दूरसंचार विधेयक को संसद में किया गया पेश

दूरसंचार विधेयक को संसद में किया गया पेश
नई दिल्ली। लोकसभा में पेश किया गया दूरसंचार विधेयक, 2023 का मसौदा सरकार को राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में किसी भी या सभी दूरसंचार सेवाओं या नेटवर्क को संभालने, प्रबंधित करने या निलंबित करने की अनुमति देता है। दूरसंचार विधेयक, 2023 का लक्ष्य 138 साल पुराने भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम को बदलना है जो दूरसंचार क्षेत्र को नियंत्रित करता है। इस विधेयक को संसद में पेश किया जा चुका है। इस विधेयक के बारे में बता दें कि ये स्पेक्ट्रम, लाइसेंसिंग और विवाद समाधान के आसपास प्रक्रियात्मक और संरचनात्मक प्रक्रियाओं को सरल बनाने का भी प्रयास करता है। एक बड़ा बदलाव यह है कि सरकार विभिन्न सेवाओं के लिए लाइसेंसिंग से प्राधिकरण की ओर बढ़ी है। यह प्रथा अधिकांश विकसित अर्थव्यवस्थाओं में प्रचलित है। इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आईएएमएआई), इंडियन स्पेस एसोसिएशन (आईएसपीए), ब्रॉडबैंड इंडिया फोरम (बीआईएफ) और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोवाइडर्स एसोसिएशन जैसे उद्योग निकायों ने इन प्रावधानों का दिल से स्वागत किया। इन उद्योग निकायों का कहना है कि नागरिकों की सुरक्षा, दूरसंचार के विकास के बीच का संतुलन मिलेगा।
पहली बार निजी कंपनियां इस सूची में शामिल होंगी। इस विधेयक के अधिनियम बनने के बाद वनवेब, जियो सैटेलाइट, स्टारलिंक जैसी कंपनियों को किसी भी प्रकार की नीलामी में भाग लेने के लिए सरकार द्वारा स्पेक्ट्रम आवंटित किया जाएगा। इसके लिए मूल्य निर्धारण का काम ट्राई के साथ विचार कर तय किया जाएगा।
बता दें कि यह मुद्दा सबसे विवादास्पद था क्योंकि रिलायंस जियो और वोडाफोन आइडिया जैसे दूरसंचार ऑपरेटर नीलामी के लिए कह रहे थे, जबकि ळववहसम, डपबतवेवजि, ।उं्रवद, ैजंतसपदा आदि जैसी तकनीकी कंपनियां प्रशासनिक आवंटन के पक्ष में थीं। हालांकि इन सभी कंपनियों में भारती एयरटेल एकमात्र टेलीकॉम कंपनी थी जो नीलामी के पक्ष में नहीं थी। इसी तरह ओटीटी संचार ऐप्स को विनियमन के तहत लाने का अन्य प्रमुख विवादास्पद मुद्दा दूरसंचार कंपनियों के पक्ष में नहीं गया है।
इन ऐप्स पर किसी भी अतिरिक्त नियामक या लाइसेंसिंग ढांचे या शुल्क का बोझ नहीं डाला जाएगा। वे इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय और सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा लागू मौजूदा मानदंडों के तहत ही काम करते रहेंगे। हालाँकि, विधेयक सरकार को भविष्य में आवश्यकता पड़ने पर ओटीटी को किसी भी प्रकार के विनियमन के तहत लाने के लिए अधिकृत करता है। विधेयक में दूरसंचार ऑपरेटरों के दिवालियापन और उनके द्वारा लाइसेंस शुल्क के भुगतान में चूक से संबंधित दो विवादास्पद प्रावधानों को भी हटा दिया गया है।