सम-सामयिक

भारत ने देखी राम की ऊर्जा

 

अयोध्या में पांच सौ साल के संघर्ष का प्रतिफल देखने को मिला जब नवनिर्मित भव्य-दिव्य मंदिर के गर्भ गृह मंे मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के पांच वर्षीय बाल्य रूप की प्रतिमा मंे प्राण-प्रतिष्ठा किया गया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी प्राण-प्रतिष्ठा समारोह के मुख्य यजमान थे। वह बहुत ही भावुक, अभिभूत और श्रद्धा से ओत-प्रोत दिख रहे थे। अयोध्या मंे हजारों लोग कार्यक्रम स्थल पर मौजूद थे तो करोड़ों लोग देश-विदेश में इस आयोजन को देख भी रहे थे। पीएम मोदी तो 11 दिन का अनुष्ठान ही कर रहे थे और आमजन राम मंदिर की चर्चा मंे व्यस्त था। दक्षिण भारत की उपासना पद्धति के अनुरूप रामलला के विग्रह से लेकर राम मंेदिर निर्माण के पक्ष मंे सर्वोच्च न्यायालय के पांच वष्ज्र्ञ पूर्व निर्णय तक पर चर्चा हुई है। इस बीच सरयू नदी मंे बहुत सा पानी बह गया। उसका जिक्र करेंगे तो मंथर गति से प्रवाहमान सरयू का भयावह घाघरा का कगार ढहाता हुआ रूप भी दिखेगा। पीएम मोदी कहते हैं कि राम आग नहीं ऊर्जा हैं। सचमुच यह ऊर्जा है जो भारत ने अब प्रत्यक्ष रूप से देखी है। इससे यह संदेश भी मिला है कि अगर लगाव है, लगन है, दृढ़ इच्छा शक्ति है तेा पांच सौ साल के संघर्ष के बाद भी लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है। हिन्दू धर्म बहुत सहिष्णु है। दया-दान इसके प्रमुख अंग हैं। इसके बावजूद अपने आराध्य के लिए वे सैकड़ों साल संघर्ष कर सकते हैं। इसके लिए जरूरत संगठन की होती है, एकता की होती है। हिन्दू संगठित हुए और भगवान राम को फिर से भव्य मंदिर मिला जिसको पांच सौ साल पूर्व मुगल सम्राट बाबर के सेनापति मीर बाकी ने ढहा दिया था और वहां एक मस्जिद बनवा दी थीं। राम की ऊर्जा ने सिर्फ मंदिर ही नहीं बनवाया बल्कि मंदिर तोड़कर बनायी गयी उस मस्जिद का भी नामोनिशन मिटा दिया। उस समय क्या कमजोरी थी जो चंद संख्या ने आतताइयों ने हमारी संस्कृति को नष्ट करने को दुस्साहस किया, इस पर भी विचार करने की आज जरूरत है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यह सत्य ही कहा है कि हमारा देश गुलामी की मानसिकता को तोड़कर खड़ा हुआ है। यही मानसिकता थी जिसने हमको लगभग एक हजार साल पहले गुलाम बनाया था। अंतिम हिन्दू सम्राट पृथ्वीराज चैहान की विशाल सेना को मोहम्मद गौरी के कुछ हजार सैनिक परास्त करने मंे कैसे सफल हो गये? इसीलिए पीएम मोदी ने याद दिलाया है कि अतीत की हर पीड़ा से साहस लेकर यह राष्ट्र खडे़े होने की क्षमता भी रखता है। यह शिक्षा हमें अपनी आगे आने वाली पीढ़ी को देना है। पीएम मोदी नक इस बात से हम सभी को सहमत होना पडे़गा कि अयोध्या मंे लम्बे संघर्ष के बाद बनाया गया प्रभु श्रीराम का भव्य-दिव्य मंदिर सिर्फ एक देव मंदिर नहीं है। यह भारत के उस दर्शन का, उस दृष्टि का मंदिर है जिसे हम देख नहीं पा रहे थे अथवा हमको देखने नहीं दिया जा रहा था। भारत को लेकर तमाम भ्रांतियां क्यों फैलायी गयीं, इसका भी आज हिसाब-किताब हो रहा है। हालांकि इसमें देश हित कम और राजनीतिक हित ज्यादा है लेकिन यह सच भी सामने आ गया कि हिन्दुओं को डरपोक साबित किया जा रहा था।
