मिजोरम में बहुकोणीय मुकाबला

पूर्वोत्तर भारत के संवेदनशील राज्य मिजोरम में चालीस विधायकों के लिए भाजपा-कांग्रेस और क्षेत्रीय पार्टियों में कड़ा मुकाबला होगा। पिछली बार भाजपा को सिर्फ एक विधायक मिला था फिर भी उसने सत्ता का स्वाद चखा। इस बार मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) बिखरा हुआ है और उसके कई नेता भाजपा का दामन थाम चुके हैं। इस प्रकार भाजपा बहुत मजबूत स्थिति में है और उसने 23 प्रत्याशी मैदान में उतार दिये हैं। पार्टी के प्रदेश नेतृत्व ने कहा है कि कांग्रेस को छोड़कर चुनाव के बाद वह किसी के साथ भी गठबंधन कर सकती है। संभावना है कि जोरम पीपुल्स मूवमेंट (जेपीएस) के साथ भाजपा का समझौता होगा। इस पार्टी ने मुख्यमंत्री पद के लिए एक युवा चेहरा भी घोषित कर दिया है। उधर, 2018 में पांच विधायक जुटाने वाली कांग्रेस ने अपना चुनाव घोषणा पत्र जारी कर दिया है जिसमें सभी वर्गों के लिए लुभावने वादे किये गये हैं। विपक्षी दलों के महागठबंधन ‘इंडिया’ में आम आदमी पार्टी (आप) भी शामिल है लेकिन मिजोरम में अरविन्द केजरीवाल की पार्टी मैदान में उतरी है। इस प्रकार राज्य में इस बार बहुकोणीय मुकाबला होने के आसार हैं।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सात नवंबर को होने वाले मिजोरम विधानसभा चुनाव के लिए निवर्तमान अध्यक्ष और सत्तारूढ़ एमएनएफ से हाल में पार्टी में शामिल होने वाले कई अन्य नेताओं समेत 23 उम्मीदवारों के नामों की घोषणा की। भाजपा ने ज्यादातर नए चेहरे उतारे है जबकि इनमें से चार प्रत्याशी महिला है।
नामांकन दाखिल करने की अंतिम तारीख 20 अक्टूबर थी। मतदाताओं द्वारा खंडित जनादेश दिए जाने का अनुमान जताते हुए भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वनलालमुआका ने कहा कि पार्टी कांग्रेस को छोड़कर किसी भी अन्य दल के साथ चुनाव के बाद गठबंधन करने से नहीं हिचकिचाएगी। भाजपा की प्रदेश इकाई के मीडिया संयोजक जॉनी लालथनपुइया ने बताया कि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि क्या पार्टी इस पूर्वोत्तर राज्य में सभी 40 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी। उन्होंने कहा कि दिल्ली में केंद्रीय नेतृत्व एक और सूची जारी कर सकता है।भाजपा ने 2018 के चुनाव में 39 सीटों पर चुनाव लड़ा और एक सीट पर जीत हासिल कर पहली बार राज्य विधानसभा में अपना खाता खोला था। पार्टी के इकलौते विधायक डॉ. बीडी चकमा इस बार चुनाव नहीं लड़ेंगे क्योंकि उन्होंने सक्रिय राजनीति से संन्यास की घोषणा कर दी है।
एक सप्ताह पहले सत्तारूढ़ मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) छोड़कर भाजपा में शामिल होने वाले विधानसभा अध्यक्ष लालरिनलियाना सैलो मामित सीट से चुनाव लड़ेंगे। उन्होंने 2018 के विधानसभा चुनाव में चालफिल्ह सीट से जीत हासिल की थी लेकिन इस बार सत्तारूढ़ पार्टी ने उन्हें टिकट देने से इनकार कर दिया। भाजपा ने पूर्व आबकारी मंत्री डॉ. के बेछुआ को सियाहा से उम्मीदवार बनाया है। गत विधानसभा चुनाव में एमएनएफ के टिकट पर सियाहा से चुनाव लड़ने वाले बेछुआ ने इस महीने की शुरुआत में विधायक पद से इस्तीफा दे दिया था और भाजपा में शामिल हो गए थे। उन्हें पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए जनवरी में एमएनएफ से निष्कासित कर दिया गया था। चकमा स्वायत्त जिला परिषद के पूर्व मुख्य कार्यकारी सदस्य दुर्ज्या धान चकमा को भी भाजपा ने चकमा बहुल तुइचांग निर्वाचन क्षेत्र से खड़ा किया है। उन्होंने हाल में एमएनएफ छोड़ दी थी।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वनलालमुआका को डम्पा निर्वाचन क्षेत्र से प्रत्याशी बनाया गया है जबकि पार्टी प्रवक्ता एफ लालरेमसांगी आइजोल साउथ-1 सीट से चुनाव लड़ेंगे। उम्मीदवारों की घोषणा के बाद वनलालमुआका ने कहा कि भाजपा शायद राज्य में अपने दम पर सरकार नहीं बना पाए, लेकिन यह सरकार का हिस्सा होगी। उन्होंने कहा, भाजपा की भागीदारी के बिना कोई सरकार नहीं बन सकती। लगातार दूसरी बार सत्ता में लौटने की उम्मीद कर रही एमएनएफ ने सभी 40 निर्वाचन क्षेत्रों के लिए उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। मुख्य विपक्षी दल जोराम पीपुल्स मूवमेंट (जेडपीएम) ने भी सभी प्रत्याशियों के नाम जारी कर दिए हैं। मिजोरम विधानसभा चुनाव के लिए मतदान सात नवंबर को होगा और मतगणना तीन दिसंबर को होगी।
