युद्ध से निकलती मानव सभ्यता के पतन की कहानी
एक ओर रूस और यूक्रेन युद्ध को चलते हुए करीब 16 माह बीत चुके है वहीं ताजा घटनाक्रम में इजरायल तथा हमास में चल रहे युद्ध को 6 सप्ताह से अधिक का समय हो चुका है। इस युद्ध की शुरुआत 7 अक्तूबर को हुई थी, जब हमास के लड़ाकों ने गाजा पट्टी से इजरायल के क्षेत्रों में जाकर 1400 के लगभग इजरायली नागरिकों, जिनमें बच्चे तथा महिलाएं भी शामिल थीं, को मार दिया था तथा 240 के लगभग इजरायलियों को वे बंदी बना कर गाजा पट्टी ले गये थे। सीरिया मंे घमासान अलग से चल रहा है। यह विनाश की कहानी है।
गाजा पट्टी पर विगत कई वर्षों से इस्लामिक जेहाद समर्थित संगठन हमास का कब्जा है। उसे ईरान तथा कुछ अन्य अरब देशों का समर्थन प्राप्त है तथा उसने इजरायल को नेस्त-ओ-नाबूद करने की घोषणा भी की हुई है। इसी क्रम में उसकी ओर से यह हमला किया गया था। इस हमले की प्रतिक्रिया स्वरूप इजरायल के प्रधानमंत्री वैंजामिन नेतन्याहू ने घोषणा की थी कि वह गाजा पट्टी से हमास के प्रभाव को पूरी तरह समाप्त कर देंगे। जिस तरह उन्होंने गाजा पट्टी के दक्षिणी भाग में लगातार बम बरसा कर उसका विनाश किया है तथा जिस तरह अब तक इन हमलों में हजारों की जान चुकी है, उसके दृष्टिगत संयुक्त राष्ट्र सहित विश्व के ज्यादातर देश इस युद्ध को खत्म करने के लिए यत्नशील हुये हैं। भारत का प्रयास विशेष रूप से हो रहा है।
आखिर मानव सभ्यता व विकास के सभी मानक क्या हम इंसानों को यहां इस मोड़ पर ले जाने के लिए ही तैयार कर रहे हैं? फिर हजारों साल पहले कबीलों के और आज के कथित विज्ञान के युग के शिक्षित मानव के जीवन में क्या परिवर्तन हो पाया? सिर्फ इतना भर कि पहले जमीन पर हाथ से निर्मित तीर कमान से खून की प्यास बुझाने का चलन था, आज मिसाइल दाग कर यह भूख मिटाई जा रही है?
कुछ सप्ताह पूर्व इजरायल ने गाजा पट्टी में रहते फिलिस्तीन के आम नागरिकों को राहत देते हुए दक्षिणी क्षेत्र छोड़ जाने तथा उत्तर की ओर जाने के लिए कहा था, इसके बाद अब तक 15 लाख के लगभग फिलिस्तीनी बेहद दयनीय स्थिति में गाजा पट्टी के उत्तरी क्षेत्रों में चले गये थे परन्तु अपनी पहली घोषणा के विपरीत इजरायल ने इन क्षेत्रों में भी अपनी बमबारी जारी रखी हुई है। इजरायल ने गाजा के सबसे बड़े अस्पताल को भी घेर कर वहां बम बरसाये हैं, क्योंकि वह घोषणा करता आ रहा है कि हमास अपना मुख्य कार्यालय इस अस्पताल के तहखानों से चला रहा है। इस तरह इस हमले में सैकड़ों ही मरीज, जिनमें बच्चे एवं महिलाएं भी शामिल हैं, मारे गये हैं।
हालात ये बन गये हैं कि लाखों ही शरणार्थियों के लिए पानी, खाद्य आपूर्ति तथा अन्य मूलभूत सुविधाएं पूरी खत्म होती जा रही हैं। संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी ने फिलस्तीनी शरणार्थियों की बेहद पीड़ादायक स्थिति को ब्यान करते हुये यहां तक कहा है कि इस समय एक स्थान पर 160 लोगों के लिए केवल एक ही शौचालय उपलब्ध है। संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी के पास तेल खत्म हो गया है, जिस कारण रात को हर तरफ अन्धेरा छा जाता है। लगातार किये जाते हमलों के कारण लोग भूख तथा प्यास से मरते जा रहे हैं। उन्हें एक डबल रोटी लेने के लिए भी घंटों तक कतारों में खड़ा होना पड़ता है। गलियां, बाजार दूषित पानी से भर गये हैं। नलों में पीने योग्य पानी नहीं आ रहा, न ही कहीं और जगह से किसी तरह की सहायता प्राप्त हो रही है। पैदा हुये इन हालात से इस युद्ध में घिरे लाखों लोगों के लिए बेहद दयनीय होती जा रही स्थितियों का अनुमान लगाया जाना कठिन नहीं है।
पहले भारत अक्सर फिलिस्तीनियों के पक्ष में खड़ा होता रहा है। उसने हमेशा ही दो आजाद देशों का समर्थन किया है परन्तु अब अन्तर्राष्ट्रीय मंच पर उसके व्यवहार को सन्तोषजनक नहीं कहा जा सकता। भारत सहित विश्व भर के सभी देशों की इस समय मुख्य प्राथमिकता युद्ध खत्म करवा कर लाखों ही लोगों को इस दयनीय हालत से बाहर निकालने की होनी चाहिए। चाहे अमरीका तथा ज्यादातर यूरोपियन देश इस समय इजरायल के साथ खड़े दिखाई दे रहे हैं परन्तु गाजा पट्टी में बन रहे ऐसे हालात व्यापक विनाश का सन्देश हैं। इस तरह के हालात में इस क्षेत्र में स्थायी शांति तथा स्थिरता की उम्मीद नहीं की जा सकती, अपितु यह घटनाक्रम और भी भयावह स्थितियों को जन्म देने वाला सिद्ध हो सकता है। इस युद्ध के शीघ्र खत्म होने से ही विकराल होती जा रही इस मानवीय त्रासदी को रोका जा सकेगा, जो अंत में इस क्षेत्र में स्थिरता की साक्षी बन सकेगी।
लगता है इंसान पहले भी सबसे खतरनाक जानवर था और आज भी अपने उसी स्वरूप को पाने की दिशा में बढ़ने के लिए अभिशप्त है। (हिफी)
(मनोज कुमार अग्रवाल-हिफी फीचर)