राजनीतिलेखक की कलम

यूपी में सियासी लघु समर

 

योगी आदित्यनाथ तो पूरी तरह से आश्वस्त हैं और राजस्थान मंे भी उन्हांेने बुलडोजर की दहाड़ लगाई है। बसपा प्रमुख मायावती ने अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा कर रखी है। फिर भी चुनाव के समय क्या समीकरण बनते हैं, यह अभी कहना मुश्किल है। सपा, बसपा दोनों संगठन को मजबूत कर रहे हैं। भाजपा तो अपनी सीट बरकरार रखने का प्रयास करेगी।

राजनीति में उत्तर प्रदेश का विशेष महत्व है। देश को सबसे ज्यादा सांसद (80) यहीं से मिलते हैं। इसलिए छोटा सा सियासी समर भी सभी का ध्यान खींचता है। विपक्षी दलों के महागठबंधन इंडिया का यूपी में क्या प्रभाव रहेगा, इसकी परीक्षा शीघ्र होने वाली हैं। प्रदेश की राजधानी लखनऊ में विधायक आशुतोष टण्डन उर्फ गोपाल जी का बीमारी के चलते निधन हो गया है। लखनऊ पूर्वी विधानसभा सीट भाजपा की गढ़ बतायी जाती है। हालांकि यहां से मुख्य मुकाबले मंे समाजवादी पार्टी ही रही है। इसलिए अखिलेश यादव के उम्मीदवार को विपक्षी दलों का कितना समर्थन मिलेगा, यह देखना भी दिलचस्प रहेगा। इंडिया गठबंधन के सबसे बड़े घटक कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने जिस तरह से बयान दिये और सपा नेताओं ने उसी भाषा मंे जवाब दिया, उससे लगता है कि इस शीत युद्ध का असर उपचुनाव पर भी दिखाई देगा। योगी आदित्यनाथ तो पूरी तरह से आश्वस्त हैं और राजस्थान मंे भी उन्हांेने बुलडोजर की दहाड़ लगाई है। बसपा प्रमुख मायावती ने अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा कर रखी है। फिर भी चुनाव के समय क्या समीकरण बनते हैं, यह अभी कहना मुश्किल है। सपा, बसपा दोनों संगठन को मजबूत कर रहे हैं। भाजपा तो अपनी सीट बरकरार रखने का प्रयास करेगी।

भाजपा विधायक आशुतोष टंडन के निधन से खाली हुई लखनऊ पूर्वी विधानसभा सीट पर जल्द उपचुनाव कराया जा सकता है। आशुतोष टंडन उर्फ गोपालजी का निधन 9 नवंबर को लखनऊ के मेदांता अस्पताल में हो गया था। तब से पूर्वी विधानसभा सीट खाली घोषित हो गई थी। आशुतोष टंडन कैंसर की बीमारी से जूझ रहे थे। खाली हुई सीट पर चुनाव लड़वाने के लिए बीजेपी ने प्रत्याशी की तलाश शुरू कर दी है। सबसे पहला नाम लालजी जी टंडन के बेटे और गोपालजी के भाई अमित टंडन का है। अमित टंडन पिछले कुछ दिनों से काफी सक्रिय हैं। गोपालजी के बाद अमित टंडन ही उनका कामकाज देख रहे थे।

बीजेपी प्रदेश उपाध्यक्ष संतोष सिंह के नाम पर भी विचार कर रही है। संतोष सिंह ब्रज क्षेत्र के प्रभारी भी हैं। उन्होंने राजनीति की शुरुआत छात्रसंघ से की थी। अंदरखाने में पूर्व उपमुख्यमंत्री और वर्तमान में राज्यसभा सदस्य दिनेश शर्मा को भी चुनाव लड़वाया जा सकता है। लखनऊ पूर्वी की सीट बीजेपी के लिए सबसे सुरक्षित मानी जाती है। पूर्व में दिनेश शर्मा पूर्वी सीट से चुनाव लड़ना चाहते थे।

लखनऊ में आम कार्यकर्ताओं की जुबान पर नीरज सिंह का नाम भी चल रहा है। नीरज सिंह रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के छोटे बेटे हैं। पिता के केंद्रीय राजनीति में सक्रिय होने की वजह से नीरज सिंह लखनऊ लोकसभा क्षेत्र की जनता की समस्याओं में दिलचस्पी लेते हुए अक्सर पाए जाते हैं। बीजेपी ने 1991, 1993, 1996 ,2002, 2007, 2012 ,2017 और 2022 में जीत दर्ज की है। आशुतोष टंडन से पहले कलराज मिश्र भी लखनऊ पूर्वी विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।

