लेखक की कलमसम-सामयिक

भारत की माटी का कर्ज उतार रहे मोदी

 

हम अपने देश भारत को माता की संज्ञा देते हैं। इसका कारण है कि जैसे हमारे ऊपर माता-पिता का ऋण होता है, उसी तरह उस देश का भी ऋण रहता है जहां हम पैदा हुए, पले-बढ़े और समर्थ होकर अपने कदमों पर खड़े हुए। माता और पिता दोनों महान हैं लेकिन माता का दर्जा पिता से इसलिए ऊंचा हो जाता है क्योंकि जितना कष्ट सहन करके माता बच्चे को जन्म देती है, उतना कष्ट पिता नहीं उठाता। भारत माता ने अपने जिन बेटे-बेटियों को इतना समर्थ बनाया है जो आज देश की व्यवस्था का निर्धारण करते हैं तो उनका भी माटी का कर्ज उतारने का दायित्व बनता है। प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से देश के नेताओं ने यह प्रयास किया है लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मेरी माटी-मेरा देश अभियान चलाकर सभी देशवासियों को यह संदेश दिया कि भारत माता का आपके ऊपर जो कर्ज है, उसे उतारने के लिए इस देश की एकता, अखंडता और समृद्धता को कायम रखने मंे पूरी ईमानदारी से प्रयास करना होगा। पीएम मोदी कहते हैं कि भारत के युवा संगठित होकर हर लक्ष्य प्राप्त कर सकते हैं, इसका प्रत्यक्ष उदाहरण मेरी माटी-मेरा देश अभियान है। इस अभियान मंे गांव-गांव, गली-गली से करोड़ों लोेग जुड़े और अपने आंगन व खेत की मिट्टी अमृत कलश मंे डाली। यह कलश हमंे उस कर्ज की याद दिलाता रहेगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 31 अक्टूबर को दिल्ली के कर्तव्य-पथ पर मेरी माटी मेरा देश अमृत कलश यात्रा के समापन कार्यक्रम में शामिल हुए। पीएम मोदी ने देशभर से लाई गई मिट्टी को भारत कलश में डालकर वीरों और वीरांगनाओं को श्रद्धांजलि दी। पीएम मोदी ने उसका तिलक भी लगाया। इस दौरान उन्होंने मेरा युवा भारत पोर्टल भी लॉन्च किया। पीएम ने कहा- श्जो माटी का कर्ज चुका दे, वही जिंदगानी है। इसलिए जो अमृत कलश यहां आए हैं, इनके भीतर मिट्टी का हर करण अनमोल है।श् पीएम मोदी ने इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए देशभर से आए हजारों अमृत कलश यात्रियों को संबोधित किया। उन्होंने कहा, जैसे दांडी यात्रा शुरू होने के बाद देशवासी उससे जुड़ते गए, वैसे ही आजादी के अमृत महोत्सव ने जनभागीदारी का ऐसा हुजूम देखा कि नया इतिहास बन गया। पीएम ने ‘मेरा युवा भारतश् संगठन की नींव रखे जाने का जिक्र करते हुए कहा कि 21वीं सदी में राष्ट्र निर्माण के लिए यह बहुत बड़ी भूमिका निभाने वाला है। उन्होंने कहा कि बड़ी-बड़ी सभ्यताएं समाप्त हो गईं, लेकिन भारत की मिट्टी में वह चेतना और प्राण शक्ति है, जिसने इस राष्ट्र को अनादि काल से आज तक बचा कर रखा है। मोदी ने कहा, ‘‘यह वह माटी है, जो देश के कोने-कोने से आत्मीयता और आध्यात्मिक हर प्रकार से हमारी आत्मा को जोड़ती है। इस मिट्टी की सौगंध खाकर हमारे वीरों ने आजादी की लड़ाई लड़ी। देशभर के कोने से जो मिट्टी यहां पहुंची है, वह हमें कर्तव्य भाव की याद दिलाती रहेगी। यह मिट्टी विकसित भारत के हमारे संकल्प के सिद्धि के लिए और अधिक परिश्रम को प्रेरित करती रहेगी।

