राजनीतिलेखक की कलम

भाजपा को संकट में डालते उसके अपने

 

पांच राज्यों मंे विधानसभा चुनाव की तारीखें जैसे-जैसे नजदीक आ रही हैं, वैसे-वैसे ही राजनीतिक संवेदनशीलता बढ़ती जा रही है। सामान्य दिनांे में जिन बातों पर ध्यान नहीं दिया जाता, उन पर भी नोटिस लिया जा रहा है। पिछले दिनों मध्य प्रदेश मंे भाजपा के कद्दावर नेता और राज्य के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्र के बिगड़े बोल ने पार्टी को संकट मंे डाल दिया। अब तक चुनाव के समय यह रोग कांग्रेस में ही देखने को मिलता था और भाजपा ने इसका भरपूर राजनीतिक फायदा भी उठाया लेकिन इस बार मामला उलट गया। नरोत्तम मिश्र ने अपनी ही पार्टी की सांसद हेमामालिनी को लेकर ऐसी टिप्पणी कर दी जिसको कांग्रेस ने महिलाओं के स्वाभिमान से जोड़ दिया है। दतिया के विकास का जिक्र करते भाजपा के नेता ने हेमामालिनी को नचवाने तक की बात कह दी है। कांग्रेस को हमला करने का एक मौका मिल गया है। हेमामालिनी को लेकर एक बार राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता लालू प्रसाद यादव ने भी विवादास्पद बयान दिया था। उस बयान पर भाजपा ने बहुत तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी।

मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा अक्सर अपने बयानों को लेकर सुर्खियों में रहते हैं। हालांकि कभी-कभी मिश्रा के बयान विवाद का कारण भी बन जाते हैं। नरोत्तम मिश्रा एक बार फिर अपने एक विवादित बयान को लेकर चर्चा में हैं, जो उन्होंने अपनी ही पार्टी की सांसद हेमा मालिनी को लेकर दिया है। उनके इस बयान के बाद राजनीति गरमा गई है, जहां बीजेपी इस मामले में बचाव की मुद्रा में है वहीं चुनावी मौसम में कांग्रेस को बैठे-बिठाए भाजपा को घेरने का एक मुद्दा मिल गया है। नरोत्तम मिश्रा दतिया के टेऊंराम में एक चुनावी सभा को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान इलाके के विकास के बारे में बोलते हुए उन्होंने कहा, “दतिया में पहले तांगे चलते थे, वहां अब हवाई जहाज चल रहे हैं। दतिया में पहले पानी के टैंकर चला करते थे, लेकिन हमने फिल्टर लगाए ताकि गांव, नगर सब जगह पानी पहुंचे। ये उड़ान भरता दतिया है। हमारे दतिया ने उड़ान भरी तो बाईपास रोड़ बन गए, रिंग रोड़ बन गए, लिबरल अस्पताल मेडिकल कॉलेज बन गए, झुग्गी झोपड़ियां मल्टी स्टोरी बिल्डिंग बन गईं।”

उन्होंने कहा, दतिया ने उड़ान भरी तो यहां बागेश्वर धाम, प्रदीप मिश्रा और कलश यात्रा आई। मेरे दतिया ने उड़ान भरी तो सांस्कृतिक कार्यक्रमों से लेकर हेमा मालिनी तक को नचवा दिया। इस मामले में केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी से जब नरोत्तम मिश्रा को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मैं उनके कहने के तरीके से इत्तेफाक नहीं रखती हूं। इस पर कुछ भी बोलने का गलत अर्थ निकाला जाएगा। मैं अपनी बात समाप्त करती हूं। हालांकि इससे पहले उन्होंने कांग्रेस नेताओं पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि प्रियंका गांधी कहती हैं कि वह लड़की हैं और लड़ सकती हैं, लेकिन वह किससे लड़ रही हैं? ये मुझे नहीं मालूम। यहां के बड़े नेता महिलाओं को टंच माल कहते हैं। कांग्रेस उनको संरक्षण देती है, जिन पर महिला उत्पीड़न के केस दर्ज हैं। नरोत्तम मिश्रा के बयान के बाद कांग्रेस बेहद हमलावर है। प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, संस्कारी बीजेपी के माननीय मंत्री जी का महिलाओं को लेकर वास्तविक ओछापन भी सुनें। अपने दल की नेता को भी नहीं बख्शते। वहीं कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. रागिनी नायक ने कहा कि हेमा मालिनी जी उन्हीं की पार्टी की नेता हैं, उनके बारे में ये कहना कि हम हेमा मालिनी को नचाएंगे, ये बीजेपी की महिला विरोधी सोच है। हाथी के दांत खाने के कुछ और दिखाने के कुछ और। उन्होंने कहा कि वोट बटोरने के लिये लाड़ली बहना हो जाती है। बीजेपी के ये नेता कैसे महिलाओं को कमोडिफाय कर रहे हैं, ये लज्जा का विषय है। शिवराज सिंह चैहान को नरोत्तम मिश्रा से माफी मंगवानी चाहिए और खुद भी माफी मांगनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इस तरह की टिप्पणी बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

