सम-सामयिक

दिव्य अयोध्या में सकारात्मक विचार

 

प्राण प्रतिष्ठा से पूर्व ही अयोध्या धाम में त्रेता युग की झलक दिखाई दे रही है। इसके प्रकाश से पूरा देश सुशोभित हो रहा है। देश के जन मानस ने प्रमाणित कर दिया कि उसके लिए प्राण प्रतिष्ठा का आमन्त्रण नहीं बल्कि आस्था ही सब कुछ है। इसलिए वह पूजित अक्षत और श्री राम के चित्र लेकर ही भाव विभोर है। दूसरी तरफ अपने को सेक्युलर कहने वाले नेता आमन्त्रण के प्रति सामान्य शिष्टाचार भी नहीं दिखा सके। वह देश की जनभावना को समझने में विफल रहे है क्योंकि उन्होंने केवल अपनी राजनीति और वोटबैंक पर ही ध्यान रखा जबकि आमन्त्रण किसने दिया वह महत्वपूर्ण नहीं है। महत्व इसका है कि पांच सौ वर्षो बाद भारतीय जनमानस का एक सपना साकार हो रहा है। वस्तुतः कुछ लोगों ने इस जनभावना को अस्वीकार किया है। इस समय श्री राम मन्दिर प्राण प्रतिष्ठा आमन्त्रण चर्चा में है।

अधिसंख्य लोगों ने आमन्त्रण को अपने माथे पर लगाया, कहा कि उनका जीवन धन्य हो गया। कुछ लोगों ने आमन्त्रण अस्वीकार कर दिए। कुछ लोगों ने प्राण प्रतिष्ठा समारोह में सम्मलित होने पर असमर्थता व्यक्त की। चर्चा केवल आमन्त्रण को अस्वीकार करने को लेकर अधिक है। यहां अपने को सेक्युलर कहने वाली पार्टियों की बात अलग है। उसके नेता श्री राम मन्दिर प्राण प्रतिष्ठा का आमन्त्रण स्वीकार करते तब घोर आश्चर्य की बात होती। उनका पूरा राजनीतिक अस्तित्व ही वोटबैंक सियासत पर आधारित है। उनकी सभी गतिविधियां और निर्णय इसी विचार से प्रेरित होते हैं। ऐसी पार्टियों से इस सम्बन्ध में सकारत्मक रुख की उम्मीद करना बेमानी था। अच्छा यह है कि अपवाद स्वरूप कुछ को छोड़ दें तो अन्य सभी धर्माचार्यों ने आमन्त्रण स्वीकार किए। उन्होंने प्राण प्रतिष्ठा समारोह को शास्त्रसम्मत माना है। इसलिए उन्होंने अयोध्या पहुँचने का निर्णय लिया। अनेक संत प्राण प्रतिष्ठा से पहले कई दिन के अनुष्ठान का शुभारंभ कर रहे हैं। आमन्त्रण अस्वीकार करने वालों का कहना है कि मन्दिर निर्माण पूरा नहीं हुआ। इसलिए अभी प्राण प्रतिष्ठा नहीं होनी चाहिए। पुरी के शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती महाराज हैं। उनके अनुसार निर्माणाधीन मंदिरों में मूर्ति की प्रतिष्ठा कभी नहीं होती है लेकिन यह नहीं भूलना चाहिए श्री रामलला दशकों से टाट में विराजमान थे। उनके वस्त्र और भोग के लिए न्यूनतम धनराशि ही निर्धारित थीं। टाट खराब होने पर उसे बदलना भी आसान नहीं था। इसलिए अधिकारियों को प्रार्थना पत्र देना होता था। उनके आदेश के बाद ही टाट को बदला जा सकता था। उस समय जो लोग विचलित नहीं हुए, वह अब बता रहे हैं कि अभी प्राण प्रतिष्ठा नहीं होनी चाहिए। देश मे ऐसे अनेक मन्दिर हैं जहां मन्दिर भवन और गर्भ गृह बना कर प्राण प्रतिष्ठा की गई। उसके बाद कई पीढ़ियों तक मन्दिर का भव्य निर्माण, विस्तार, सुंदरीकरण चलता रहा। अयोध्या धाम में भव्य मन्दिर तो बन गया है। गर्भ गृह पर मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा होगी। पहले टाट फिर अस्थाई कमरे में बने मन्दिर से प्रभु एक सुन्दर विस्तृत मन्दिर में आ रहे हैं। यह तो ऐतिहासिक हर्ष का अवसर है।

