लेखक की कलमसम-सामयिक

बेटियों की सुरक्षा के तंत्र मंे सुधार की जरूरत

 

यूपी में योगी आदित्यनाथ ने नवरात्र के पहले दिन अर्थात् 16 अक्टूबर से मिशन शक्ति के चैथे चरण की शुरुआत की है। इससे पूर्व बेटियों के साथ दुपट्टा खींचने और ट्यूशन के दौरान छेड़खानी की घटना होना शर्मनाक हैं।

उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी के नेतृत्व में सरकार कानून व्यवस्था में सुधार और बेटियों महिलाओं की अभय सुरक्षा के वायदे पर प्रदेश में दोबारा सत्तारूढ़ हुयी थी जनसंख्या के मामले में देश का सबसे बड़ा राज्य होने और पिछली सरकारों में कानून व्यवस्था की स्थिति बेहद खराब होने के बाद धीरे-धीरे कानून व्यवस्था पटरी पर लौट रही है लेकिन इस सबके बावजूद प्रदेश में महिलाओं खासकर बेटियों की सुरक्षा कई बार हाशिये पर पहुंच जाती है। पिछले तीन चरणों में महिलाओं के खिलाफ अपराध दर कम करने के बावजूद शतप्रतिशत सफलता पाने में नाकाम रही यूपी की योगी सरकार ने एक बार फिर बेटियों महिलाओं की सुरक्षा के लिए मिशन शक्ति चतुर्थ चरण की शुरुआत की है। मिशन शक्ति एंटी रोमियो स्क्वाड, बेटी बचाओ बेटी पढाओ और ऐसी ही तमाम कवायद और बहुत सारे कानून के बावजूद बेटियों की सुरक्षा के तमाम दावे धरे के धरे रह जाते हैं और बेटियों की सुरक्षा में सरकार फेल हो जाती है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 14 अक्टूबर को मिशन शक्ति के चैथे चरण की शुरुआत की। इस मौके पर उन्होंने महिलाओं व बालिकाओं की सुरक्षा, सम्मान व स्वावलंबन की दिशा में बढ़ रहे कदमों में महिला बीट अधिकारियों को उनके बढ़ते दायित्व का बोध कराया। कहा कि शारदीय नवरात्र के पहले दिन 16 अक्टूबर से महिला बीट आरक्षी गांव-गांव में जाकर महिलाओं को जागरूक करने का कार्य आरंभ करेंगी। कहीं कोई बहन-बेटी की सुरक्षा में सेंध लगा रहा है तो उसके विरुद्ध कठोर कार्रवाई होगी। महिला आरक्षियों को शोहदों से पूरी सख्ती से निपटने का सीधा संदेश दिया।।

अभी कुछ दिन पहले ही अंबेडकर नगर में दो मनचलों ने दुपट्टा खींचा तो साइकल सवार नाबालिग छात्रा अपना बचाव करते हुए एक वाहन की चपेट में आकर मारी गई। पुलिस ने शैतान मनचलों को एक एनकाउंटर में टांग तोड़ कर जेल भेज दिया। समझा जा रहा था कि यह वारदात शैतानी करने वाले लोगों के लिए सबक साबित होगी लेकिन इसके बाद फिर एक वहशी वारदात यूपी की छात्रा के साथ हुयी है। अभी दो दिन पहले एक नाबालिग लड़की ट्यूशन से घर लौट रही थी। रास्ते में एक मनचले ने उसके साथ छेड़छाड़ शुरू कर दी। लड़की ने विरोध किया तो लड़के ने उसे ट्रेन के आगे धक्का दे दिया। ट्रेन की चपेट में आने से बच्ची का एक हाथ और दोनों पैर कट गए। शोहदे घरों में दुबक गए हैं और महिलाएं आधी रात को भी सुरक्षित सड़कों पर घूमने लगी हैं लेकिन यह घटना पुलिस की कार्यप्रणाली और अपराधियों पर अंकुश लगाने के राज्य सरकार के दावे की पोल खोलती है। आखिर कोई कैसे इतनी हिम्मत कर पाता है कि दिनदहाड़े राह चलती महिला उसकी बात नहीं मानेगी तो वह उसकी जान लेने पर उतारू हो जाएगा। हालांकि मुख्यमंत्री ने इस घटना का संज्ञान लेते हुए अपराधी के खिलाफ कड़ा रुख अख्तियार करने का आदेश दिया है। उस इलाके में पुलिस को चैकस कर दिया गया है। कहा जा सकता है कि उत्तर प्रदेश में अपराधियों पर नकेल कसने के प्रयासों में तेजी आई है और महिलाओं तथा बच्चियों के खिलाफ अपराध के मामले सुलझाने, उनकी प्राथमिकी दर्ज करने का स्तर सुधरा है, मगर यह भी सच है कि महिलाओं के साथ आए दिन ऐसे अपराध हो रहे है, जो उन्हें घरों से बाहर निकलने से पहले सोचने पर मजबूर कर देते हैं। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि पुलिस सरकारी दिशा-निर्देशों का उचित तरीके से पालन नहीं करती।

