लेखक की कलमसम-सामयिक

योगी के एक और सपने को परवान

 

¨ बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर बनेगा
¨ काशी अयोध्या के बाद कृष्ण जन्म भूमि का भी होगा विस्तार
¨ कबीर व बुद्ध की नगरी को भी भव्य रूप

उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ का एक और सपना साकार होने जा रहा है। काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के बाद मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम की जन्मस्थली अयोध्या को विश्व स्तरीय धार्मिक नगरी बनाने के बाद अब मथुरा में भगवान कृष्ण की जन्म भूमि पर भी कॉरिडोर बन जाएगा। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मथुरा-वृंदावन ठाकुर बांके बिहारी मंदिर के प्रस्तावित कॉरिडोर की सरकारी योजना को हरी झंडी दे दी है। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को कानूनी प्रक्रिया का पालन करते हुए दर्शन प्रभावित किए बगैर अपने धन से लोक व्यवस्था, जन स्वास्थ्य, सुरक्षा व जन सुविधा प्रदान करने का अपना वैज्ञानिक दायित्व पूरा करनेका आदेश दिया है।हाईकोर्ट ने अपने फैसले में साफ कहा कि मंदिर के बैंक खाते में जमा 262.50 करोड़ रूपये को न छुआ जाये। इसके साथ ही मंदिर प्रबंधन में हस्तक्षेप न हो, किंतु कोर्ट ने मंदिर प्रबंधन को भी कहा है कि किसी भी श्रद्धालु को दर्शन करने को प्रतिबंधित न करें। जिला प्रशासन आदेश का पालन सुनिश्चित कर अगली सुनवाई की तिथि 31 जनवरी 24 को अपनी रिपोर्ट पेश करें। कोर्ट ने कहा है कि संविधान के अनुच्छेद 25 व 26 में मिला धार्मिक अधिकार पूर्ण नहीं हैं।

ये मौलिक अधिकार कुछ हद तक लोक व्यवस्था के अधीन हैं। ऐसे में उचित अवरोध लगाया जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि लोकहित का कार्य पंथनिरपेक्षता का क्रियाकलाप है। कोर्ट ने कहा है कि सरकार तकनीकी विशेषज्ञ की सहायता से गलियों का अतिक्रमण हटाकर कोरिडोर योजना अमल में लाये। कोर्ट ने कहा है कि सरकार यह देखे कि दोबारा अतिक्रमण न हो। यह आदेश चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर और जस्टिस आशुतोष श्रीवास्तव की खंडपीठ ने अनंत कुमार शर्मा व अन्य की जनहित याचिका पर दिया है। याचिका पर अधिवक्ता श्रेया गुप्ता, सेवायतों की तरफ से संजय गोस्वामी, राज्य सरकार की तरफ से महाधिवक्ता अजय कुमार मिश्र, अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल व मुख्य स्थाई अधिवक्ता कुणाल रवि आदि ने बहस की। गोस्वामियों की तरफ से याचिका की पोषणीयता पर आपत्ति की गई और कहा गया कि यह निजी मंदिर है, सरकार को इसके प्रबंधन में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है, किंतु उन्होंने यह भी कहा कि यदि सरकार मंदिर के बाहर कॉरिडोर योजना बनाती है तो उन्हें आपत्ति नहीं है। मंदिर के चढ़ावे को सरकार न ले। अपने धन से खर्च करें।

गौरतलब है कि जनहित याचिका पर्व के समय होने वाली पांच लाख की भारी भीड़ व अव्यवस्था से श्रद्धालुओं की मौत की घटना को देखते हुए लोक व्यवस्था व सुविधाएं मुहैया कराने की मांग को लेकर दायर की गई है. कुंज गली व कुछ पौराणिक महत्व के मंदिरों को नुक्सान न पहुंचाने व पुरातात्त्विक महत्व को बरकरार रखने की भी कुछ सेवायतों की तरफ से दलील दी गई और 31 मार्च 1939 की कोर्ट डिक्री का भी हवाला दिया गया।

इसी क्रम में कबीर व बुद्ध की नगरी को भी भव्य रूप दिया जा रहा है। बस्ती जनपद को पौराणिक और सांस्कृतिक स्थलों का संगम कहा जाता है। गुरु वशिष्ठ की धरती कहे जाने वाले बस्ती जनपद में कभी गौतम बुद्ध और संत कबीर दास भी रहा करते थे। गौतम बुद्ध कपिल वस्तु में तो वहीं कबीर दास जी मगहर में रहा करते थे जहां काफी दूर से पर्यटक आए करते थे लेकिन समय बीतने के साथ ही 1988 में पहले सिद्धार्थनगर और फिर 1997 में संतकबीरनगर बस्ती जनपद से अलग हो गया. जिसका नतीजा यह हुआ कि बस्ती जनपद पर्यटन की दृष्टि से काफी पीछे हो गया। अब आस बची थी तो सिर्फ भगवान राम से, फिर क्या था वक्त बदला सरकारें बदली और फिर भगवान राम ने बस्ती जनपद के विकास का जिम्मा अपने ऊपर उठाया।

धर्मनगरी अयोध्या में राम मन्दिर निर्माण के साथ ही बस्ती जनपद का भी चैतरफा विकास शुरू हुआ। गुरु वशिष्ठ की धरती बस्ती के बिना भगवान राम की कल्पना भी नहीं की जा सकती क्योंकि यहीं के मखौड़ा धाम में पुत्र कामेष्टी यज्ञ के बाद ही भगवान राम का अवतरण अयोध्या में हुआ था। उसी का नतीजा है जहां भगवान राम का नाम आता है तो वहां बस्ती जनपद के इस मखौड़ा धाम नामक स्थान का नाम जरूर आता है। साथ ही बस्ती जनपद भगवान राम की बहन माता शांता का निवास, गुरु वशिष्ठ का निवास, घृध नाला, राम जानकी मार्ग, राम रेखा नदी, भगवान राम का शिक्षण स्थल आदि स्थित है जिसका विकास भी अयोध्या के साथ-साथ काफी तेजी से हो रहा है।

सरकार द्वारा भगवान राम से जुड़े सभी स्थलों का विकास भी तेजी से किया जा रहा है। उसी क्रम में बस्ती जनपद में इन सब स्थलों का भी विकास किया जा रहा है. जिससे आने वाले समय में बस्ती जनपद धर्म नगरी अयोध्या के बाद पर्यटन के रूप में अपनी अहम भूमिका निभाएगा।

साथ ही यहां पर तेजी से विकास और रोजगार के अवसर भी लोगों के लिए उपलब्ध हो सकेंगे। माना जाता है कि बस्ती जनपद का लगभग आधा भाग भगवान राम के राज्य का हिस्सा हुआ करता था। लिहाजा जहां भी भगवान राम का जिक्र आएगा वहां बस्ती जनपद का जिक्र जरूर होगा।

शासन के मंशानुरूप सांस्कृतिक और पौराणिक स्थलों का विकास किया जा रहा है जिसके क्रम में बस्ती जनपद में भी मखौड़ा धाम, श्रृंगीनारी मंदिर, राम रेखा नदी, बढ़नी गांव स्थित गुरु वशिष्ठ का आश्रम स्थल, 84 कोसी परिक्रमा मार्ग, अयोध्या रिंग रोड आदि स्थलों का विकास किया जा रहा है। विकास हो जाने से बस्ती जनपद के लाखों युवाओं को प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलेगा। राम, कृष्ण और बुद्ध की यह धरती दुनिया भर के लोगों को खींच कर उत्तर प्रदेश ले आएगी। (हिफी)

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)

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