सम-सामयिक

इलेक्ट्रिक वाहनों पर भी सवाल

 

पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। हमारे देश में भी पेट्रोल और डीजल चालित वाहनों के प्रचलन को क्रमबद्ध रोकने का प्रयास हो रहा है। स्कूटी से लेकर कार तक में इलेक्ट्रिक बैट्री प्रयोग की जा रही है। इलेक्ट्रिक बैट्री से ही एलनमस्क की टेस्ला कार चलती है। इस कार का कई देशों में विरोध हो रहा है। भारत में भी एलन मस्क टेस्ला कम्पनी का व्यापार बढ़ाने वाले हैं। इसलिए टेस्ला कार को लेकर उठे विवाद पर विचार करना जरूरी है। दर असल, पिछले दिनों जर्मनी की राजधानी बर्लिल में टेस्ला की गीगा फैक्ट्री के विरोध में जबर्दस्त विरोध प्रदर्शन हुआ। लगभग एक हजार लोगों ने प्रदर्शन करते हुए तोड़फोड़ भी की। प्रदर्शन कारियों ने आतिशबाजी से टेस्ला कारों को क्षतिग्रस्त कर दिया। चीन में भी टेस्ला करों का विरोध किया जा रहा है। इसी के चलते एलन मस्क भारत की यात्रा स्थगित करके चीन पहुंचे थे। बहरहाल जर्मनी में टेस्लाकार का विरोध करने वाले डिस्रप्ट टेस्ला के प्रवक्ता ओले बेकर का कहना है कि टेस्ला जैसी कंपनियां अपने मुनाफे के लिए पर्यावरण को नष्ट करने पर तुली है। उनका आरोप है कि अर्जेन्टीना व बोलिबिया जैसे देशों में लिथियम खनन के कारण पर्यावरण का विनाश हो रहा है। इलेक्ट्रिक वाहन की बैटरियों के लिए लिथियम एक प्रमुख संसाधन है। लिथियम हवा, पानी और मिट्टी में जहरीले रसायनों और भारी धातुओं को छोड़ता है। विरोध चीन में भी हो रहा है। टेस्ला के सीईओ एलन मस्क ने टेस्ला के विरोध में वामपंथी राजनीति का संकेत दिया है। इसके कारण यह है कि टेस्ला कंपनियों में बड़ी संख्या में लोगों को हटाया (छंटनी) गया है। पहली मई मजदूर दिवस पर छंटनी के शिकार एक कर्मचारी नीको मुरीलो ने अपना दर्द साझा किया था। बहरहाल लिथियम के मामले को भी हमें गंभीरता से लेना होगा।

पिछले दिनों जर्मनी के बर्लिन में टेस्ला की गीगाफैक्ट्री के विरोध में 800 से ज्यादा लोगों ने हंगामा किया। इस दौरान पुलिस के साथ उनकी झड़प भी हुई. कई लोगों के घायल होने की खबर भी सामने आया। कई प्रदर्शनकारी ग्रुनहाइड के जंगलों में डेरा डाले हुए थे। रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस ने पुष्टि की कि प्रदर्शनकारियों ने प्लांट में घुसने की कोशिश की, लेकिन उन्हें रोक दिया गया। पुलिस प्रवक्ता ने कहा, कुछ प्रदर्शनकारियों ने आतिशबाजी से टेस्ला की कारों को क्षतिग्रस्त कर दिया।

दरअसल, इलेक्ट्रिक कार कंपनी टेस्ला अपनी क्षमता बढ़ाने के लिए फैक्ट्री का विस्तार कर रही है। प्रदर्शनकारी इसका विरोध कर रहे हैं। उनका मानना है कि टेस्ला कारखाने के आकार को दोगुना कर रहा है, जिससे पर्यावरण को नुकसान होगा. इसके विरोध में ही फरवरी से लगातार हंगामा हो रहा है। विरोध प्रदर्शन का आयोजन करने वाले समूह डिसरप्ट टेस्ला के प्रवक्ता ओले बेकर ने रॉयटर्स को बताया कि हम यहां पर्यावरण विनाश रोकने के लिए ग्रुनहाइड में टेस्ला फैक्ट्री पर आए हैं। टेस्ला जैसी कंपनियां अपने मुनाफे के लिए पर्यावरण को नष्ट करने में लगी हैं। यह समूह अर्जेंटीना या बोलीविया जैसे देशों में लिथियम खनन के कारण होने वाले पर्यावरणीय विनाश को भी उजागर करना चाहता है। इलेक्ट्रिक वाहन बैटरियों के लिए लिथियम एक प्रमुख संसाधन है, जो हवा, पानी और मिट्टी में जहरीले रसायनों और भारी धातुओं को छोड़ता है। इसलिए इस विस्तार को रोकने की मांग की जा रही है। डिसरप्ट की प्रेस विज्ञप्ति में गीगाफैक्ट्री पर गैरकानूनी तरीके से निर्माण करने का आरोप लगाया गया और तर्क दिया कि इसके विस्तार से पड़ोसी जंगलों को नुकसान होगा।
इस घटना के बाद टेस्ला के सीईओ एलन मस्क ने कहा कि डिसरप्ट समूह सेंध लगाने में कामयाब नहीं हुआ। मस्क ने एक्स पर एक और पोस्ट में लिखा. पुलिस ने वामपंथी प्रदर्शनकारियों को इतनी आसानी से क्यों छोड़ दिया?

