राहुल की उम्मीदवारी से निराशा!

इसी को कहते हैं खोदा पहाड़, निकली चुहिया। अमेठी और रायबरेली को लेकर कांग्रेस किसे उतारती है, इस पर मैराथन चिंतन हुआ है। कांग्रेस के रणनीतिकार भी कह रहे थे कि श्रीमती सोनिया गांधी के राज्यसभा मंे जाने के बाद रायबरेली की सीट से उनकी बेटी प्रियंका गांधी वाड्रा चुनाव लड़ें। इंडिया गठबंधन मंे उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के प्रमुख सहयोगी समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष पूर्व मुख्मयंत्री अखिलेश यादव भी यही कह रहे थे कि यदि प्रियंका गांधी रायबरेली से और राहुल गांधी अमेठी से चुनाव लड़ते हैं तो इससे गठबंधन को ताकत मिलेगी। कांग्रेस के प्रति जिनको थोड़ा-बहुत लगाव है, वे भी यही चाहते थे कि राहुल गांधी अमेठी से चुनाव लड़ें और प्रियंका गांधी वाड्रा रायबरेली से बिरासत संभालें। निराशा तो इससे भी हो रही थी कि इतने दिनों तक इस फैसले को टाला गया। अमेठी और रायबरेली मंे जब नामांकन को एक ही दिन अर्थात् 3 मई बची थी, तब सबेरे यह फैसला हुआ कि राहुल गांधी रायबरेली की सीट से चुनाव लड़ेंगे और अमेठी से किशोरीलाल शर्मा कांग्रेस के प्रत्याशी होंगे। इस प्रकार अमेठी से भाजपा की स्मृति ईरानी का मुकाबला करने की हिम्मत राहुल गांधी नहीं जुटा पाए, यह संदेश जनता के बीच चला गया है। प्रियंका गांधी वाड्रा भले ही कह रही हैं कि भाजपा के कांग्रेस पर वंशवादी आरोप के चलते वे रायबरेली से चुनाव नहीं लड़ रही हैं लेकिन यह बात किसी के गले से नीचे नहीं उतर रही है। प्रियंका गांधी जब राजनीति मंे सक्रिय हैं तो परिवारवाद से वह कैसे बच सकंेगी? पार्टी सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे भी चाहते थे कि प्रियंका गांधी वाड्रा रायबरेली से चुनाव लड़ें और राहुल गांधी एक बार फिर अमेठी में स्मृति ईरानी को चुनौती देें। कांग्रेस के इस फैसले से अच्छा संदेश नहीं गया है। भाजपा ने रायबरेली से दिनेश प्रताप सिंह को एक दिन पहले ही प्रत्याशी घोषित कर दिया था। दिनेश प्रताप सिंह 2019 में श्रीमती सोनिया गांधी से भले ही पराजित हो गये थे लेकिन इस बार राहुल गांधी को कड़ी टक्कर देंगे।
कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में अपनी दो प्रतिष्ठित सीटों, अमेठी और रायबरेली के लिए उम्मीदवारों की घोषणा कर दी। इसी के साथ प्रियंका गांधी वाड्रा के चुनावी मैदान में उतरने की अटकलों पर भी विराम लग गया। पार्टी के सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खरगे ने प्रियंका गांधी वाड्रा से अमेठी या रायबरेली से चुनाव लड़ने का अनुरोध किया था, लेकिन उन्होंने इससे साफ इनकार कर दिया। सूत्रों ने बताया कि इसका कारण ये था कि उनके भाई राहुल गांधी की जीत से गांधी परिवार के तीन सदस्य संसद में पहुंच जाएंगे। उनकी मां सोनिया गांधी अब राज्यसभा में हैं। पार्टी के सूत्रों के मुताबिक, उन्होंने तर्क दिया कि इससे भाजपा के वंशवादी राजनीति वाले आरोपों को और बल मिलेगा। हालांकि, कुछ नेताओं को डर है कि उनके फैसले से मतदाताओं के बीच नकारात्मक धारणा पैदा हो सकती है। प्रियंका गांधी वाड्रा बड़े पैमाने पर प्रचार कर रही हैं। लोगों का मानना है कि अगर वह चुनाव लड़तीं है तो कांग्रेस को उनकी स्टार पावर से फायदा हो सकता था। कांग्रेस के सस्पेंस खत्म करने बाद हैरानी इस बात की है कि राहुल गांधी को अमेठी के बजाय रायबरेली से मैदान में उतारा गया। अबकी बार अमेठी के लिए, कांग्रेस ने किशोरी लाल शर्मा को चुना, जो लंबे समय से गांधी परिवार के वफादार है।
