हरियाणा में खट्टर की जगह सैनी राज

भारतीय जनता पार्टी भाजपा के पास आज भरपूर आत्मविश्वास है। छत्तीसगढ, मध्यप्रदेश और राजस्थान में मुख्य मंत्री बनाते समय इसकी झलक दिखी थी। इसीलिए भाजपा लोकसभा चुनाव 2024 में किसी प्रकार की कोताही नहीं करना चाहती है। हरियाणा में सर्वे के दौरान जैसे ही पता चला कि मनोहर लाल खट्टर सरकार की छवि जनता की नजर में धूमिल है तो वहां बीजेपी नेता और लोकसभा सांसद नायब सिंह सैनी को हरियाणा के राजभवन में मुख्यमंत्री पद की शपथ दिला दी गयी। पीएम मोदी ने एक दिन पहले ही उनकी जमकर तारीफ भी की थी। यही कारण है कि खट्टर को करनाल लोकसभा सीट से चुनाव भी लड़वाया जा रहा है। इससे पहले बीजेपी नेता मनोहर लाल खट्टर ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया। हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने 12 मार्च को पद की शपथ लेने के बाद कहा कि हमारा नवगठित मंत्रिमंडल पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को धन्यवाद देना चाहता है। उन्होंने हरियाणा को एक नई दिशा दी है और सुशासन का सबसे अच्छा उदाहरण दिया है। उन्होंने बिना किसी भेदभाव के राज्य में विकास कार्य किया है।
इसके पूर्व बीजेपी के विधायक दल की बैठक में कुरुक्षेत्र से बीजेपी सांसद नायब सिंह सैनी को विधायक दल का नेता चुना गया। सैनी को पिछले साल ही हरियाणा में पार्टी का अध्यक्ष बनाया गया था। हरियाणा सरकार में गृहमंत्री रहे अनिल विज इस बदलाव से नाराज बताए जा रहे हैं। चंडीगढ़ में हुई बीजेपी विधायक दल की बैठक को बीच में छोड़कर विज चले गए। इसके बाद वह शपथ ग्रहण समारोह में भी मौजूद नहीं थे। भाजपा ने हरियाणा में जेजेपी का साथ भी छोड़कर अकेले दम पर चुनाव मैदान पर उतरने का फैसला किया है।
हरियाणा में बीजेपी ने अपनी सरकार की सर्जरी कर दी है। एक ओर पार्टी ने गठबंधन की सहयोगी रहे जेजेपी से पल्ला झाड़ लिया है, वहीं सरकार का चेहरा भी बदल दिया है। लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने एक बार फिर गैर जाट ओबीसी पर दांव लगाया है। नायब सिंह सैनी के जरिये बीजेपी ने हरियाणा में गैर जाट ओबीसी को गोलबंद करने की तैयारी की है। बताया जाता है कि हरियाणा के जाट वोटर बीजेपी और मनोहर लाल खट्टर से नाराज थे। विधायक दल की बैठक में कुरुक्षेत्र के सांसद नायब सिंह सैनी के नाम पर मुहर लगी। नायब सिंह सैनी हरियाणा बीजेपी के अध्यक्ष भी हैं। वो संसद में श्रम की स्थायी समिति के सदस्य भी हैं। पिछले साल अक्टूबर में उन्हें बीजेपी का राज्य प्रमुख नियुक्त किया गया था। नायब सिंह सैनी का ओबीसी और अन्य पिछड़ा वर्ग में काफी प्रभाव है। वह आरएसएस से भी जुड़े रहे हैं। साल 1996 में नायब सिंह सैनी ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत बीजेपी संगठन में एंट्री के साथ की थी। साल 2000 तक उन्होंने यहां कामकाज किया। संगठन में वह अलग-अलग पदों पर रहे। साल 2002 में उनको अंबाला में युवा विंग का जिला महासचिव बनाया गया। साल 2005 में वो अंबाला में जिला अध्यक्ष बने। पार्टी के लिए उनके समर्पण भाव को देखते हुए साल 2009 में वो हरियाणा में बीजेपी किसान मोर्चा के राज्य महासचिव बनाए गए। साल 2012 में प्रमोशन के बाद नायब सिंह सैनी को अंबाला बीजेपी जिला अध्यक्ष बनाया गया, इस दौरान उन्होंने अलग-अलग पदों पर सेवाएं दीं।
नायब सिंह सैनी का राजनीतिक करियर तब और चमक उठा, जब वह साल 2014 में पहली बार जिला अंबाला की नारायणगढ़ विधानसभा से विधायक बने। बीजेपी ने उनको टिकट दिया और वह पार्टी के विश्वास पर खरे भी उतरे। साल 2016 में उनको हरियाणा सरकार में श्रम-रोजगार मंत्री बनाया गया। वह खान और भू-विज्ञान मंत्री और नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री भी रहे। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भी उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी और कांग्रेस प्रत्याशी निर्मल सिंह को 3 लाख 84 हजार 591 वोटों से हराकर जीत हासिल की थी। इस चुनाव में नायब सैनी को 6 लाख 88 हजार 629 वोट मिले थे, वहीं निर्मल सिंह को सिर्फ 3 लाख 84 हजार 591 वोट हासिल हुए थे।