ऐसा ही बरेली की इस घटना में भी दिखा। पीड़ित किशोरी के पिता स्थानीय थाने में पहले शिकायत कर चुके थे कि कुछ युवक उनकी बेटी को ट्यूशन के रास्ते में परेशान करते हैं। मगर कार्रवाई तो छोड़िए, पुलिस ने उस शिकायत पर ध्यान भी नहीं दिया। अगर समय रहते पुलिस सक्रिय हो जाती, तो पीड़ित बच्ची की जान खतरे में न पड़ती। पुलिस का यह हाल तब है जब मुख्यमंत्री स्वयं महिला अपराधों को लेकर लगातार निगरानी करते हैं। मुख्य सचिव स्तर पर हर माह समीक्षा बैठकें होती हैं और डीजीपी अपने मातहतों को समय-समय पर ऐसे अपराधों पर अंकुश लगाने की हिदायत जारी करते हैं। उत्तर प्रदेश सरकार के आंकड़े बताते हैं कि उसके एंटी रोमियो दल ने बीते एक साल में साढ़े छह हजार ऐसे लड़कों के खिलाफकार्रवाई की है, जो राह चलती महिलाओं को छेड़ते, उन पर फब्तियां कसते हैं। महिला पुलिस चैकियां स्थापित की गई हैं, पुलिसबल में महिला कर्मियों की संख्या पहले के मुकाबले बढ़ी है, मगर स्थानीय स्तर पर पुलिस की संवेदनहीनता का क्या किया जाए! सच है कि पुलिस हर जगह मौजूद नहीं रह सकती, लेकिन अपराधी के मन में कानून का खौफ तो होना ही चाहिए। महिलाओं और बच्चियों के खिलाफ अपराध की हर घटना के बाद सरकार सख्त कार्रवाई करती है लेकिन इसके बावजूद वारदात की झड़ी नहीं रुकती है।

बताया गया है कि मिशन शक्ति एकीकृत महिला सशक्तीकरण कार्यक्रम है जिसे महिलाओं की रक्षा, सुरक्षा और सशक्तीकरण हेतु अम्ब्रेला योजना के रूप में कार्यान्वयन हेतु शुरू किया गया है। यह महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए है, जिसमें उज्ज्वला, स्वाधार गृह और कामकाजी महिला छात्रावास की पूर्ववर्ती योजनाओं को संशोधनों के साथ शामिल किया गया है। इसके अलावा कामकाजी माताओं के बच्चों के लिये राष्ट्रीय क्रेच योजना और एकीकृत बाल विकास सेवा अम्ब्रेला योजना के तहत प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना की मौजूदा योजनाओं को अब सामथ्र्य योजना में शामिल किया गया है। 2011 की जनगणना के अनुसार भारत की आबादी में 67.7 फीसद महिलाएं और बच्चे हैं। देश के सतत और न्यायसंगत विकास के लिए, महिलाओं और बच्चों को सशक्त बनाना, उनकी रक्षा करना और उनका संपूर्ण विकास सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है।

यहां यह बात भी बिल्कुल सत्य है कि मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी बेटियों की सुरक्षा के मामले में जीरो टॉलरेंस रखते हैं उन्होंने पिछले दिन एक बयान में भी कहा था कि यदि कोई शैतान किसी बेटी की सुरक्षा के साथ खेलने की कोशिश करेगा तो अगले ही चैराहे पर यमराज उसका इंतजार करते मिलेंगे लेकिन इसके बावजूद भी लगातार बेटियों की सुरक्षा के मामले में सरकार को पर्याप्त सफलता नहीं मिल रही है। लगातार प्रयासों के बावजूद पुलिस की कार्यशैली में लापरवाही और नाकारापन इस तरह से व्याप्त है कि सरकार को पूर्ण सफलता नहीं मिल सकी है। जरूरत इस बात की है कि पुलिस को महिलाओं की सुरक्षा के प्रति संवेदनशील बनाया जाए। (हिफी)

(मनोज कुमार अग्रवाल-हिफी फीचर)

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