मिजोरम में ‘कमल’ का आकर्षण

मिजोरम में सत्तारूढ़ मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) ने भाजपा नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के साथ सरकार बनायी थी लेकिन विधानसभा चुनाव से ठीक पहले वहां भाजपा और एमएनएफ मंे अनबन हो गयी है। एमएनएफ के नेता लालरिनलियान ने भाजपा का दामन थाम लिया है।
इसी साल अर्थात् 2023 में अंतिम महीनों के दौरान पांच राज्यों मंे विधानसभा चुनाव की तैयारियां तो पहले से चल रही थीं लेकिन 9 अक्टूबर को मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने जब पांचों राज्यों में चुनाव की तारीखें घोषित कर दीं, तब से राजनीतिक हलचल कुछ ज्यादा ही बढ़ गयी है। मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ मंे जहां भाजपा और कांग्रेस की प्रतिष्ठा का सवाल है तो तेलंगाना में एक दशक से सत्ता संभाल रहे भारतीय राष्ट्र समिति (बीआरएस) के नेता के. चंद्रशेखर राव (केसीआर) की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। भाजपा को इस बार तेलंगाना मंे भी अच्छे आसार दिखाई पड़ रहे हैं। उधर, 40 सदस्यों वाली मिजोरम विधानसभा में कमल के प्रति आकर्षण बढ़ता दिख रहा है। यहां पर 7 नवम्बर को मतदान होना है। चुनाव से पहले ही सत्तारूढ़ मिजोनेशनल फ्रंट (एमएनएफ) में बिखराव हो गया है। मोर्चे के वरिष्ठ नेता और विधानसभाध्यक्ष लालरिनलियान सोलों ने पार्टी के साथ ही अध्यक्ष और विधायक पद से इस्तीफा दे दिया है। इतना ही नहीं सेलो ने भाजपा में शामिल होने की घोषणा भी कर दी। पिछली बार 11 दिसम्बर 2018 को जब मिजोरम विधानसभा चुनाव के परिणाम घोषित हुए थे तब मिजोनेशनल फ्रंट (एमएनएफ) ने भाजपा, कांग्रेस और अन्य पार्टियों को हासिए पर रखते हुए 40 सदस्यीय विधानसभा मंे 26 विधायक जुटाए थे। भाजपा को सिर्फ एक विधायक मिल पाया था जबकि कांग्रेस ने 5 विधायक पाने में सफलता प्राप्त की थी। इस बार एमएनएफ में बिखराव से भाजपा के पाले मंे उत्साह देखा जा रहा है। हालांकि मिजोनेशनल फ्रंट भी एनडीए के साथ है।
मिजोनेशनल फ्रंट ने इस बार लालरिनलियाना को चुनाव में टिकट देने से मना कर दिया था। इससे नाराज होकर सेलो ने पार्टी छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया है। मणिपुर में कुकी और मैतेई जनजाति का विवाद मिजोरम से भी जुड़ा है। मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरम थांगा ने मणिपुर के सीएम बीरेन सिंह को मिजोरम के मामले मंे हस्तक्षेप न करने की चेतावनी भी दी थी। इसी साल जुलाई में जोरम थांगा ने भाजपा के साथ रहने की बात कही थी।
पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया गया है। मिजोरम में 7 नवंबर को एक ही चरण में मतदान करवाया जाएगा। छत्तीसगढ़ में दो चरणों में चुनाव होगा, जिसमें से पहले चरण का मतदान 7 नवंबर को और दूसरे चरण का मतदान 17 नवंबर को करवाया जाएगा। मध्य प्रदेश में एक ही चरण में 17 नवंबर को मतदान होगा। राजस्थान में एक ही चरण में 25 नवंबर को तथा तेलंगाना में भी एक ही चरण में 30 नवंबर को मतदान करवाया जाएगा। सभी पांचों राज्यों में मतगणना, यानी चुनाव परिणाम 3 दिसंबर, 2023 को घोषित किए जाएंगे। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने चुनाव कार्यक्रम की घोषणा के बाद दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा भारी बहुमत से सभी राज्यों में सरकार बनाएगी और 5 वर्ष तक जनाकांक्षाओं की पूर्ति के लिए कटिबद्ध भाव से काम करेगी।
