काम के घंटे पर नयी बहस

भारतीय दर्शन में कर्म के सिद्धांत को बहुत ही विस्तृत रूप में देखा गया है। द्वापर युग में कौरवों और पाण्डवों के बीच महाभारत की शुरुआत में महान धनुर्धर अर्जुन को जब मोह हुआ तब योगेश्वर कृष्ण ने उपदेश देकर कर्म-अकर्म और निष्काम कर्म के बारे में विस्तार से बताया। भगवान कृष्ण ने जो उपदेश दिया उसका सार यही है कि सिर्फ कर्म करना ही हमारे अधिकार क्षेत्र में है। उसका परिणाम क्या होगा यह हमारे अधिकार क्षेत्र में है ही नहीं। इसलिए जो कर्म तय हैं उनको करते रहो। वेदों में चरैवेत-चरैवेत का उद्घोष है। इसका मतलब ही है कि कर्म करते रहो। यही कर्म जब धनोपार्जन के लिए सेवा बन जाता है, तब उसके नियम कानून बनाने पडते हैं। शारीरिक-मानसिक श्रम का अलग-अलग मूल्यांकन किया जाता है। इसके लिए कार्य अवधि तय की जाती है। श्रम करने वाले और उनके श्रम से उत्पादन से फायदा लेने वाले के बीच मालिक और मजदूर का रिश्ता तभी मधुर रहता है जब दोनों एक दूसरे के प्रति सहृदय रहते हैं। कुछ काम तो ऐसे हैं जो अनवरत होते रहते हैं जैसे ट्रेन, बस और हवाई जहाज 24 घंटे चलते हैं। मीडिया भी रात दिन काम करता है। इन कर्मचारियों को सप्ताह में कितने दिन कार्य करना चाहिए ताकि उत्पादन भी भरपूर हो और श्रमिकों को शारीरिक एवं मानसिक सुकून भी मिल सके। इसी संदर्भ में उद्यमियों और एक राजनेता में बहस छिडी है। श्रमिकों की तरफ से भी बहस में भागीदारी होना चाहिए।
इंफोसिस भारत की दूसरी सबसे बड़ी आईटी कंपनी है और इसके फाउंडर नारायण मूर्ति कहते हैं कि भारतीय युवाओं को सप्ताह में 70 घंटे काम करना चाहिए। उधर, माइक्रोसॉफ्ट दुनिया की 5 बड़ी कंपनियों की लिस्ट में शुमार है। उसकी स्थापना करने वाले बिल गेट्स कहते हैं कि सप्ताह में केवल 3 दिन ही काम होना चाहिए। दो धुरंधर और सफल व्यक्तियों की राय एक-दूसरे से बिलकुल उलट है। दोनों की बात सुनकर किसी का भी सिर चकरा सकता है। जाहिर है कर्मचारी तो बिल गेट्स को ही सही मानेंगे। ऐसे में कांग्रेस के बड़े नेता और सांसद शशि थरूर ने एक बयान दिया है, जो काफी चर्चा में है।
शशि थरूर ने कहा है कि नारायण मूर्ति और बिल गेट्स दोनों को एक-साथ बैठना चाहिए। दोनों को किसी एक चीज पर कंप्रोमाइज करना चाहिए। थरूर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर ट्वीट किया, “बिल गेट्स कहते हैं कि 3 दिन का वर्क-वीक होना चाहिए। ऐसे में बिल गेट्स और नारायण मूर्ति को एक साथ बैठना चाहिए और एक चीज पर सहमत होना चाहिए। यदि ऐसा हो तो यकीनन उस (वर्किंग कल्चर) पर सहमति बनेगी, जिसे हम आज फॉलो कर रहे हैं, मतलब 5 दिन का कामकाजी सप्ताह (5 डेज वर्क वीक)।”
माइक्रोसॉफ्ट के फाउंडर बिल गेट्स ने हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान इस मुद्दे पर बात की। उन्होंने कहा कि जमाना आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) की तरफ बढ़ रहा है। एआई की मदद से हमें काम को और आसान बनाते हुए 3 दिन का सप्ताह सेट करना चाहिए। जीवन काम से बड़ा है और उसे बड़ा होना ही चाहिए। इस बात से सब लोग सहमत नहीं होंगे। एक उदाहरण सैनिकों का ही ले सकते हैं। सैनिक अगर यह सोचने लगे कि जिंदगी कर्तव्य से बडी है तब देश की रक्षा वह कैसे कर सकेगा। दूसरी तरफ जान है तो जहान है का सिद्धांत भी है। इसलिए काम करने का समय जिंदगी के अनुकूल होना चाहिए।
