हड़बड़ी में पार्टी की फजीहत

राजस्थान में भाजपा पर आरोप है कि उसने उस किसान की जमीन नीलाम होने का फोटो पोस्टर पर लगवाया जिसने कर्ज लिया ही नहीं। किसान की बदनामी हो रही है।
राजस्थान में भाजपा को चुनाव जीतने की कितनी जल्दीबाजी हो रही है, इसका एक उदाहरण हाल ही में सामने आया है, जिससे भाजपा की बड़ी फजीहत हो रही है। विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा द्वारा राजस्थान में कांग्रेस सरकार के खिलाफ नहीं सहेगा राजस्थान अभियान चलाया जा रहा है। कुछ दिनांे पूर्व इसी अभियान के तहत भाजपा द्वारा किसानों से जुड़ा हुआ एक पोस्टर जारी किया गया था, जिस पर एक किसान का फोटो लगाकर लिखा गया था कि राजस्थान में 19000 से अधिक किसानों की जमीनें नीलाम नहीं सहेगा राजस्थान।
पोस्टर पर जिस किसान माधुराम की फोटो लगाई गई है उसका कहना है कि पोस्टर में मेरी जमीन नीलाम होने की बात लिखी गयी है, जबकि मेरी तो कोई जमीन नीलाम ही नहीं हुयी है। मुझसे पूछे बिना ही बेवजह पोस्टर पर मेरी फोटो लगा दी गई है। मेरा कहीं भी किसी भी बैंक में कोई लोन बकाया नहीं है, जिसने भी मेरी फोटो का गलत इस्तेमाल किया है उनको तुरंत ही मेरी फोटो पोस्टर से हटाकर माफी मांगनी चाहिए। पूरे प्रदेश में मेरी फोटो लगे पोस्टर लगने से मेरी बहुत बदनामी हुई है। मेरे पास आज भी 188 बीघा जमीन है। मगर किसी का भी कोई कर्जा नहीं है। करीबन 70 वर्षीय माधुराम जयपाल जैसलमेर जिले के रामदेवरा क्षेत्र के रिखियों की ढाणी के रहने वाले हैं। पोस्टर पर अपनी फोटो आने के बाद उन्होंने भाजपा के जिला स्तरीय नेताओं से संपर्क कर अपनी फोटो हटवाने के लिए बोल दिया है। इस बाबत जैसलमेर जिले के भाजपा अध्यक्ष चंद्र प्रकाश शारदा का कहना है कि सभी तरह के पोस्टर प्रदेश स्तर से बनवाए गए हैं। स्थानीय स्तर पर हमारी जानकारी में ऐसी कोई बात नहीं थी। एक किसान ने आकर बताया था। हम प्रदेश नेतृत्व को अवगत करवा देंगे। माधुराम का कहना है कि 2 महीने पहले दो लड़के हमारे गांव में कैमरे लेकर आए थे। तब उन्होने बोला था कि हम फसल खराबे की रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं। सरकार के सामने आपके फसल खराबे की रिपोर्ट रखेंगें। तब उन्होंने मेरी फोटो ली थी। उन्होंने मुझे नहीं बताया था कि पोस्टर पर मेरी फोटो लगाई जाएगी।
किसान माधुराम के सबसे छोटे बेटे जुगताराम का कहना है कि जब से मेरे पिताजी को पोस्टरों पर उनकी फोटो लगने के बारे में पता लगा है तब से वह बहुत टेंशन में रहने लगे हैं। मुझे बार-बार पूछते हैं कि वह फोटो हटी कि नहीं। मेरी बहुत बदनामी हो गई। मेरे पिताजी को बहुत तकलीफ हो रही है। हम लोग भाजपा के नेताओं से प्रार्थना करते हैं कि पोस्टरों से मेरे पिताजी की फोटो को हटवा देवें।
इस तरह की घटनाओं से राजनेताओं ने तो अपना स्वार्थ साध लिया है। मगर गांव में रहने वाले एक इज्जतदार किसान की इज्जत तो खराब हो गई जिसकी भाजपा कैसे भरपाई कर पाएगी। भाजपा नेताओं को चाहिए कि कोई भी कार्य करने से पहले उसे अच्छी तरह से जांच परख कर ही आगे बढ़ायें। जिस तरह की घटना एक गरीब किसान माधुराम के साथ घटी है उस घटना को उसका परिवार जन्म-जन्मांतर तक नहीं भूला सकेगा। जिन पोस्टरों के बल पर भाजपा राजस्थान में सरकार बदलने के लिए हवा बन रही है, वह पोस्टर ही फुस्स हो गया। भाजपा के एक झूठ ने पूरे अभियान की हवा निकाल कर रख दी है।
