बादल की बिरासत संवारेंगे सुखबीर

पंजाब में शिरोमणि अकाली दल (बादल) को मजबूत करने का बीड़ा पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के बेटे सुखवीर बादल ने उठाया है। पिछले दिनों उन्होंने विभिन्न राज्यों के सिख संगठनों को मजबूत करने के लिए नई दिल्ली मंे एक महत्वपूर्ण बैठक की थी। यह बैठक पार्टी की दिल्ली राज्य इकाई के अध्यक्ष एस. परमजीत सिंह सरना के आवास पर हुई। बैठक में पटना सहिब (बिहार) और मुंबई (महाराष्ट्र) के सिख संगत के सदस्यों की सलाह भी ली गयी। इसके बाद यह तय किया गया कि सभी राज्यों मंे शिरोमणि अकाली दल (बादल) की इंकाइयां स्थापित की जाएंगी। पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने कांग्रेस और भाजपा दोनांे की सत्ता को दरकिनार करते हुए राज्य में सरकार बनायी। भाजपा उनकी सरकार की सहयोगी पार्टी थी। केन्द्र में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार बनने के बाद भी पंजाब मंे प्रकाश सिंह बादल ने भाजपा को कोई अहमियत नहीं दी थी। केन्द्र मंे बादल की पार्टी के मंत्री भी बनाये गये लेकिन पंजाब में प्रकाश सिंह बादल ने भाजपा के कोटे से डिप्टी सीएम बनाने से मना कर दिया था। इतना ही नहीं भाजपा को चिढ़ाने के लिए अपने बेटे सुखबीर बादल को उपमुख्यमंत्री बना दिया था। बहरहाल 2017 मंे कांग्रेस ने शिरोमणि अकाली दल से सत्ता छीन ली और बादल की पार्टी तीसरे स्थान पर खिसक गयी थी। मुख्य विपक्षी पार्टी आम आदमी पार्टी बन गयी थी। इसके बाद कांग्रेस मंे भी कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिद्धू मंे तनातनी हो गयी। इसका नतीजा यह हुआ कि 2022 के विधानसभा चुनाव मंे राज्य की 117 सदस्यीय विधानसभा मंे आम आदमी पार्टी को 92 विधायक मिले। केजरीवाल की पार्टी ने भगवंत मान के नेतृत्व मंे पंजाब में सरकार बनायी। देखना यह है कि सुखवीर बादल का यह प्रयास कितना सफल रहता है क्योंकि 2024 के लोकसभा चुनाव मंे इसका परीक्षण हो जाएगा। पार्टी के भाजपा के साथ फिर से सकारात्मक संबंध बन गये हैं। उधर, राज्य की भगवंत मान सरकार को बजरिए राज्यपाल परेशान भी किया जा रहा है। राज्यपाल को सुप्रीम कोर्ट से कड़ी चेतावनी भी दी गयी।
स्व. प्रकाश सिंह बादल की पार्टी शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान पर अब तक का सबसे तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि वह भगवंत मान को सिख नहीं मानते, क्योंकि उनको सिखों का इतिहास नहीं मालूम। सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि भगवंत मान सिर्फ अपने आपको सिख दिखाने के लिए पगड़ी पहनते हैं लेकिन वह सिखों का इतिहास नहीं जानते। शिरोमणि अकाली दल चीफ ने यह बात दिल्ली में सिख समूहों के साथ एक बैठक के दौरान कही। इस दौरान उन्होंने मुस्लिम और सिख नेतृत्व के बीच आबादी की तुलना भी की। सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि देश में मुसलमानों की आबादी लगभग 18 प्रतिशत है, लेकिन उनके पास कोई नेतृत्व नहीं है।
इसका बड़ा कारण उनका एकजुट नहीं होना है।उन्होंने कहा कि सिख 2 प्रतिशत हैं, लेकिन श्री अकाल तख्त साहिब के तहत एकजुट हैं। बादल ने इस बहाने शिरोमणि अकाली दल को फिर से संगठित करने का प्रयास किया है। बता दें कि आम आदमी पार्टी साल 2022 के चुनावों में भारी जीत के साथ पंजाब में सत्ता में आई थी। पार्टी ने 117 सदस्यीय विधानसभा में 92 सीटें हासिल कर कांग्रेस को पछाड़ दिया। उसने पंजाब में 18 सीटें जीती थीं। सुखबीर सिंह बादल ने दिल्ली राज्य इकाई के अध्यक्ष एस परमजीत सिंह सरना के आवास पर श्री पटना साहिब (बिहार) और मुंबई (महाराष्ट्र) की सिख संगत के सदस्यों से मुलाकात के