हरियाणा की जगाधरी सीट से विधायक कंवर पाल सिंह को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है। वह इससे पहले खट्टर सरकार के मंत्रिमंडल में सामाजिक शिक्षा, विरासत पर्यटन और संसदीय मामले जैसे विभाग संभाल रहे थे। खट्टर सरकार में परिवहन, उच्च शिक्षा और खान एवं भू-विज्ञान विभाग संभालने वाले मूलचंद शर्मा को भी मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है। वह बल्लभगढ़ सीट से विधायक हैं। रनिया विधानसभा सीट से चुनकर आने वाले निर्दलीय विधायक रणजीत सिंह को भी मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है। इससे पहले वह कारागार और ऊर्जा मंत्रालय संभाल रहे थे।
हरियाणा में बीजेपी और दुष्यंत चैटाला की जननायक जनता पार्टी ने मिलकर सरकार बनाई थी। दुष्यंत चैटाला हरियाणा के डिप्टी सीएम बने थे। जेजेपी और बीजेपी के बीच गठबंधन टूट गया है। कांग्रेस नेता और हरियाणा के नेता प्रतिपक्ष भूपिंदर सिंह हुड्डा ने बीजेपी और जेजेपी के गठबंधन को स्वार्थ के लिए बनाया गठजोड़ कहा है। हरियाणा विधानसभा में कुल 90 सीटें हैं। इनमें से 41 विधायक बीजेपी के हैं और 10 जेजेपी के विधायक हैं। बीजेपी दावा कर रही है कि उसे पाँच निर्दलीय विधायकों का समर्थन हासिल है। अब बीजेपी और दुष्यंत चैटाला की जेजेपी हरियाणा में लोकसभा चुनाव स्वतंत्र रूप से लड़ेंगी। हरियाणा लोकहित पार्टी के अध्यक्ष गोपाल कांडा कहते हैं, लोकसभा चुनावों में बीजेपी हरियाणा की 10 की 10 सीटें जीतेगी। बीजेपी के लिए कोई संकट नहीं है। मैंने पहले भी कहा है कि सभी निर्दलीय विधायकों का बीजेपी को समर्थन है। हम साढ़े चार साल से बीजेपी के साथ खड़े हैं और आगे भी रहेंगे। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार हरियाणा में मनोहर लाल को हटाकर नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाए जाने को बीजेपी के राजनीतिक दांव के रूप में देखा जा रहा है। बीजेपी को इस कदम से कितना फायदा होगा, यह कहना अभी मुश्किल है क्योंकि हरियाणा में सत्ता विरोधी लहर से लेकर किसानों और व्यापारी वर्ग में बीजेपी के प्रति नाराजगी का भाव है।
दरअसल, हरियाणा जो कि 36 बिरादरी वाला राज्य हुआ करता था, उसे दो बिरादरी में कर दिया गया है। इससे जाटों को अलग-थलग छोड़ने की स्थिति पैदा हुई। मुस्लिम बेल्ट में भी नाराजगी है। हरियाणा के यमुना नगर और नूंह-मेवात में इसका असर है। माना जा रहा है कि बीजेपी ने नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाकर ओबीसी समुदाय को अपनी ओर खींचने की कोशिश की है। क्योंकि नायब सिंह सैनी ओबीसी समुदाय से ही आते हैं। ये बहुत बड़ा वोट बैंक नहीं है। लेकिन प्रभावित करने की स्थिति में है। ये एक तरह से किसानों को बांटने की कोशिश है। लेकिन अभी भी सैनी बिरादरी बहुतायत में बीजेपी के साथ ही है।
नायब सैनी को खट्टर का सबसे करीबी नेता माना जाता है। एक तरह से खट्टर ने ही उनका राजनीतिक विकास किया है। ऐसे में माना जाएगा कि सैनी एक डमी सीएम के रूप में काम करेंगे। इसी क्रम में अनिल विज की नाराजगी की खबरें भी शामिल हैं। इससे बीजेपी के अंदर नाराजगी जरूर पनपेगी। इससे वो नेता नाराज होंगे जो उस वक्त बीजेपी का दामन थामे हुए थे जब हरियाणा में उसका झंडा थामने वाला कोई नहीं था। ऐसे नेताओं की नाराजगी निश्चित रूप से असर दिखाएगी। जब खट्टर को सीएम बनाया गया था, वह तब भी नाराज थे। बीच-बीच में उनके तल्ख तेवर देखने को मिलते थे। हालांकि, वह पार्टी से बाहर नहीं जाएंगे। लेकिन पूरी पार्टी के लिए काम नहीं करेंगे। सिर्फ अपने लिए काम करेंगे। (हिफी)
(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)