है। उन्होंने अनुमान जताया कि मंदिर को श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाने के बाद रोजाना लगभग सवा लाख से डेढ़ लाख लोग आएंगे और दर्शन करेंगे।
अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है। मंदिर के निर्माण कार्य को लेकर लगातार नई तस्वीरें सामने आ रही हैं, जिनमें देखा जा सकता है कि अब तक कितना कार्य पूरा हो चुका है। डेडलाइन के मुताबिक 15 दिसंबर 2023 तक मंदिर के निर्माण का कार्य पूरा होना है।
इसी बीच एक मामला उभरा है। राम जन्मभूमि से सटी एक मस्जिद के मुतवल्ली (प्रभारी) ने यहां मंदिर ट्रस्ट के साथ इस मस्जिद की बिक्री का समझौता किया है। स्थानीय मुस्लिमों ने मुतवल्ली के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है और समझौते को रद्द करने की मांग की है। मुख्य शिकायतकर्ता एवं अयोध्या में वक्फ संपत्ति को बचाने के लिए गठित एक स्थानीय समिति अंजुमन मुहाफिज मसाजिद वा मकाबिर के अध्यक्ष आजम कादरी ने कहा, मस्जिद बद्र मोहम्मद रईस के मुतवल्ली ने श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के साथ तीस लाख रुपये में बिक्री का समझौता किया है और 15 लाख रुपये अग्रिम ले लिए हैं। कादरी ने बताया कि समझौता एक सितंबर को हुआ था, लेकिन स्थानीय मुस्लिम समूहों को इसके बारे में हाल ही में पता चला। उन्होंने बताया कि मस्जिद बद्र अयोध्या के मोहल्ला पांजी टोला में स्थित है, जिसका उपयोग स्थानीय लोग रोजाना नमाज पढ़ने के लिए करते हैं। मस्जिद उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड, वक्फ संख्या 1213 के साथ विधिवत पंजीकृत है और सरकारी गजट और अन्य दस्तावेजों में भी मस्जिद के रूप में इसका उल्लेख किया गया है। बहरहाल, इस मस्जिद का विवाद ऐसे समय उभरा है जब लाखों की संख्या मंे रामभक्त वहां आने वाले हैं। (हिफी)

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