माइक्रोसॉफ्ट के फाउंडर बिल गेट्स का बयान इंफोसिस फाउंडर के उस बयान के बिलकुल विपरीत है, जिसमें उन्होंने भारत की तरक्की के लिए युवाओं को सप्ताह में कम से कम 70 घंटे काम करने की सलाह दी थी। हालांकि दोनों व्यावसायिक दृष्टिकोण रखते हैं । नारायण मूर्ति ने एक इंटरव्यू में कहा था कि दूसरे विश्व युद्ध के बाद जापान ने भी वही किया था। भारत को भी यदि तेजी से आगे बढ़ना है तो युवाओं को ज्यादा घंटे काम करना चाहिए। ध्यान देने की बात है कि 70 घंटे वर्किंग वीक पर नारायण मूर्ति की काफी आलोचना भी हुई थी। इसका मतलब है 10 घण्टे प्रतिदिन काम। ऐसे में परिवार के लिए कर्मचारी के पास समय ही नहीं बचेगा। परिवार में कलह होगी तो कर्मचारी पूरी लगन से कैसे काम कर सकेगा। इसीलिए खासकर काम कर रहे युवाओं ने एक्स पर मुखरता से अपनी बात रखी और कहा कि यदि ऐसा होता है तो वर्क-लाइफ बैलेंस बिलकुल गड़बड़ा जाएगा। कुछ नामचीन हस्तियों ने इस मुद्दे पर नारायण मूर्ति का साथ दिया तो कुछ ने आलोचना भी की। माइक्रोसॉफ्ट के फाउंडर बिल गेट्स के 3 दिन के सप्ताह को भी व्यावहारिक रूप से उचित नहीं कहा जा सकता। बिल गेट्स ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एआई की मदद की बात की है तो इसके फायदे के साथ नुकसान भी गिनाए जा रहे हैं। एआई के अधिक प्रयोग से शारीरिक-मानसिक श्रम का संतुलन भी बिगड सकता है। भारतीय परम्पराओं में शारीरिक-मानसिक श्रम का संतुलन बनाकर ही दिनचर्या तय की गयी थी। प्रातःकाल से ही महिलाओं और पुरुषों को क्या करना चाहिए यह तय कर दिया गया था। पाश्चात्य संस्कृति के अंधानुकरण से जीवन पद्धति बदल गयी। इससे सबसे ज्यादा असर हमारे स्वास्थ्य पर पडा है।
संभवतः इसीलिए राजनेता और बडे लेखक शशि थरूर ने इस मामले पर चर्चा छेड़ दी है। पिछले कुछ दिनों से भारत में यह मुद्दा काफी शांत था। कांग्रेस नेता ने ट्वीट किया और एक बार फिर से इसे हवा मिली।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अगस्त महीने में क्रिप्टोकरेंसी पर एक वैश्विक ढांचे और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) के नैतिक उपयोग का आह्वान किया था। उन्होंने भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) द्वारा आयोजित ‘बी 20 समिट इंडिया-2023’ में ‘अंतरराष्ट्रीय उपभोक्ता सेवा’ दिवस मनाने और कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग की मौजूदा प्रथा को छोड़कर ‘ग्रीन क्रेडिट’ को अपनाने की बात भी कही थी। बी 20 शिखर सम्मेलन का आयोजन 25 से 27 अगस्त तक किया गया था। इस सम्मेलन में लगभग 55 देशों के 1,500 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘‘आज दुनिया एआई को लेकर बहुत उत्साह दिखा रही है, लेकिन इसके बीच कुछ नैतिक विचार भी हैं। कौशल और पुनः कौशल के संबंध में पूर्वाग्रह और समाज पर इसके प्रभाव के बारे में चिंता जताई जा रही है। इन मुद्दों को भी हल किया जाना चाहिए।’’
पीएम मोदी ने उद्योग जगत और सरकारों से एआई के नैतिक उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करने का आह्वान किया था। उन्होंने कहा, ‘‘हमें उन अड़चनों को समझना होगा, जो विभिन्न क्षेत्रों में पैदा हो सकती हैं। इस समस्या को वैश्विक ढांचे के तहत हल करना होगा। डीपफेक! पिछले कुछ दिनों से इंटरनेट, अखबारों और टीवी न्यूज की दुनिया में यह शब्द सुर्खियों में है। हममें से कई लोगों ने पहली बार शायद यह शब्द सुना होगा जबकि कई पहले से इस शब्द से वाकिफ रहे होंगे। एक्ट्रेस रश्मिका मंदाना से लेकर कैटरीना कैफ और काजोल से लेकर सचिन तेंदुलकर की बेटी सारा तेंदुलकर तक। खासतौर पर सेलिब्रिटीज डीपफेक टेक्नोलॉजी का शिकार हो रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी डीप फेक को लेकर चिंता जाहिर कर दी है। यह एआई के दुरुपयोग का ही नतीजा है। खाली दिमाग शैतान का घर कहा जाता है। बिल गेट्स के 3 दिन के सप्ताहके साथ भी यह हो सकता है लेकिन 10 घंटे रोज काम करने से परिवार का संतुलन बिगड जाएगा। फाईव डे वीक ज्यादा व्यावहारिक लगता है। (हिफी)
(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)