राजनीति

मायावती का दूरदर्शी फैसला

 

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने अपने जन्मदिन (15 जनवरी) को दूरदर्शी फैसला लिया है। कई दिनों से ये अटकलें लगायी जा रही थीं कि मायावती विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया का हिस्सा बनेंगी अथवा अकेले ही चुनाव लड़ेंगी। उनको गठबंधन मंे शामिल करने के प्रयास हो रहे थे लेकिन कोई खुलकर स्वीकार भी नहीं कर रहा था। कुछ दिन पहले ही लखनऊ मंे बसपा कार्यालय के पास सपा शासनकाल मंे बनाये गये ओवर ब्रिज को लेकर बसपा प्रमुख ने सोशल मीडिया पर कमेंट किया तो उसी भाषा मंे सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने जवाब भी दिया लेकिन फिर उनके सम्मान मंे कसीदे भी पढ़े थे। इससे लगा कि शायद कुछ बात बन रही है लेकिन मायावती ने पहले ही अपनी पार्टी के सदस्यों को लोकसभा चुनाव की तैयारी का निर्देश दे दिया था। बसपा प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल ने अपनी नेता के जन्मदिन 15 जनवरी पर प्रदेश भर मंे जनसभा की तैयारी करने की योजना बनायी थी और इस तैयारी को देखकर ही मायावती ने इंडिया गठबंधन से दूर रहने का फैसला किया हैं उनको यकीन है कि गठबंधन से हटकर वे 10 सांसद तो जुटा ही लेंगी जबकि गठबंधन में उन्हंे ज्यादा सीटें नहीं मिल पाएंगी। इसके अलावा भविष्य में वह इंडिया गठबंधन और भाजपा दोनों से सौदेबाजी करने की स्थिति में होंगी।

बहुजन समाज पार्टी ने आगामी लोकसभा चुनाव अकेले लड़ने की घोषणा की है। बसपा अध्यक्ष मायावती का कहना है कि किसी पार्टी के साथ गठबंधन करने से उन्हें चुनाव में नुकसान होगा। इसलिए उन्होंने अकेले ही चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अध्यक्ष मायावती ने गरीबों, पिछड़ों और वंचित समाज को ‘वोट हमारा, राज तुम्हारा’ की शोषणकारी व्यवस्था से मुक्ति दिलाने के लिए पार्टी कार्यकर्ताओं से आगामी लोकसभा चुनाव में दोगुनी मेहनत कर पार्टी का जनाधार बढ़ाने का आह्वान किया है। मायावती ने लखनऊ में पार्टी की अखिल भारतीय बैठक में देश के विभिन्न राज्यों के वरिष्ठ पदाधिकारियों को आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारी के बारे में विस्तृत दिशानिर्देश दिये। बसपा अध्यक्ष मायावती ने कहा बसपा का प्रयास बहुजन समाज के विभिन्न अंगों को बाबा साहब आंबेडकर की सोच के मुताबिक विकसित करने की है ताकि सत्ता की मास्टर चाबी प्राप्त करके बहुजन समाज के लोग अपना उद्धार स्वयं करने योग्य बन जायें।
मायावती ने पार्टी कार्यकर्ताओं से आह्वान किया कि वे ‘दोहरी मेहनत’ से संगठन की मजबूती व जनाधार को बढ़ाएं ताकि ‘वोट हमारा, राज तुम्हारा’ की लगातार चली आ रही शोषणकारी व्यवस्था से सर्वसमाज के गरीबों एवं अन्य मेहनतकश बहुजनों को जल्द मुक्ति मिल सके। मायावती ने कहा कि चार राज्यों में अभी हाल में सम्पन्न विधानसभा चुनाव एकतरफा हो जाना एक ऐसा मुद्दा है जो चर्चा का विषय है। सवाल यह है कि क्या लोकसभा का अगला चुनाव भी इसी प्रकार के नारों और चुनावी छलावों के आधार पर लड़ा जाएगा और गरीबी, महंगाई व बेरोजगारी आदि ज्वलन्त समस्याओं से त्रस्त जनता बेबस सब कुछ देखती रहेगी या फिर उसका कोई लोकतांत्रिक समाधान भी निकलेगी।