नरोत्तम मिश्रा मध्य प्रदेश सरकार के गृह, विधि, जेल व संसदीय कार्य मंत्री हैं। वे भारतीय जनता पार्टी के नेता हैं। वे 6 बार से लगातार विधायक हैं व दतिया से राज्य विधानसभा के लिए चुने गए हैं। नरोत्तम मिश्रा लगातार सुर्खियों में बने रहते हैं, लेकिन एक किस्सा ऐसा भी है जब चुनाव आयोग ने उन्हें चुनावी मैदान में उतरने से रोक दिया था। हालांकि, हाई कोर्ट ने उन्हें राहत दे दी थी जिसकी बदौलत उन्होंने साल 2018 का विधानसभा चुनाव लड़ा। दरअसल, नवबंर 2008 नरोत्तम शीर्षक के साथ कुछ स्थानीय समाचार पत्रों में एक समान रिपोर्ट छपी थी जिसे चुनाव आयोग ने कथित तौर पर कानून का उल्लंघन माना था और 2017 में उन्हें चुनाव लड़ने से रोक दिया था। हालांकि, हाई कोर्ट से राहत मिलने के बाद 2018 में उन्होंने चुनावी मैदान में अपनी किस्मत आजमाई थी। छह बार के विधायक नरोत्तम मिश्रा 2018 के विधानसभा चुनाव में महज 2,600 वोट से विजयी हुए थे।

2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने जीत हासिल की और कमलनाथ को मुख्यमंत्री बनाया गया। हालांकि, मार्च 2020 में महज 14 महीने के अंतर में ही कमलनाथ सरकार गिर गई थी, क्योंकि ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके वफादार विधायकों ने कांग्रेस को अलविदा कहते हुए भाजपा का दामन थाम लिया था।
ज्योतिरादित्य सिंधिया समेत कांग्रेस के 3 दर्जन से अधिक विधायकों को भाजपा में शामिल कराने के लिए ऑपरेशन लोटस चलाया गया था और इसकी सफलता में नरोत्तम मिश्रा ने अहम भूमिका अदा की थी।

नरोत्तम मिश्रा की बढ़ती लोकप्रियता ने उन्हें मध्य प्रदेश में ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय राजनीति में भी एक महत्वपूर्ण ब्राह्मण चेहरे के तौर पर स्थापित किया है, तभी तो 2019 के लोकसभा चुनाव के दरमियां भाजपा के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के नेतृत्व में उन्हें ब्राह्मण वोटबैंक को ध्यान में रखते हुए कानपुर सीट का प्रभार सौंपा गया था और इसके बाद वह मध्य प्रदेश से भाजपा के प्रमुख नेताओं में शुमार हो गए। नरोत्तम मिश्रा ने प्रदेश में ही शिक्षा दीक्षा ग्रहण की। उन्होंने ग्वालियर के जीवाजी विश्वविद्यालय से एमए और पीएचडी की डिग्री हासिल की। इस बीच, उनका जुड़ाव छात्र संघ से हो गया था और देखते ही देखते 1977 में उन्हें छात्र संघ का सचिव बना दिया गया। साल 1978 से 1980 के बीच में नरोत्तम मिश्रा मध्य प्रदेश भाजयुमो के राज्य कार्यकारी निकाय के सदस्य बन गए। नरोत्तम मिश्रा ने डबरा सीट से साल 1993, 1998 और 2003 का विधानसभा चुनाव लड़ा। हालांकि, 1993 के चुनाव में उन्हें जीत नहीं मिली थी। (हिफी)

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)

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