अपने गिरेबान में झांके अमेरिका

हम भारत के लोग सभी देशों की संप्रभुता का सम्मान करते हैं लेकिन यह बात भी बर्दाश्त नहीं कर सकते कि कोई भी देश हमारे आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करे। अमेरिका हमारा अच्छा मित्र देश है। बराक ओबामा से लेकर जो बाइडेन तक भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तारीफों के पुल बांधते रहे हैं लेकिन पिछले दिनों अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा था कि वे दिल्ली के मुख्यमंत्री और प्रमुख विपक्षी नेता अरविन्द केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद उससे जुड़ी रिपोटर््स की लगातार निगरानी कर रहे हैं। अमेरिका के विदेश विभाग ने यह भी कहा कि वह केजरीवाल के मामले में निष्पक्ष, पारदर्शी और समय पर कानूनी प्रक्रिया की उम्मीद कर रहे हैं। केजरीवाल की गिरफ्तारी पर, जो कि भारत के प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शराब घोटाले के मामले में की है और रिमांड में लेने के बाद उन्हें अब न्यायिक हिरासत में जेल भेजा गया है अमेरिका की दूसरी अन्तर राष्ट्रीय टिप्पणी थी। इससे पूर्व जर्मनी ने भी इसी तरह का बयान दिया था। इस पर भारत ने जर्मन दूतावास के उपप्रमुख एनजवीलर को तलब किया था। जर्मनी को स्पष्ट रूप से बताया गया कि केजरीवाल की गिरफ्तारी पर जर्मन विदेश मंत्रालय की टिप्पणी भारत की न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप है। यह बात अमेरिका को भी पता थी। इसके बावजूद अमेरिकी विदेश विभाग ने उसी विषय पर टिप्पणी की है। अमेरिका हमारा दोस्त है, फिर भी अफसोस के साथ यह कहना पड़ रहा है कि उसे अपने गिरेबान में झांकना चाहिए। अमेरिकी कांग्रेस के जिम्मेदार लोगों ने ही वहां के हिन्दू मंदिरों को लेकर जो सरकार से सवाल पूछे है, उनपर बाइडेन सरकार को अपना कर्तव्य क्यों याद नहीं आ रहा है। इससे बेहतर तो दोस्ती बांग्ला देश की पीएम निभा रही हैं जिन्होंने भारतीय सामान का बायकाट करने वाले विपक्षी नेताओं को करारा जवाब दिया है।
अमेरिका में हिंदुओं के खिलाफ आपराधिक वारदातों में इजाफा हुआ है साथ ही मंदिरों में तोड़फोड़ की घटनाएं भी बढ़ी हैं। इस तरह की कई खबरें सामने आई हैं जहां खासतौर पर हिंदुओं को निशाना बनाया गया है। अब इसे लेकर सांसदों ने चिंता जताई है। अमेरिका में पांच भारतीय-अमेरिकी सांसदों ने न्याय विभाग और संघीय जांच एजेंसी से इस साल देश में ‘‘हिंदुओं के खिलाफ हुए घृणा आधारित अपराधों’’ और मंदिरों में तोड़फोड़ की घटनाओं में बढ़ोतरी पर विवरण मांगा है। इन सांसदों में राजा कृष्णमूर्ति, रो खन्ना, श्री थानेदार, प्रमिला जयपाल और अमी बेरा शामिल हैं। भारतीय-अमेरिकी सांसदों ने न्याय विभाग के नागरिक अधिकार प्रभाग के क्रिस्टन क्लार्क को लिखा, ‘‘न्यूयॉर्क से लेकर कैलिफोर्निया तक मंदिरों पर हमलों की घटनाओं ने हिंदू अमरीकियों को गहरी चिंता में डाल दिया है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘प्रभावित समुदायों के नेताओं ने चिंता व्यक्त की है कि इन घटनाओं में शामिल संदिग्धों का कोई सुराग नहीं है, जिससे कई लोग डर और भय में जीने को मजबूर हैं।
भारतीय-अमेरिकी सांसदों की तरफ से कहा गया कि हिंदू समुदाय इन पक्षपात पूर्ण अपराधों में कानूनी कार्रवाई को लेकर चिंतित और परेशान है। उनके मन में सवाल है कि क्या कानून के तहत समान सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए संघीय एजेंसी ठीक तरीके से निगरानी कर रही है?’’ पत्र में कहा गया है, ‘‘घटनाएं और उसे अंजाम देने का समय, उनकी मंशा को लेकर सवाल खड़े करते हैं।’’ वर्तमान में प्रतिनिधि सभा में पांच भारतीय-अमेरिकी सांसद हैं। ऐसा बहुत ही कम देखने को मिलता है कि सभी पांचों सांसद किसी मुद्दे पर एक साथ आएं।