उन्होंने कहा विपक्षी दलों को भी सचेत किया और कहा किसी भी प्रकार से चुनावी चर्चा व मीडिया की सुर्खियों में बने रहने का विरोधी पार्टियों का प्रयास देश में स्वतंत्र व निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए उचित नहीं है।
बसपा प्रमुख ने कहा कि अब आगामी लोकसभा चुनाव के दौरान भी चुनावी माहौल को जातिवादी और साम्प्रदायिक रंग में झोंककर प्रभावित करने का प्रयास किया जायेगा ताकि महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी व पिछड़ेपन से जनता का ध्यान बांटा जा सके। बसपा सुप्रीमो ने बैठक में किसी भी चुनावी गठबंधन में शामिल नहीं होने का फैसला किया और कहा कि ऐसा कोई भी तजुर्बा बहुजन आंदोलन के हित में बहुत ही कड़वा और खराब रहा है। बसपा अध्यक्ष मायावती का कहना है कि किसी पार्टी के साथ गठबंधन करने से उन्हें चुनाव में चुकसान होगा। इसलिए उन्होंने अकेले ही चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है। मायावती ने कहा, हमने उत्तर प्रदेश में अकेले दम पर चुनाव लड़ सरकार बनाई है। उसी अनुभव के आधार पर हम आम चुनाव में भी अकेले चुनाव लड़ेगी। हम किसी भी दल के साथ गठबंधन नहीं करेंगे। हमारी पार्टी गठबंधन न करके अकेले इसलिए चुनाव लड़ती है, क्योंकि पार्टी का नेतृत्व एक दलित के हाथ में है। गठबंधन करने पर हमारा वोट विपक्षी दल को मिल जाता है, लेकिन उनका वोट हमें नहीं मिलता। उदाहरण के लिए गठबंधन में सपा और कांग्रेस को फायदा मिला था। गठबंधन को लेकर हमारा अनुभव यही रहा है कि गठबंधन से हमें नुकसान ज्यादा होता है।

बसपा सु्प्रिमो कहती हैं यूपी में हमने बीएसपी सरकार में सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय की भावना से समाज के वंचित वर्ग के कल्याण के लिए अनेक जन कल्याणकारी योजनाएं शुरू कीं लेकिन अब सरकारें रोजी रोटी की गारंटी देने की बजाय सरकार थोड़ा-सा राशन देकर अपने पक्ष में लाने की कोशिश कर रही है। पिछले कुछ वर्षों से केंद्र और राज्य की सरकारों ने धर्म और संस्कृति के आड़ में राजनीति कर लोकतंत्र को कमजोर करने का काम किया है। कमजोर वर्ग अपनी भलाई के लिए बीएसपी को मजबूत बनायें। कांग्रेस, बीजेपी और अन्य दल पूरी तरह जातिवादी और पूंजीवादी तरीके से काम करने वाली हैं। अखिलेश यादव पर हमला करते हुए मायावती ने कहा, विपक्ष के इंडिया गठबंधन को लेकर सपा मुखिया ने सोची समझी रणनीति के तहत गिरगिट की तरह रंग बदला है। पिछले महीने आकाश आनंद को उत्तराधिकारी घोषित करने के बावजूद, ये प्रचारित किया जा रहा है कि बीएसपी प्रमुख संन्यास लेने वाली हैं। ये फर्जी और गलत खबर है। बीएसपी के कार्यकर्ता चुनाव में बीएसपी को जिताकर मुझे जन्मदिन का तोहफा दे सकते हैं। बीएसपी आम चुनाव में अकेले ही चुनाव
लड़ेगी। (हिफी)

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)

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