मिजोरम विधानसभा का कार्यकाल 17 दिसंबर को समाप्त हो जाएगा। राज्य में मिजो नेशनल फ्रंट सरकार है। तेलंगाना, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश की विधानसभाओं का कार्यकाल अगले साल जनवरी में अलग-अलग तारीखों पर खत्म हो जाएगा। तेलंगाना में भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस), मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और छत्तीसगढ़ व राजस्थान में कांग्रेस की सरकारें हैं। मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरमथांगा ने तीन महीने पहले कहा था कि उनकी पार्टी एमएनएफ ने अब तक भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) से अलग होने पर विचार नहीं किया है। एमएनएफ केंद्र में राजग का हिस्सा है, और क्षेत्र में भाजपा के नेतृत्व वाले पूर्वोत्तर लोकतांत्रिक गठबंधन (एनईडीए) की सदस्य है। पड़ोसी राज्य मणिपुर में हिंसा को लेकर आइजोल में प्रदर्शन से इतर पत्रकारों से बात करते हुए जोरमथांगा ने कहा था कि राजग से संबंध तोड़ना राजनीतिक जरूरत पर निर्भर करता है। उन्होंने कहा, अब तक पार्टी ने इस मुद्दे पर कोई विचार नहीं किया है। यह राजनीतिक आवश्यकता पर निर्भर करता है।”उन्होंने कहा कि एमएनएफ का राजग के साथ गठबंधन मुद्दों पर आधारित है। मुख्यमंत्री ने कहा, जब राजग की नीति अल्पसंख्यकों और बड़ी आबादी के हित के खिलाफ होगी, तो हम इसका पुरजोर विरोध करेंगे।” जोरमथांगा ने यह भी कहा था कि वह राजग से नहीं डरते।
मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) एक क्षेत्रीय राजनैतिक दल है। एमएनएफ मिजो राष्ट्रीय अकाल मोर्चा से उभरा, जिसका गठन 1959 में असम राज्य के मिजो क्षेत्रों में अकाल की स्थिति के प्रति भारत सरकार की निष्क्रियता के विरोध में पुलालडेंगा द्वारा किया गया था।।भाजपा की मिजोरम इकाई ने राज्य में सत्तारूढ़ मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) को भगवा पार्टी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को छोड़ने की चुनौती दी थी। मिजोरम भाजपा की ओर से यह चुनौती मुख्यमंत्री जोरमथांगा के उस बयान के कुछ ही दिनों बाद आई है, जिसमें उन्होंने कहा था कि एमएनएफ भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए से नहीं डरता। जोरमथांगा ने कहा, हम (एमएनएफ) भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए का हिस्सा हैं, लेकिन मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि हम एनडीए से डरते नहीं हैं और न ही हम गठबंधन की सभी नीतियों का समर्थन करते हैं। उन्होंने कहा, एमएनएफ मिजोरम में विकास लाने के लिए भाजपा के साथ गठबंधन में है, लेकिन हम भाजपा के हां में हां मिलाने वाले व्यक्ति नहीं हैं। मिजोरम के मुख्यमंत्री ने कहा था, एमएनएफ भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए द्वारा शुरू की गई नीतियों पर आपत्ति जताता है, जो राज्य के लोगों के लिए हानिकारक लगती हैं।उन्होंने कहा कि भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए में गठबंधन सहयोगी होने के बावजूद एमएनएफ ने समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के प्रस्तावित कार्यान्वयन पर कड़ी आपत्ति जताई है। हालांकि, बाद में आइजोल में सीएम जोरमथांगा ने कहा था कि मिजो नेशनल फ्रंट ने अभी तक एनडीए से संबंध तोड़ने पर कोई निर्णय नहीं लिया है। अब तक हम एनडीए के सदस्य हैं।
मिजोरम के मुख्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि एमएनएफ का भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए के साथ संबंध ष्मुद्दा आधारितष् है। मिजोरम के मुख्यमंत्री के बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए राज्य भाजपा नेता के लालदिन्थरा ने कहा कि हालांकि एमएनएफ एनडीए छोड़ने की धमकी दे रहा है, लेकिन उसमें ऐसा करने का साहस नहीं है। मिजोरम के मुख्यमंत्री और सत्तारूढ़ मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) के अध्यक्ष जोरमथांगा, जो भाजपा के सहयोगी हैं, ने 24 जुलाई को भाजपा पार्टी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की आलोचना की थी। अब एमएनएफ टूट रहा है। (हिफी)
(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)