राजनीतिलेखक की कलम

सपा व कांग्रेस में वाक् युद्ध

 

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन के तहत कांग्रेस द्वारा सीट नहीं दिए जाने से समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो अखिलेश यादव व्यथित हो गए। यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कांग्रेस पर बरसते हुए कहा कि अगर उन्हें पता होता कि विपक्ष का गठबंधन विधानसभा स्तर के चुनाव के लिए नहीं है तो उनकी पार्टी मध्य प्रदेश में गठबंधन के लिए बातचीत ही नहीं करती।

अभी तो पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव हो रहे हैं लेकिन 2024 के आम चुनावों के लिए विपक्षी दलों ने इंडिया के नाम से जो गठबंधन बना रखा है, उसके दो प्रमुख घटक कांग्रेस और समाजवादी पार्टी आमने-सामने आ गये हैं। सपा का उत्तर प्रदेश मंे सबसे ज्यादा प्रभाव है। अभी घोसी विधानसभा के उपचुनाव मंे सपा प्रत्याशी ने भाजपा के दारा सिंह चैहान को पराजित किया था। इस उपचुनाव में हार-जीत की एक रहस्यमय कहानी भी बताई जाती है जिसके एक पात्र ओबीसी नेता ओमप्रकाश राजभर भी हैं जो अखिलेश यादव का पाला छोड़कर भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन राजग से जुड़े हैं। इस उपचुनाव में राजभर की प्रतिष्ठा दांव पर लगी थी जिन्होंने यहां तक कह दिया था कि भाजपा को हमारी जरूरत है। बहरहाल, घोसी में भाजपा और राजभर के समर्थित दारा सिंह हार गये। उधर, कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने प्रत्याशी ही नहीं खड़ा किया था। सपा के सुधाकर सिंह को विजयश्री हासिल हुई तो कांग्रेस ने भी इसका श्रेय लिया। यूपी मंे प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने अखिलेश यादव को याद दिलाया कि समाजवादी पार्टी घोसी का उपचुनाव कांग्रेस की मदद से जीती थी, इसलिए अखिलेश यादव को मध्य प्रदेश में बड़ा दिल दिखाना चाहिए था। सपा ने मध्य प्रदेश मंे 31 सीटों पर अपने प्रत्याशी खड़े कर दिये हैं और ताजा विवाद इसी बात को लेकर है। हालांकि इससे पहले उत्तराखण्ड में कांग्रेस और भाजपा प्रत्याशी में मुकाबला हुआ। कांग्रेस प्रत्याशी को पराजय का सामना करना पड़ा। उस समय भी अजय राय ने कहा था कि समाजवादी पार्टी ने गठबंधन धर्म नहीं निभाया। अब मध्य प्रदेश के विवाद को लेकर अखिलेश यादव भड़क गये हैं और उन्हांेने अप्रत्यक्ष रूप से अजयराय को चिरकुट नेता कह दिया है। यूपी मंे सपा और कांग्रेस की यह लड़ाई भाजपा के लिए फायदेमंद होगी।

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन के तहत कांग्रेस द्वारा सीट नहीं दिए जाने से समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो अखिलेश यादव व्यथित हो गए। यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कांग्रेस पर बरसते हुए कहा कि अगर उन्हें पता होता कि विपक्ष का गठबंधन विधानसभा स्तर के चुनाव के लिए नहीं है तो उनकी पार्टी मध्य प्रदेश में गठबंधन के लिए बातचीत ही नहीं करती। उन्होंने यह कहा कि अगर सिर्फ लोकसभा चुनाव के लिए तालमेल की बात होगी तो उस पर ही विचार किया जाएगा। सपा सुप्रीमों ने गुस्से में कांग्रेस के यूपी अध्यक्ष को ‘चिरकुट नेता’ तक कह दिया। अखिलेश यादव ने विपक्षी इंडिया गठबंधन में शामिल होने के बावजूद मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी द्वारा 22 और सीटों पर प्रत्याशी घोषित किए जाने के बारे में पूछे जाने पर कहा कि हाल में मध्य प्रदेश के एक पूर्व मुख्यमंत्री ने बैठक बुलाई थी और सपा के लोगों से बातचीत की थी। उन्होंने कहा, ‘उस बैठक में सपा नेताओं ने मध्य प्रदेश में अपनी पार्टी के पिछले प्रदर्शन के बारे में बताया था। उस वक्त उन्हें आश्वासन दिया गया था कि गठबंधन के तहत सपा को 6 सीट देने पर विचार किया जाएगा लेकिन जब प्रत्याशियों के नाम घोषित किए गए तो समाजवादी पार्टी को एक भी सीट नहीं दी गई।’ सपा सुप्रीमो ने कहा, ‘अगर यह मुझे पहले दिन पता होता कि विधानसभा स्तर पर इंडिया का कोई गठबंधन नहीं है तो हमारी पार्टी के लोग उस बैठक में नहीं जाते, न हम सूची देते और न ही कांग्रेस के लोगों का फोन उठाते। अगर उन्होंने यही बात कही है कि गठबंधन नहीं है तो हम स्वीकार करते हैं। जैसा व्यवहार समाजवादी पार्टी के साथ होगा, वैसा ही व्यवहार उन्हें यहां उत्तर प्रदेश में देखने को मिलेगा। प्रदेश स्तर पर कोई गठबंधन नहीं है, तो नहीं है। हमने इसे स्वीकार कर लिया, इसीलिए हमने पार्टी के टिकट घोषित कर दिए। इसमें हमने क्या गलत किया है?’