धर्माचार्यों को सड़क पर घसीटने पीटने वाले, धर्माचार्यों पर गोली चलवाने वाले आज शंकराचार्य के साथ दिखने का प्रयास कर रहे हैं। हजारों की संख्या में धर्माचार्य प्राण प्रतिष्ठा में पहुँच रहे है। प्राण प्रतिष्ठा पर प्रश्न उठाने वाले मात्र दो चार धर्माचार्य है। क्या माना जाए कि जो हजारों धर्माचार्य सम्मलित होंगे, उनको शास्त्रों की जानकारी नहीं है। राम भद्राचार्या तो कई दिन पहले से अयोध्या धाम में अनुष्ठान कर रहे है। उसका सीधा आरोप है कि जो धर्माचार्य सनातन के उन्मूलन ,हिन्दू धर्म को धोखा बताने, रामचरितमानस पर प्रतिबन्ध के बयानों पर मौन थे, वह प्राण प्रतिष्ठा पर सनातन और शास्त्र की बात कर रहे हैं। विपक्षी नेता भी ऐसे ही बयान दे रहे हैं। कांग्रेस के नेता दिग्विजय सिंह कहते हैं कि राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शंकराचार्य की अवहेलना करना उचित नहीं है। चारों शंकराचार्य सनातन धर्म के संवाहक हैं। उनकी बात पर गौर किया जाना चाहिए, जबकि शुभ कार्यों के आमन्त्रण के प्रति शिष्टाचार दिखाना चाहिए। उसमें जाना या ना जाना अलग विषय है। यह परिस्थितियों पर भी निर्भर करता है लेकिन ऐसे आमन्त्रण को अस्वीकार करना अशिष्टता होता है। राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कर्ण सिंह का व्यवहार प्रेरणादायक है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भी श्रीराम मंदिर अयोध्या की प्राण प्रतिष्ठा का निमंत्रण दिया गया। उन्होंने श्री राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का निमंत्रण मिलने पर अत्यंत हर्ष व्यक्त किया। राष्ट्रपति ने कहा कि वह अयोध्या आने एवं दर्शन करने का शीघ्र समय तय करेंगी।

वरिष्ठ कांग्रेस नेता कर्ण सिंह ने कहा है कि अयोध्या में श्रीराम के ऐतिहासिक प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने के लिए सुंदर निमंत्रण मिला है, यह समारोह दुनिया भर में लगभग एक अरब हिंदुओं द्वारा मनाया जाएगा। लेकिन वह स्वास्थ्य के कारणों से इसमें शामिल नहीं हो पाएंगे। श्री राम मंदिर के प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने में कोई झिझक नहीं होनी चाहिए। कर्ण सिंह ने मन्दिर निर्माण के लिए समर्पण निधि भी दी थी। उन्होंने कहा कि उनका परिवार इस अवसर पर जम्मू में हमारे प्रसिद्ध श्री रघुनाथ मंदिर में एक विशेष उत्सव का आयोजन कर रहा है। वह लोधी रोड पर अपने श्री राम मंदिर में भी छोटे पैमाने पर उत्सव का आयोजन कर रहे हैं।

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट द्वारा करीब ग्यारह हजार लोगों को निमंत्रण भेजा गया है। चार हजार संतों को भी आमंत्रित किया है और पुलिस फायरिंग में मारे गए कारसेवकों के परिवारों को भी आमंत्रित किया गया है।
काशी के पुरोहित प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को संपन्न कराएंगे। उनके साथ चार ट्रस्टी और चार पुजारी भी रहेंगे। कार्यक्रम के दौरान मंदिर में बने पांच मंडपों में अलग-अलग सोशल कम्यूनिटी के पंद्रह दंपति भी उपस्थित रहेंगे। नरेंद्र मोदी अयोध्या के श्रीरामजन्म भूमि परिसर में स्थित कुबेर नवरत्न टीला पर पक्षी राज जटायु की मूर्ति का भी अनावरण करेंगे। नरेंद्र मोदी ग्यारह दिवसीय विशेष अनुष्ठान कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जीवन के कुछ क्षण, ईश्वरीय आशीर्वाद की वजह से ही यथार्थ में बदलते हैं। आज हम सभी भारतीयों के लिए, दुनिया भर में फैले रामभक्तों के लिए ऐसा ही पवित्र अवसर है। हर तरफ प्रभु श्रीराम की भक्ति का अद्भुत वातावरण है। हमारे शास्त्रों में कहा गया है कि ईश्वर के यज्ञ, आराधना के लिए, स्वयं में भी दैवीय चेतना जाग्रत करनी होती है। इसके लिए शास्त्रों में व्रत के कठोर नियम बताए गए हैं, जिसका पालन करना होता है। इसलिए, आध्यात्मिक यात्रा के लिए कुछ तपस्वी आत्माओं और महापुरुषों से मुझे यह मार्गदर्शन मिला है।

लालकृष्ण आडवाणी ने लिखा कि नरेन्द्र मोदी रथयात्रा में मेरे सहायक थे। वे पूरी रथयात्रा में मेरे साथ ही रहे। राम ने अपने अनन्य भक्त को उस समय ही उनके मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए चुन लिया था। (हिफी)

(डॉ दिलीप अग्निहोत्री-हिफी फीचर)

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