प्रधानमंत्री ने कहा कि अमृत महोत्सव ने इतिहास के छूटे हुए पन्नों को भविष्य की पीढ़ियों से जोड़ दिया है। साथ ही स्वतंत्रता सेनानियों का जिला वार एक बहुत बड़ा डेटाबेस भी तैयार हुआ है। पीएम मोदी ने कहा- इस अमृत महोत्सव के दौरान भारत ने ऐतिहासिक उपलब्धियां हासिल की है। सदी के सबसे बड़े संकट कोरोना काल का सफलतापूर्वक मुकाबला किया। इसी दौरान हमने विकसित भारत का रोडमैप बनाया। भारत, दुनिया की सबसे बड़ी पांचवीं अर्थव्यवस्था बना। चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग हुई। पीएम ने कहा- जब देश आजादी के 100 साल मनाएगा, तब तक भारत को विकसित देश बनाना है। आजादी के 100 साल पूरे होने पर देश इस विशेष दिवस को याद करेगा। हमने जो संकल्प लिया, हमने आने वाली पीढ़ी से जो वादे किए, उसे हमें पूरा करना ही होगा। इसलिए हमें अपने प्रयास तेज करने हैं। इससे पहले पीएम मोदी ने अमृत कलश यात्रा की एक डिजिटल एग्जिबिशन भी देखी। देशभर के गांवों से 8500 अमृत कलशों में मिट्टी भरकर दिल्ली लाई गई है। इसे 30 अक्टूबर से कर्तव्य पथ के पास रखे भारत कलश में इकट्ठा किया गया। इस कार्यक्रम में पीएम ने अमृत वाटिका और अमृत महोत्सव स्मारक का भी उद्घाटन किया। मेरी माटी-मेरा देश’ अभियान में 36 राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों में 2,30,000 से अधिक ‘शिलापट्ट’ निर्मित किये गए हैं। इसके समर्थन में पंच-प्रण को दर्शाने वाली लगभग चार करोड़ सेल्फी सोशल मीडिया पर अपलोड की गई हैं। कार्यक्रम के दौरान वहां मौजूद सभी लोगों ने मिट्टी की पोटली को हाथ में लेकर पिछले स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री मोदी की ओर से किए गए ‘पंच प्रणों’ के आह्वान के अनुरूप भारत को 2047 तक आत्मनिर्भर और विकसित राष्ट्र बनाने के सपने को साकार करने, गुलामी की मानसिकता को जड़ से उखाड़ फेंकने और देश की समृद्ध विरासत पर गर्व करने की शपथ ली।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आजादी का अमृत महोत्सव के समापन पर कहा कि करीब 1,000 दिन का यह उत्सव जन आंदोलन बन गया। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम ने लाखों परिवारों और गांवों को याद दिलाया कि स्वतंत्रता आंदोलन में उनकी भी भूमिका थी क्योंकि इसमें उन गुमनाम नायकों को श्रद्धांजलि दी गई जिनके नाम पर अब स्मारक बनाए गए हैं, भले ही उनका इतिहास की किताबों में उल्लेख न किया गया हो। राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधियों की ओर से एक भारत-श्रेष्ठ भारत की भावना को प्रतिबिंबित करते हुए विभिन्न हिस्सों की मिट्टी दिल्ली लाई गई है। प्रधानमंत्री ने इस कार्यक्रम के दौरान अमृत वाटिका और अमृत महोत्सव स्मारक का उद्घाटन किया और देश के युवाओं के लिए ‘मेरा युवा भारत’ मंच की शुरुआत भी की।

मोदी ने कहा, 1,000 दिनों की अवधि में देश ने कोविड महामारी का सफलतापूर्वक मुकाबला करने, विकसित भारत का खाका तैयार करने, पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने, चंद्रयान -3, एशियाई खेलों और एशियाई पैरा खेलों में 100 से अधिक पदक जीतने, नया संसद भवन तैयार करने और महिला आरक्षण विधेयक को पारित करने जैसी कई उपलब्धियां हासिल की। उन्होंने कहा, हमने राजपथ से कर्तव्य पथ तक की यात्रा भी पूरी की। हमने गुलामी के कई प्रतीकों को हटाया और आजाद हिंद सरकार के पहले प्रधानमंत्री सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा कर्तव्य पथ के एक छोर पर स्थापित की गई।
मोदी ने कहा कि जिस प्रकार देश का कोई भी क्षेत्र या समुदाय स्वतंत्रता संग्राम से अछूता नहीं रहा, उसी प्रकार देश ने अमृत महोत्सव को हर किसी का त्योहार बनाया। अमृत महोत्सव का सबसे सकारात्मक प्रभाव युवा पीढ़ी पर पड़ा है, जिन्होंने गुलामी का अनुभव नहीं किया है। उन्होंने कहा कि अमृत महोत्सव ने लोगों को यह भी याद दिलाया कि विदेशी शासन के दौरान संघर्षों या आंदोलन से कोई भी वर्ग या क्षेत्र अछूता नहीं था। (हिफी)

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)

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