बाद ऐलान किया कि शिरोमणि अकाली दल सिख आबादी वाले सभी राज्यों में पार्टी इकाइयां स्थापित करेगा। सुखबीर ने समुदाय से एकजुट रहने की अपील करते हुए कहा, आप विभाजित न हों और एकजुट रहें। शिरोमणि अकाली दल सभी राज्यों में पार्टी इकाइयां स्थापित करेगा। अनुभवी अकाली नेता एस मंजीत सिंह जी अपनी पूरी जागो पार्टी टीम के साथ शिरोमणि अकाली दल में शामिल हुए। सुखबीर सिंह बादल ने कहा, मुझे यकीन है कि यह एकता न केवल सिख समुदाय को मजबूत करेगी, बल्कि हमारी सभी लंबित मांगों के समाधान का मार्ग भी प्रशस्त करेगी। उन्होंने कहा, समुदाय विभिन्न चुनौतियों का सामना कर रहा है और इसका समाधान सिर्फ शिरोमणि अकाली दल के झंडे के नीचे ही हासिल किया जा सकता है। नेताओं से अपने मतभेद भुलाकर एक झंडे के नीचे आने की अपील की थी। अमृतसर में अकाल तख्त स्थित गुरुद्वारा शहीद बाबा गुरबख्श सिंह में सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि जो लोग पंथिक सोच रखते हैं, जिनके दिल और खून में शिरोमणि अकाली दल है, शिरोमणि अकाली दल केवल एक है और जो गुट बंटवारा करना चाहते हैं, मैं उन्हें बताना चाहता हूं कि एकता में ताकत है।
उधर, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित से परेशान हैं। कुछ महीने पहले राज्य विधानसभा द्वारा पास किए पांच बिलों को मंजूरी नहीं मिली। गवर्नर को लिखे पत्र में सीएम मान ने कहा कि राज्यपाल के पास सहमति के लिए पांच बिल लंबित हैं। इस साल 19 और 20 जून को हुए बजट सत्र की बैठकों में 4 बिल पास किए गए थे। भगवंत मान ने कहा कि इससे पहले राज्यपाल के साथ हुई उनकी बातचीत के दौरान राज्यपाल ने जून 2023 में स्पीकर द्वारा बुलाए गए विशेष विधानसभा सत्र की प्रामाणिकता पर संदेह जताया था, इसी कारण अभी तक बिलों को मंजूरी नहीं दी गई। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस संबंध में माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा 10 नवंबर को अदालत में सुनाए गए आदेशों में 19-20 जून और 20 अक्तूबर, 2023 को हुई पंजाब विधानसभा की बैठकों को जायज ठहराया गया है। इस कारण पांच बिल, जो विधानसभा द्वारा जायज तौर पर पास किए गए थे, राज्यपाल के पास मंजूरी के लिए लंबित पड़े हैं।
इसी के बाद सुप्रीम कोर्ट में पंजाब सरकार की तरफ से वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि मौजूदा राज्यपाल के रहते विधानसभा का सत्र बुलाना असंभव सा है। मुख्य न्यायाधीश ने पंजाब राज्यपाल के वकील से पूछा कि यदि विधानसभा का कोई सत्र अवैध घोषित हो भी जाता है, तो सदन द्वारा पास किया गया बिल गैरकानूनी कैसे हो जायेगा? सुप्रीम कोर्ट ने यहां तक कहा कि क्या राज्यपाल को इस बात का जरा भी अंदेशा है कि वो आग से खेल रहे हैं? यदि राज्यपाल को लगता है कि बिल गलत तरीके से पास हुआ है तो उसे विधानसभा अध्यक्ष को वापस भेजा जाना चाहिए। यदि राज्यपाल इसी तरीके से बिल को गैरकानूनी ठहराते रहे तो क्या देश संसदीय लोकतंत्र बचेगा? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्यपाल राज्य का संवैधानिक मुखिया होता है, लेकिन पंजाब की स्थिति को देखकर लगता है कि सरकार और उनके बीच बड़ा मतभेद है, जो लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं होगा। सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल के वकील से पूछा कि क्या आप किसी बिल को अनिश्चितकाल के लिए रोक सकते हैं? सिंघवी ने पंजाब सरकार की तरफ से कहा था कि बिल रोकने के बहाने राज्यपाल बदला ले रहे हैं।
इन हालातों का फायदा शिरोमणि अकाली दल के नेता सुखबीर बादल उठाना चाहते हैं। (हिफी)
(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)