टेस्ला के कर्मचारियों को इन दिनों एक के बाद एक बुरी खबरें मिल रही हैं। पहले टेस्ला के सीईओ एलन मस्क ने अपने ग्लोबल वर्कफोर्स में 10 फीसदी कटौती का ऐलान किया। इसके बाद जानकारी सामने आई कि कंपनी ने अपने दो वरिष्ठ अधिकारियों को उनकी पूरी टीम समेत नौकरी से निकाल दिया है। इस फैसले का शिकार लगभग 500 लोग हुए हैं। टेस्ला से निकाले जाने वाले कर्मचारियों का आंकड़ा 20 फीसदी तक पहुंच सकता है। टेस्ला में जारी छंटनी के दौर के चलते कंपनी के कर्मचारियों की पीड़ादायक कहानियां सामने आ रही हैं। ऐसी ही एक किस्सा छंटनी के शिकार कर्मचारी नीको मुरीलो ने बयान किया है।

टेस्ला की इलेक्ट्रिक कारें भले ही भारत में न बिक रही हों, लेकिन दुनिया भर में इस अमेरिकी निर्माता की कारें काफी लोकप्रिय हैं। टेस्ला इलेक्ट्रिक कार बनाने वाली दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी है और आज लगभग हर देश में अपनी कार बेच रही है। कंपनी की इलेक्ट्रिक कारें फीचर्स, परफॉरमेंस और क्वालिटी के मामले में काफी बेहतर होती हैं इसलिए कीमत में महंगी होने के बावजूद हर साल बड़ी संख्या में टेस्ला की इलेक्ट्रिक कारें बिक रही हैं। अमेरिका, चीन और यूरोप टेस्ला के इलेक्ट्रिक कारों के सबसे बड़े बाजार है।
यह भी कहा जाता है कि लिथियम-आयन बैटरियां सुरक्षा के लिए खतरा हो सकती हैं यदि उन्हें ठीक से इंजीनियर और निर्मित न किया जाए क्योंकि उनमें ज्वलनशील इलेक्ट्रोलाइट्स होते हैं जो क्षतिग्रस्त होने या गलत तरीके से चार्ज होने पर विस्फोट और आग का कारण बन सकते हैं। सुरक्षित लिथियम-आयन बैटरियों के विकास और विनिर्माण में काफी प्रगति हुई है। पिछले कुछ सालों में इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री काफी बढ़ गई है। लेकिन अभी भी बड़ी समस्या ये है कि इनकी कीमत काफी ज्यादा है और ये हर किसी के बजट में नहीं आती हैं। इसकी वजह इलेक्ट्रिक कारों में इस्तेमाल होने वाली लिथियम आयन बैटरियां है, जिनकी कीमत बहुत ज्यादा है। अच्छी बात ये है कि अब इस समस्या से जल्द ही निजात मिलने जा रही है।

चीन की एक बैटरी निर्माता कंपनी ने सोडियम आयन बैटरी का निर्माण कर दिया है। ये बैटरी काफी सस्ती है और खास बात ये है कि इस बैटरी के साथ चीन की इलेक्ट्रिक कार कंपनी जैक ने दुनिया की पहली ई कार भी लॉन्च कर दी है। इस बैटरी का निर्माण चीन की हिना बैटरी टेक्नोलॉजी ने किया है। कंपनी का दावा है कि ये बैटरी इलेक्ट्रिक व्हीकल की कॉस्ट में 10 से 20 प्रतिशत तक की कमी कर देगी। इन बैटरियों का निर्माण लिथियम और कोबाल्ट पर किया जाता है। कंपनी के अनुसार जैक की कार जेएसी ईवी में 25 किलोवॉट प्रति घंटे की बैटरी लगी है। इसे एक बार चार्ज करने पर 250 किमी. तक की रेंज ली जा सकती है। इन बैटरियों को और विकसित कर पर्यावरण की सुरक्षा का भी ध्यान रखा जाए। (हिफी)

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)

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