पहला डर उसी समय दूर हो गया जब अदालत ने राम मंदिर को लेकर फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवम्बर 2019 को राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद पर अंतिम फैसला सुनाया था। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि 2.77 एकड़ की जो विवादित भूमि है, वहीं रामलला की जन्मभूमि है। पुरातत्व विभाग के खनन और प्राचीन दस्तावेजों से यह प्रमाणित हुआ था। कोर्ट ने केन्द्र सरकार को आदेश दिया कि रामलला की जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के लिए एक ट्रस्ट बनाया जाए। सरकार ने ट्रस्ट बनाया। उसी ट्रस्ट ने मंदिर का गर्भ गृह और एक मंजिल का निर्माण पूरा कराकर विग्रह की प्राण-प्रतिष्ठा भी करा दी है। अभी यह मंदिर तीन मंजिल तक बनना है। अभी 13 और मंदिर बनेंगे। माता सीता से लेकर रामभक्त हनुमान तक कई देवता उनमंे विराजमान होंगे। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष स्वामी गोविन्द देवगिरि के अनुसार मंदिर निर्माण पर लगभग 1100 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं वह कहते हैं कि लगभग 1400 करोड़ रुपये पूरे मंदिर निर्माण पर खर्च होने का अनुमान है और हम लोगों अर्थात् ट्रस्ट के पास 3000 करोड़ रुपये अभी अवशेष हैं। राम मंदिर को लेकर जिस अशांति की बात कही जा रही थी, वो दूर-दूर तक नहीं दिखाई पड़ती है। इससे पहले 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से विवादित अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी करने को लेकर भी इसी तरह की अशांति की आशंका जतायी जा रही थी लेकिन मजबूत सुरक्षा व्यवस्था और दृढ़ इच्छा शक्ति के साथ नेकनियत ने किसी प्रकार की अशांति को सामने नहीं आने दिया।
इस प्रकार अयोध्या की नहीं देश भर मंे एक नये युग का आरम्भ है। यह बात हमंे समझनी होगी और इस देश मंे रहने वाले सभी लोगों को समझानी भी होगी। हमारे भारतीय दर्शन के अनुसार देवता और दैत्य एक ही पिता की संतान माने जाते हैं। इसलिए दुनिया के एकमात्र हिन्दू बहुल देश मंे दूसरे धर्मावलम्बी भी रहेंगे, उन्हंे हटाया नहीं जा सकता। भगवान राम ने भी ‘निसिचर हीन करहु महि, भुज उठाई प्रण कीन्ह’ तो कह दिया था लेकिन राक्षसराज रावण का उसकी विशाल सेना और भ्राता कुंभकर्ण, पुत्र मेघनाद आदि का वध करने के बाद भी विभीषण को लंका का राजा बनाया था। राक्षसों का राज्य होते हुए भी रामराज्य स्थापित हुआ तो हिन्दुओं की शक्ति और क्षमता का यह प्रतीक है। अयोध्या मंे निर्मित यह मंदिर हमको यह प्रेरण्साा देता रहेगा। हम मर्यादा का, धैर्य का, त्याग का और ऊँच-नीच के भेद को समाप्त करने का आचरण करके ही रामराज्य स्थापित कर सकते हैं। हम हिन्दुओं की क्षमता अपार है लेकिन मर्यादा में रहना जरूरी है। मर्यादा भंग करेंगे तो परशुराम बनकर सहस्त्रबाहु की भुजाएं भी काटनी होंगी।
राम मंदिर के नव निर्माण ने भारत के गौरव को नई ऊर्जा से भर दिया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शब्दों मंे इस मंदिर ने भारत के लिए हजारों साल की दिशा भी तय कर दी है। यह दिशा है हिन्दुओं के जागृत होने और संगठित होकर किसी भी लक्ष्य को प्राप्त करने की। भले ही इसमंे पांच सौ साल नहीं हजार साल लग जाएं लेकिन हम संघर्ष को विराम नहीं देंगे। लक्ष्य को प्राप्त ही करेंगे। (हिफी)

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)

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