राजनीति में ऐसे कसी जाती है नकेल

नकेल सिर्फ घोड़ों के नहीें बल्कि आदमियों के भी कसी जाती है। अंतर सिर्फ यह होता है कि घोड़ों के मुंह मंे नकेल दिखती है और चुभती है लेकिन आदमियों के मुंह में दिखाई नहीं पड़ती लेकिन चुभती उससे कहीं ज्यादा है। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल इसी तरह की चुभन महसूस कर रहे हैं।
मामा के मिजाज दुरुस्त
मध्य प्रदेश मंे मामा के नाम से विख्यात पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान जाहिर तौर पर मोहन यादव ने मुख्यमंत्री बनने से नाराज नहीं दिख रहे थे लेकिन उनकी लाडली बहनों ने यह संदेश भाजपा आलाकमान को देने का प्रयास किया था। लाडली बहनें कह रही थीं कि मामा छोड़कर न जाओ। चैहान ने भी बयान दिया था कि मैं दिल्ली जाकर कुछ मांगने से जहर खाकर मर जाना पसंद करूंगा। भाजपा आला कमान मामा के इशारे समझ गया और उनकी हेकड़ी को सबक देते हुए दिल्ली बुलाया। मामा भी वक्त की नब्ज परख गये और कहने लगे कि संगठन उनके लिए जो काम तय करेगा, वही करेंगे।
मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चैहान को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कुछ जरूरी दिशा निर्देश के लिए दिल्ली बुलाया। इस पर शिवराज ने कहा कि राष्ट्रीय अध्यक्ष ने दिल्ली बुलाया है और संगठन जो तय करेगा वो काम करेंगे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक शिवराज 18 दिसम्बर की शाम 7.30 बजे पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष से दिल्ली में मुलाकात करने पहुंचे। इससे पहले प्रदेश में मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर प्रदेश के दिग्गज भाजपा नेता केंद्रीय नेतृत्व के साथ बैठक कर चुके थे। इस बैठक में मुख्यमंत्री मोहन यादव, प्रदेश अध्यक्ष, संगठन महामंत्री, उप मुख्यमंत्री आदि शामिल थे। इन दिग्गजों के अलावा विधायक का चुनाव हार चुके केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते भी इस बैठक में मौजूद थे। हालांकि, तब पूर्व सीएम शिवराज सिंह चैहान इस बैठक में शामिल नहीं हुए थे। इसको लेकर तरह-तरह की अटकलें लगाई जा रही थीं। इसके बाद ही शिवराज को बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने उन्हें मिलने के लिए दिल्ली बुलाया था।
दरअसल, प्रदेश में अभी तक मंत्रिमंडल सदस्यों का नाम नहीं आया है। ऐसा लगता है कि शिवराज के साथ पार्टी अध्यक्ष नड्डा बातचीत कर सकते हैं। ऐसी संभावना है कि 19 दिसंबर को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव के मंत्रिमंडल का विस्तार हो। इससे पहले मंत्रियों के नामों पर आम सहमति बनाने की कवायद चल रही है। एक दिन पहले प्रदेश के दिग्गजों की पार्टी आलाकमान के साथ मीटिंग भी हो चुकी है। इसी कड़ी में अब शिवराज सिंह चैहान को दिल्ली बुलाया गया है। (हिफी)
सीएम डाल-डाल तो सीएस पात-पात
दिल्ली मंे आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार को वहां के लेफ्टिनेंट गवर्नर (एलजी) किसी न किसी बहाने परेशान करते रहते हैं। इस समय उन्हांेने राज्य के मुख्य सचिव (सीएस) को मुख्यमंत्री (सीएम) से भिड़ा दिया। केजरीवाल की सरकार ने मुख्य सचिव पर भ्रष्टाचार के भी आरोप लगा रखे हैं। सीएस ने अपने मातहतों को भी मोर्चे मंे शामिल कर लिया है। पिछले दिनों सीएम ने दिल्ली के प्रिंसिपल सेक्रेटरी फाइनेंस आशीष चंद्र वर्मा को सदन मंे तलब किया। आशीष चन्द्र वर्मा ने लिखकर भेजा मैं छुटटी पर हूं उन्हांेने अपनी जगह निहारिका राय को सदन में भेज दिया। प्रिंसिपल सेक्रेटरी फाइनेंस की यह नाफरमानी केजरीवाल की सरकार को नागंवार गुजरी है। इसे सदन की अवमानना माना जा रहा है। देखना है कि बात कहां तक जाएगी।
दिल्ली विधानसभा ने 18 दिसम्बर को दोपहर 2 बजे दिल्ली के प्रिंसिपल सेक्रेट्री फाइनेंस को विधानसभा सदन में पेश होने का आदेश दिया था, लेकिन वह पेश नहीं हुए। दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष के मुताबिक- उन्होंने लिखकर भेज दिया है कि मैं छुट्टी पर हूं। प्रिंसिपल सेक्रेट्री फाइनेंस आशीष चंद्र वर्मा की जगह सेक्रेट्री फाइनेंस निहारिका राय दिल्ली विधानसभा सदन में आईं। आम आदमी पार्टी के विधायक इसे सदन की अवमानना बता रहे थे। दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल ने कहा कि प्रिंसिपल सेक्रेट्री फाइनेंस को 5 बजे तक का समय दिया जाता है, वरना मामला दिल्ली विधानसभा की विशेषाधिकार समिति को दे दिया जाएगा। दिल्ली विधानसभा स्पीकर ने इस बात पर आपत्ति जाहिर की है कि दिल्ली विधानसभा को डिजिटलाइज्ड करने से जुड़े प्रस्ताव को अब तक वित्त विभाग ने मंजूरी नहीं दी। विधानसभाध्यक्ष ने यह भी कहा कि क्रिसमस और दीपावली से जुड़े कार्यक्रम भी इस बार विधान भवन में नहीं हो पाए क्योंकि वित्त विभाग ने इसे मंजूरी नहीं दी है।
दूसरी तरफ चीफ व्हिप दिलीप पांडेय ने सदन के सामने प्रस्ताव रखा था कि प्रिंसिपल सेक्रेटरी फाइनेंस को दोपहर 2 बजे सदन में बुलाया जाए और उनसे यह पूछा जाए कि अब तक मंजूरी क्यों नहीं दी गयी। प्रस्ताव ध्वनि मत से पास हुआ और स्पीकर ने असेंबली सेक्रेटरी को आदेश दिया कि फाइनेंस सेक्रेटरी को दोपहर दो बजे हाउस में बुलाया जाए, लेकिन वह नहीं पहुंचे। इस मुद्दे पर सदन में स्पीकर और विपक्ष के बीच तीखी बहस भी हुई। नेता विपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी अपने कुछ मुद्दे उठाना चाहते थे, लेकिन विधानसभाध्यक्ष ने कहा कि यह मुद्दा महत्वपूर्ण है कि विधानसभा को फंड ही नहीं दिया जा रहा। उन्होंने कहा आप क्यों अधिकारियों को बचा रहे हैं? हालांकि स्पीकर को भी पता है अफसरों के सिर पर किसका वरदहस्त है। (हिफी)
(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)