इसी तरह सिरोही जिले के रेवदर कस्बे में एक अति उत्साही भाजपा नेता ने अपने बैनरों पर प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी के स्थान पर विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी की फोटो लगे बैनर बनवाकर ऑटो रिक्शा पर लगाकर प्रचार भी शुरू कर दिया। उन्होंने ऑटो रिक्शा पर बैनर लगाते वक्त भी उसको देखना उचित नहीं समझा। जब शहर में लोगों ने टोका-टाकी की तो कहा गलती हो गई। रेवदर शहर में भाजपा के स्थानीय नेता रमेश कोली को पार्टी ने सदस्यता अभियान का विधानसभा का संयोजक नियुक्त कर रखा है। रमेश कोली खुद बीजेपी की टिकट के लिये दावेदारी जता रहें हैं। उन्होंने विधानसभा क्षेत्र में अपना प्रभाव जमाने के लिए कई ऑटो रिक्शा पर बैनर लगवा कर बूथ जनसंपर्क अभियान चला रहे थे।
बैनर पर रमेश कोली ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी तथा भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा की फोटो लगा रखी थी। यहां गलती से भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी की फोटो के स्थान पर राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी की फोटो लग गई और बैनर छपवाकर ऑटो रिक्शा पर लगाकर शहर भर में घूमवा दिए गए। जब लोगों ने इस बैनर के वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर शेयर किया तब रमेश कोली को पता लगा और उनके कार्यकर्ता दौड़कर ऑटो रिक्शा पर सीपी जोशी की फोटो पर सफेद कागज चिपकाते नजर आए।
चुनाव से पहले भाजपा में इस तरह की घटनाएं होना पार्टी को जगहंसायी का पात्र बनती है। पार्टी की गंभीरता कम होती है। किसान माधुराम की घटना से तो लगता है कि भाजपा जमीनी कार्यकर्ताओं के बजाय किराये की एजेंसियों से काम करवा रही है। किसान की फोटो किसी एजेंसी के लोगों द्वारा मंगवाई गई थी जिसकी सत्यता की जांच करवाना भाजपा नेतृत्व ने उचित नहीं समझा। यदि यही काम जिला व मंडल इकाइयों द्वारा किया जाता तो गलत व्यक्ति की फोटो लगने से बचा जा सकता था और पार्टी की प्रदेश भर में जो फजीहत हुई है, वह भी नहीं होती।
इसी तरह से भाजपा के विस्तारकों द्वारा हर विधानसभा क्षेत्र से तीन-तीन लोगों के नाम का पैनल बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल किया गया है। उसके बाद से भाजपा में अंदरूनी टांग खिंचाई शुरू हो गई है। जिन लोगों के नाम संभावित पैनल में शामिल नहीं किए गए वह लोग भाजपा मुख्यालय पर जाकर धरना प्रदर्शन करने लगे हैं इससे पार्टी का माहौल खराब हो रहा है। कहने को तो हर विधानसभा क्षेत्र में कार्य कर रहे विस्तारक संगठन से जुड़े बताए जा रहे हैं मगर उनके द्वारा फर्जी पैनल बनाकर वायरल करने की घटना से पार्टी बचाव की मुद्रा में आ गई है। मगर ऐसे विस्तारकों पर शायद ही कोई अनुशासनात्मक कार्यवाही हो पाए।
ऐन चुनाव के वक्त ऐसी घटनाओं से पार्टी में आंतरिक झगड़े बढ़ते हैं और कार्यकर्ताओं में अविश्वास की भावना पनपती है। इस तरह की घटनाओं को नहीं रोक पाना भाजपा संगठन की एक बड़ी कमजोरी मानी जा रही है। संगठन से जुड़े लोगों द्वारा ही अफवाह फैलाने की घटना से पार्टी की हवा खराब हो रही है। इन घटनाओं से लगता है कि राजस्थान के भाजपा नेताओं में आपसी तालमेल की कमी है तथा सभी नेताओं में एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ मची हुई है। ऐसी होड़ में पार्टी के नेताओं द्वारा अक्सर ऐसी गलतियां हो जाती है जो पार्टी के लिए शर्मिंदगी का कारण बन रही हैं। (हिफी)
(लेख में तथ्यों के लिए लेखक की जिम्मेदार है)
(रमेश सर्राफ धमोरा-हिफी फीचर)