राजनीति

यूपी में मायावती की भूमिका

 

देश को सबसे ज्यादा सांसद (80 सांसद) देने वाले राज्य उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) मिशन 80 का दावा जरूर कर रही है लेकिन इस दावे मंे वजन कम है। इसका कारण यह है कि प्रदेश की राजनीति में पूर्व मुख्यमंत्री मायावती कुछ ऐसा खेल कर सकती हैं जिससे भाजपा और अखिलेश यादव के गठबंधन के समीकरण बिगड़ सकते हैं। पूर्व मुख्यमंत्री और बसपा प्रमुख मायावती यूं ही नहीं कह रही हैं कि सत्ता की चाबी उनके पास है। वह प्रदेश मंे अकेले दम पर चुनाव लड़ रही हैं और पश्चिमी यूपी मंे हाल ही लोकदल के एक बड़े नेता को तोड़कर उन्होंने भाजपा के उस समीकरण को बिगाड़ दिया है जो जयंत चैधरी के साथ बना था। चैधरी विजेन्द्र सिंह लोकदल के राष्ट्रीय महासचिव थे। उन्होंने बसपा की सदस्यता ग्रहण कर ली है। बसपा प्रमुख की रणनीति से पीडीए को आधार बनाने वाले अखिलेश यादव भी परेशान हो सकते हैं। सपा का प्रमुख वोट बैंक रहा मुस्लिम समुदाय बसपा के साथ जा सकता है। इस प्रकार उत्तर प्रदेश में मायावती महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने 15 मार्च को पार्टी के संस्थापक कांशीराम की जयंती पर श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव में पार्टी का अच्छा प्रदर्शन ही उनको सच्ची श्रद्धांजलि होगी। बसपा मुखिया मायावती ने सोशल मीडिया पर लिखा कि परमपूज्य बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर के परिनिर्वाण के बाद लम्बे समय तक तिरस्कृत व बिखरे पड़े दलित समाज के आत्म-सम्मान व स्वाभिमान के कारवां को देश की राजनीति में नई मजबूती व बुलंदी देने का युगपरिवर्तनीय कार्य करने वाले मान्यवर कांशीराम जी को उनके 90वें जन्मदिन पर अपार श्रद्धा-सुमन। उन्होंने आगे लिखा कि बामसेफ, डीएस4 व बहुजन समाज पार्टी की स्थापना कर उसके अनवरत संघर्ष के जरिए यूपी में सत्ता की मास्टर चाबी प्राप्त करके ’बहुजन समाज’ हेतु ’सामाजिक परिवर्तन व आर्थिक तरक्की’ का जो मिशनरी लक्ष्य उन्होंने प्राप्त किया, वह ऐतिहासिक एवं अतुलनीय है। इसके लिए वे बहुजन नायक बने व अमर हो गए। मायावती ने कहा कि उनकी विरासत, संघर्ष व कारवां को पूरे तन, मन, धन के सहयोग से आगे बढ़ाने का संकल्प जारी रखते हुए आगामी लोकसभा चुनाव में बीएसपी का अच्छा प्रदर्शन ही उनको सच्ची श्रद्धांजलि होगी। यह समतामूलक समाज की स्थापना व महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी आदि के विरुद्ध भी योगदान होगा।

ध्यान रहे यूपी विधान परिषद की 13 सीटों पर हुए चुनाव पर सभी 13 प्रत्याशी निर्विरोध चुन लिये गए हैं। इनमें 7 बीजेपी के प्रत्याशी हैं, जबकि 3 सहयोगी दल सुभासपा, अपना दल और राष्ट्रीय लोक दल के हैं। समाजवादी पार्टी के भी तीनों प्रत्याशी निर्विरोध निर्वाचित हुए हैं। इस चुनाव के साथ ही अब कांग्रेस के बाद बसपा की संख्या भी शून्य पर पहुंच गई है। बसपा के एक मात्र सदस्य डॉ. भीमराव आंबेडकर का कार्यकाल 5 मई को समाप्त हो जाएगा। जबकि नवनिर्वाचित सदस्यों का कार्यकाल 6 मई से 6 साल तक के लिए होगा। इस चुनाव के साथ ही विधान परिषद में 6 मई को बीजेपी के सदस्यों की संख्या घटकर 82 से 79 हो जाएगी। वहीं, सपा की सदस्य संख्या 8 से बढ़कर 10 हो जाएगी। इसी के साथ समाजवादी पार्टी को नेता प्रतिपक्ष का पद भी मिल जाएगा। वहीं परिषद में रालोद, सुभासपा का खाता खुल जाएगा।