राहुल गांधी, केरल के वायनाड से भी चुनाव लड़ रहे हैं और शर्मा अमेठी से। लोकसभा चुनाव के पांचवें चरण में 20 मई को अमेठी और रायबरेली में मतदान होगा। राहुल गांधी का मुकाबला रायबरेली में भाजपा के दिनेश प्रताप सिंह से होगा। किशोरी लाल शर्मा का मुकाबला अमेठी में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी से होगा। ईरानी ने 2019 के चुनावों में राहुल गांधी के खिलाफ एक चैंकाने वाली जीत हासिल की थी और निर्वाचन क्षेत्र में बड़े पैमाने पर प्रचार कर रही थीं। भाजपा ने राहुल गांधी को अमेठी से रायबरेली भेजने के कांग्रेस के कदम पर उन पर कटाक्ष किया है। पार्टी प्रवक्ता जयवीर शेरगिल ने कहा कि कांग्रेस अब दिन में सपने देखने की आदी हो गई है और कहा, राहुल गांधी के फैसले से पता चलता है कि कांग्रेस में आत्मविश्वास की कमी है। एक जिम्मेदार लीडर की तरह लड़ाई का नेतृत्व करने के बजाय, वह एक भगोड़े सैनिक की तरह व्यवहार कर रहे हैं। अमेठी से कांग्रेस ने किशोरी लाल शर्मा को अपना उम्मीदवार बनाया है। किशोरी लाल शर्मा गांधी परिवार के सबसे नजदीकी स्थानीय कार्यकर्ताओं में से एक हैं।
बीजेपी के इस आरोप पर कि गांधी परिवार ने अमेठी से चुनाव इसलिए नहीं लड़ा क्योंकि वे डरे हुए थे। केएल शर्मा ने कहा कि राहुल गांधी पूरे देश के लिए लड़ रहे हैं। उन्होंने कहा, राहुल गांधी मैदान से भागने वाले व्यक्ति नहीं हैं। वह पूरे देश के लिए लड़ रहे हैं। अमेठी में दलित (26 फीसदी), मुस्लिम (20 फीसदी) और ब्राह्मण (18 फीसदी) का दबदबा है। कांग्रेस को लगता है कि जातीय समीकरणों के हिसाब से केएल शर्मा को फायदा हो सकता है। स्मृति ईरानी यहां पर काम करवाए है और यहां के लोगों का भरोसा जीतने का काम भी किया। अब तो उन्होंने अपना घर भी वहां बनवा लिया है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी उत्तर प्रदेश की रायबरेली सीट से चुनाव लड़ने पर बीजेपी के राष्ट्रीय सचिव मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा, इससे यह जाहिर होता है कि राहुल गांधी ने वायनाड से अपनी हार स्वीकार कर ली है। वह पहले अमेठी से भागे, अब वायनाड से और इस बार उन्हें रायबरेली से भी भागना पड़ेगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी राहुल गांधी और सोनिया गांधी पर हमला बोला है। पीएम मोदी ने एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कहा कि राहुल गांधी अमेठी से चुनाव लड़ने से डर गए हैं। मोदी ने कहा कि कांग्रेस अब जिस स्थिति में है उससे ये तो साफ है कि उन्हें इस बार पहले से भी कम सीटें आ रही हैं। पीएम मोदी ने राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए सोशल मीडिया साइट एक्स पर एक पोस्ट भी किया है। इस पोस्ट में उन्होंने लिखा कि मैंने पहले से ही बता दिया था कि शहजादे वायनाड में हार के डर से अपने लिए दूसरी सीट खोज रहे हैं। अब इन्हें अमेठी से भागकर रायबरेली सीट चुननी पड़ी है। ये लोग घूम-घूम कर सबको कहते हैं- डरो मत! मैं भी इन्हें यही कहूंगा- डरो मत! भागो मत! आपको बता दें कि पीएम मोदी ने इससे पहले कांग्रेस पार्टी पर हमला बोलते हुए पूछा था कि क्या वायनाड में मुस्लिम समुदाय को आरक्षण का लाभ देने के लिए कोई डील हुई है। पीएम मोदी ने साथ ही कहा था कि धर्म-आधारित आरक्षण देना असंवैधानिक है, उन्होंने कांग्रेस पर एससी, एसटी और ओबीसी समुदायों से आरक्षण छीनने का आरोप लगाया। मोदी और भाजपा के आरोपों का कांग्रेस और राहुल गांधी के पास कोई जवाब नहीं है। (हिफी)
(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)