लगभग 22 वर्षों तक मिजोरम पर शासन करने वाली कांग्रेस पार्टी ने विधानसभा चुनाव को लेकर एक घोषणापत्र जारी किया है। पार्टी द्वारा जारी घोषणापत्र में विकास के साथ सामाजिक न्याय को संतुलित करने की बात कही गई है। कांग्रेस की तरफ से मतदाताओं से सब्सिडी वाली रसोई गैस, बुजुर्गों, विधवाओं और विकलांगों को पेंशन, 15 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा कवरेज, किसानों और उद्यमियों के लिए विशेष योजनाओं का वादा किया गया है। अपने 12 पेज के घोषणापत्र में एक कुशल, पारदर्शी और भ्रष्टाचार मुक्त सरकार स्थापित करने का वादा करते हुए, कांग्रेस ने कहा कि अगर वह सत्ता में आती है, तो वह ग्राम परिषदों और स्थानीय निकायों को अधिक शक्ति, जिम्मेदारियां और वित्तीय संसाधन देकर जमीनी स्तर पर लोकतंत्र को मजबूत करेगी। कांग्रेस के राहुल गांधी ने गत दिनों राज्य की राजधानी आइजोल में पदयात्रा की थी जहां उन्होंने राज्य की संस्कृति, भाषा, परंपराओं और धर्म को बनाए रखने का वादा किया था। मिजोरम में इस साल का चुनाव बहुकोणीय होने की उम्मीद है। नई, उभरती हुई क्षेत्रीय पार्टी जोरम पीपल्स मूवमेंट राज्य के शीर्ष पद के लिए एक युवा चेहरे को पेश कर रही है, और अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने भी चुनाव लड़ने का ऐलान किया है।
2018 में, मिजो नेशनल फ्रंट ने 37.8 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 40 विधानसभा सीटों में से 26 सीटें हासिल कीं। कांग्रेस ने पांच सीटें हासिल कीं और भाजपा ने एक सीट जीती। मिजोरम में 7 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले सत्तारूढ़ मिजो नेशनल फ्रंट को एमएनएफ उस समय झटका लगा, जब स्पीकर लालरिनलियाना सेलो ने अपने पद और विधानसभा सदस्यता से इस्तीफा दे दिया और कहा कि वह भाजपा में शामिल होंगें भगवा पार्टी के टिकट पर अगला चुनाव लड़ेंगे। सेलो ने अपना त्यागपत्र डिप्टी स्पीकर एच. बियाकजौआ को सौंपा था। सैलो ने मीडिया से कहा, “मैं मिजोरम के सर्वांगीण विकास के लिए एमएनएफ छोड़ रहा हूं। चूंकि भाजपा अब केंद्र में सत्ता में है, मिजोरम को केंद्र सरकार से समर्थन और धन की आवश्यकता है।”
सत्तारूढ़ एमएनएफ ने पिछले महीने राज्य की सभी 40 विधानसभा सीटों के लिए उम्मीदवारों की घोषणा की थी लेकिन उसमें सेलो का नाम नहीं था। मिजोरम के पांच निर्दलीय विधायकों ने भीे अपना इस्तीफा सौंप दिया था। यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है, जब 7 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव में अब एक महीने से भी कम समय बचा है। आइजोल पश्चिम-तृतीय निर्वाचन क्षेत्र से विधायक वी एल जैथनजामा, आइजोल उत्तर-द्वितीय से विधायक वनललथलाना, आइजोल दक्षिण द्वितीय से विधायक ललछुआनथांगा, आइजोल दक्षिण-प्रथम से विधायक सी। ललसाविवुंगा और आइजोल उत्तर-प्रथम निर्वाचन क्षेत्र से विधायक वनललहलाना ने इस्तीफा सौंप दिया है। ये नेता मूल रूप से जोरम पीपुल्स मूवमेंट से जुड़े थे, लेकिन 2018 में उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था। उस समय जेडपीएम पार्टी राजनीतिक दल के रूप में रजिस्टर्ड नहीं थी। विधानसभा की सदस्यता से उनका इस्तीफा इसलिए अहमियत रखता है, क्योंकि वे अब जेपीएम के टिकट पर नामांकन पत्र दाखिल कर सकेंगे। (हिफी)
(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)