अपना दल एस की संख्या एक ही रहेगी। हालांकि, विधान परिषद में एक सीट अभी भी रिक्त रहेगी। स्वामी प्रसाद मौर्य के इस्तीफे के बाद यह सीट रिक्त हुई है। 13 सीटों के लिए चुनाव में बीजेपी के डॉ. महेंद्र सिंह, विजय बहादुर पाठक, अशोक कटारिया, मोहित बेनीवाल, संतोष सिंह, धर्मेंद्र सिंह और रामतीरथ सिंघल निर्विरोध निर्वाचित हुए। वहीं अपना दल एस के कार्यकारी अध्यक्ष एवं प्राविधिक शिक्षा मंत्री आशीष पटेल, रालोद के योगेश चैधरी और सुभासपा के बिच्छेलाल रामजी भी निर्विरोध निर्वाचित हुए। सपा से शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली, बलराम यादव और किरनपाल कश्यप निर्वाचित हुए। नवनिर्वाचित सदस्यों का कार्यकाल 6 मई से प्रभावी होगा और 5 मई 30 तक रहेगा।

बसपा ने लोकदल में सेंध लगा दी है। लोकदल के प्रसार में जुटे चैधरी विजेंद्र सिंह ने अचानक लोकदल छोड़ा और बसपा का दामन थाम लिया। बिजनौर के शहनाई बैंक्वट हाल में उन्होंने कार्यकर्ता सम्मेलन में इसकी घोषणा की। जनसभा में बसपा के पश्चिम उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड प्रभारी शमशुद्दीन राइन ने मंच से घोषणा की कि बिजेंद्र चैधरी ने बसपा की सदस्यता ग्रहण की है।
विजेंद्र सिंह पिछले लगभग चार महीने से लोकदल में राष्ट्रीय महासचिव के रूप में प्रचार प्रसार कर रहे थे। उन्होंने कई जनसभाएं कीं और यात्राएं निकाली। अचानक दो दिन पहले उन्होंने लोकदल से इस्तीफा दे दिया था। बसपा का कार्यकर्ता सम्मेलन हुआ। बड़ी संख्या में समर्थकों के साथ विजेन्द्र सिंह पहुंचे। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि बसपा पश्चिमी उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड प्रभारी शमशुद्दीन राईन ने कहा कि बसपा प्रमुख मायावती ने विजेंद्र सिंह को बिजनौर लोकसभा प्रत्याशी बनाए जाने की घोषणा की है। बहन जी सबसे पहले बिजनौर सीट से ही जीत कर सांसद बनी थीं। चैधरी विजेंद्र सिंह ने अपने अस्पतालों व शिक्षण संस्थानों के माध्यम से जनता की सेवा की है। इनकी सेवाभाव को देखते हुए बहन मायावती ने यह फैसला किया है। इस दौरान पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं ने चैधरी विजेंद्र सिंह का बसपा में आने पर स्वागत किया। जिलाध्यक्ष दलीप कुमार ने बताया कि बिजेंद्र सिंह को बिजनौर सीट से तैयारी के लिए कहा गया है।

चैधरी विजेंद्र सिंह ने कहा, कि किसान, मजदूर, गरीब सभी पिछड़ी जातियों समेत शोषित और वंचितों को उनका हक दिलाने का काम करेंगे। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि मुख्य सेक्टर प्रभारी मुरादाबाद मंडल रणविजय सिंह, नगीना सांसद नगीना गिरीश चंद, जिलाध्यक्ष बसपा दिलीप कुमार उर्फ पिंटू, पूर्व जिलाध्यक्ष राजेंद्र सिंह, धनीराम सिंह, गजेन्द्र नीलकंठ, नितिन आदि मौजूद रहे। भाजपा और रालोद के गठबंधन और रालोद विधायक चंदन चैहान को बिजनौर सीट से प्रत्याशी घोषित किए जाने के बाद इस सीट पर गठबंधन की पकड़ मजबूत मानी जा रही थी। बिजेंद्र सिंह की नजर भी जाट वोटों पर थी। वे लोकदल का झंडा थामकर तैयारी में जुटे थे। गठबंधन के बाद इस सीट पर समीकरण बदल गए तो बिजेंद्र सिंह ने भी रास्ता बदल लिया। अब उन्होंने बसपा का दामन थामकर उसके वोटबैंक का सहारा लिया है। माना जा रहा है कि अब बिजनौर सीट पर चुनावी मुकाबला रोमांचक होगा। (हिफी)

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)

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