भाजपा अपनी इस सीट को बरकरार रखने का पूरा प्रयास करेगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गत दिनों राजस्थान विधानसभा चुनाव प्रचार के लिए जोधपुर पहुंचे, जहां कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने जहां कांग्रेस पर तुष्टिकरण की राजनीति करने का आरोप लगाया तो वहीं बुल्डोजर का जिक्र करते हुए कहा कि जिस तरह जोधपुर में दंगाई तलवारें लहरा रहे थे अगर यूपी होता तो मेरा बुलडोजर उन्हें रौंदकर ठीक कर देता। सीएम योगी आदित्यनाथ ने जोधपुर सूरसागर और सरदारपुरा विधान सभा क्षेत्र जनसभाओं को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा, जब जोधपुर की सड़कों में नंगी तलवारें लहरा रही थी और दंगाई दंगा कर रहे थे। तब मैं सोच रहा था कि अगर ये दंगाई यूपी में होते तो मेरा बुलडोजर इनको रौंदकर अब तक ठीक कर दिया होता। जाहिर है कि योगी को अपनी जीत का भरोसा है।

उधर, विपक्ष कलहग्रस्त है। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी द्वारा अपने उम्मीदवार घोषित करने के बाद कांग्रेस और सपा के बीच कलह मची हुई है। समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के नेता एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं। सपा नेता और पूर्व मंत्री मनोज राय धूपचंडी ने यूपी कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय पर निशाना साधा है। सपा नेता ने अजय राय की तरफ से अखिलेश यादव पर की गई टिप्पणी को लेकर पलटवार किया। सपा नेता मनोज राय धूपचंडी ने कहा है कि मध्य प्रदेश नहीं अजय राय पहले उत्तर प्रदेश संभाले खुद लगातार हार रहें हैं। वहीं सपा नेता के बयान के बाद प्रदेश की राजनीति में हलचल तेज हो गई। इससे पहले अखिलेश के चाचा शिवपाल यादव भी कांग्रेस पर हमलावर होते हुए कह चुके थे कि कांग्रेस अपने छोटे नेताओं पर रोक लगाए। बता दें कि यह पूरा विवाद मध्य प्रदेश विधानसभा के चुनाव में सीट शेयरिंग को लेकर खड़ा हुआ था।

समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कार्यकर्ताओं को उत्तर प्रदेश की सभी 80 लोकसभा सीटों पर चुनाव की तैयारी करने के निर्देश देते हुए 65 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े करने के संकेत दिए। सपा के राष्ट्रीय सचिव और पार्टी प्रवक्ता राजेंद्र चैधरी ने मीडिया को बताया कि वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव की रणनीति और अन्य विषयों पर चर्चा के लिए यहां पार्टी राज्य मुख्यालय में सपा प्रदेश कार्यकारिणी की अहम बैठक हुई। उन्होंने बताया, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कार्यकर्ताओं से कहा कि वे प्रदेश की सभी 80 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी करें। इनमें से 65 सीटें समाजवादी पार्टी जीतनी चाहिए। इस सवाल पर कि क्या अखिलेश ने यह कहकर उत्तर प्रदेश की 65 सीटों पर चुनाव लड़ने के संकेत दिए हैं, चैधरी ने कहा, हां, उन्होंने यही संकेत दिए हैं। चैधरी के मुताबिक, अखिलेश ने बैठक में कहा कि कोई भी गठबंधन सपा के सहयोग के बिना उत्तर प्रदेश में चुनाव नहीं जीत सकता है, इसलिए सपा कार्यकर्ता प्रदेश की सभी 80 सीटों के लिए तैयारी करें। इस सवाल पर कि क्या बैठक में विपक्ष के दलों के गठबंधन इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलांयस (इंडिया) के बारे में भी कोई बात हुई, सपा प्रवक्ता ने कहा की अखिलेश ने कहा है कि जब सीटों के बंटवारे पर बातचीत होगी तब देखा जाएगा।

सपा प्रवक्ता चैधरी ने बताया कि सपा की नवगठित प्रदेश कार्यकारिणी की पहली बैठक में आगामी लोकसभा चुनाव, जाति जनगणना और पीडीए (पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक) के बीच सपा की पैठ को और मजबूत करने समेत विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की गई। बैठक में करीब 500 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। सपा द्वारा जारी एक बयान के मुताबिक, अखिलेश ने प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक में कहा कि आगामी लोकसभा चुनाव आने वाली पीढ़ियों के भविष्य को भी तय करेगा और देश में लोकतंत्र और संविधान बचाने का यह अंतिम चुनाव होगा। उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं को आगाह करते हुए कहा, मौजूदा बीजेपी सरकार शासन-प्रशासन का दुरुपयोग कर चुनाव को प्रभावित करने की कोशिश करेगी लिहाजा पार्टी के कार्यकर्ता इसकी निगरानी में लग जाएं। अब पूर्वी लखनऊ के उपचुनाव से उनकी ताकत का पता चलेगा। (हिफी)

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)

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