कांग्रेस और सपा के बीच खींचतान चल ही रही थी कि उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अजय राय ने अखिलेश पर झूठ बोलने का इल्जाम लगा दिया। अजय राय ने कहा कि अखिलेश ने अपनी पार्टी के उम्मीदवार तो कांग्रेस की लिस्ट आने से पहले ही घोषित कर दिए थे, इसलिए कांग्रेस पर वादा खिलाफी का इल्जाम ठीक नहीं है। यूपी कांग्रेस अध्यक्ष ने अखिलेश को ये भी याद दिलाया कि घोसी के उपचुनाव में समाजवादी पार्टी कांग्रेस की मदद से जीती थी, इसलिए अब अखिलेश को भी बड़ा दिल दिखाना चाहिए और बीजेपी के खिलाफ कांग्रेस की मदद करनी चाहिए।

अजय राय के इस बयान से अखिलेश यादव और चिढ़ गए और उन्होंने बिना नाम लिए यहां तक कह दिया कि मैं कांग्रेस पार्टी को कहना चाहता हूं कि अपने चिरकुट नेताओं से हमारी पार्टी के बारे में न बुलवाएं। अखिलेश ने अजय राय को छोटा नेता करार देते हुए कहा कि वह न तो मुंबई की मीटिंग में थे और न ही पटना की मीटिंग में, और न ही उन्हें इंडिया गठबंधन के बारे में कुछ पता है। मध्य प्रदेश में समाजवादी पार्टी अब तक कुल 31 सीटों पर अपने प्रत्याशी खड़े कर चुकी है और वह सूबे में कांग्रेस से दो-दो हाथ करने के लिए तैयार है।

कांग्रेस समेत देश के प्रमुख विपक्षी दलों का गठबंधन इंडिया, भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार को चुनौती देने की पूरी तैयारी में है। हालांकि, हर कुछ दिनों पर इस अलायंस के दलों के बीच मनमुटाव की खबरें निकलकर सामने आती रहती हैं। अब गठबंधन के अहम साथी समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव भी कांग्रेस पार्टी पर मध्य प्रदेश में सीट बंटवारे के मुद्दे पर भड़क गए हैं। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के बीच ठन गई है। अखिलेश यादव ने कहा है कि सब कुछ जानकारी लेने के बाद भी कांग्रेस ने मध्य प्रदेश में उन्हें सीटें नहीं दी। अखिलेश ने कहा कि अब वह लोकसभा चुनाव के समय विचार करेंगे। अखिलेश ने कहा कि कांग्रेस ने जैसा व्यवहार किया है वह भी उसके साथ वैसा ही व्यवहार करेंगे। उन्होंने कहा कि देखेंगे उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव के लिये कैसे गठबंधन होगा। अगर पता होता कि कांग्रेस ऐसा व्यवहार करेगी तो हम न अपनी सूची उन्हें देते और न ही उनका फोन उठाते।कांग्रेस के साथ सीट बंटवारे पर बात न बनने के बाद समाजवादी पार्टी आर-पार के मूड में आ गई है।

इसी प्रकार उत्तराखंड में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने राज्य की बागेश्वर विधानसभा सीट अपने पास बरकरार रखी है। चुनाव परिणाम में बीजेपी प्रत्याशी पार्वती दास ने अपने निकटतम प्रतिद्धंदी कांग्रेस के बंसत कुमार को 2400 से अधिक मतों से हरा दिया। पार्वती दास के पक्ष में 33,247 मत पड़े जबकि कुमार केवल 30,842 मतदाताओं का समर्थन ही जुटा सके। भाजपा प्रत्याशी को 2,405 मतों से विजय हासिल हुई। इस चुनाव में समाजवादी पार्टी के भगवती प्रसाद, उत्तराखंड क्रांति दल के अर्जुन देव और उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के भागवत कोहली भी मैदान में थे। पिछले कुछ वर्षों में इस सीट पर चुनाव में लगातार कट्टर प्रतिद्वंद्वी भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला देखा गया है। उत्तराखंड में भाजपा दो-तिहाई बहुमत के साथ सत्ता में है इसलिए इस उपचुनाव के नतीजों का सरकार पर कोई असर नहीं पड़ेगा। (हिफी)

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)

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