यहां यह भी बता दें कि, साल 2024 की शुरुआत में ही कैलिफोर्निया में शेरावाली मंदिर पर खालिस्तान समर्थक नारे लिखे गए थे। इससे कुछ दिन पहले कैलिफोर्निया के शिव दुर्गा मंदिर में भी चोरी की घटना हुई थी।
कैलिफोर्निया में ही स्वामी नारायण मंदिर पर भी हमला किया गया था। हेवर्ड, कैलिफोर्निया में एक हिंदू मंदिर को जनवरी में खालिस्तान समर्थक भित्तिचित्र उकेरे गए थे। इसके कुछ ही सप्ताह बाद कैलिफोर्निया के नेवार्क में एक मंदिर पर भी इसी तरह के भित्तिचित्र देखे गए थे। हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन ने एक बयान में कहा था, ‘पिछले कुछ हफ्तों में कम से कम दो घटनाएं दर्ज होने के साथ खालिस्तानी अलगाववादियों द्वारा हिंदू मंदिरों पर हमले बढ़ रहे हैं।
उधर, बांग्लादेश में विपक्षी नेता इस वक्त भारतीय साड़ियों के वहिष्कार की मांग पर अड़े हैं। प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अपने ही अंदाज में इन विपक्षी नेताओं पर निशाना साधा। पीएम ने कहा है कि भारतीय उत्पादों के बहिष्कार की मांग करने वाले विपक्षी नेताओं को यह बताना चाहिए कि उनकी पत्नियों के पास कितनी भारतीय साड़ियां हैं और वे इनमें आग क्यों नहीं लगा रहे हैं। शेख हसीना हाल ही में चैथी बार बांग्लादेश की प्रधानमंत्री चुनी गई हैं। आम चुनावों का विपक्षी दलों ने भहिष्कार किया था, जिसके चलते हसीना ने आसान जीत दर्ज की।
पीएम ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि जब बीएनपी सत्ता में थी तो उनके मंत्री और उनकी पत्नियां भारत यात्राओं पर साड़ियां खरीदते थे और उन्हें बांग्लादेश में बेचते थे। सत्तारूढ़ अवामी लीग की एक बैठक को
संबोधित करते हुए, हसीना ने भारतीय उत्पादों के बहिष्कार का आह्वान करने वाले बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के नेताओं पर करारा हमला किया। हसीना आवामी लीग की अध्यक्ष भी हैं। उन्होंने कहा, “मेरा सवाल यह है कि विपक्षी नेताओं की पत्नियों के पास कितनी भारतीय साड़ियां हैं? और वे अपनी पत्नियों से साड़ियां लेकर उनमें आग क्यों नहीं लगा रहे हैं? कृपया बीएनपी नेताओं से पूछें।” पीएम शेख हसीना ने भारतीय मसालों और बांग्लादेश की रसोई में उनकी भूमिका की ओर भी रुख किया। उन्होंने कहा, “गरम मसाला, प्याज, लहसुन, अदरक, सभी मसाले जो भारत से आते हैं, उन्हें बीएनपी नेताओं के घरों में नहीं देखा जाना चाहिए। यह टिप्पणी बीएनपी नेता रुहुल कबीर रिजवी द्वारा भारतीय उत्पादों के प्रतीकात्मक विरोध के रूप में अपना कश्मीरी शॉल सड़क पर फेंकने के बाद आई है। ये घटनाक्रम बांग्लादेश में ‘इंडिया-आउट’ अभियान की पृष्ठभूमि में हो रहा है।
यह भी ध्यान रहे कि भारत ने 30 मार्च को जर्मन दूतावास में उपप्रमुख जार्ज एनजवीलर को तलब किया था। भारत ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल की शराब घोटाले में गिरफ्तारी पर जर्मनी के विदेश मंत्रालय की टिप्पणी के खिलाफ कड़ा विरोध दर्ज कराया था। विदेश मंत्रालय ने कहा कि केजरीवाल की गिरफ्तारी पर जर्मन विदेश मंत्रालय की टिप्पणी भारत की न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप है। भारत एक जीवंत और कानून का शासन वाला मजबूत लोकतंत्र है। उन्होंने कहा कि जर्मनी के विदेश विभाग की टिप्पणी को हम न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप और हमारी न्यायपालिका की स्वतंत्रता को कमतर करने के रूप में देखते है। अमेरिका को भी इसी तरह से सोचना चाहिए। दोस्त कहने से काम नहीं चलता, दोस्ती निभानी होती है। (हिफी)
(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)