अमेरिकी दखल पर ‘जयशंकर’

अमेरिका दुनिया का सबसे पुराना घोषित लोकतंत्र है तो भारत विश्व का सबसे बड़ा जनतंत्र माना जाता है। इस नाते भारत और अमेरिका काफी निकट हैं। आजादी के बाद से ही भारत ने रूस की तरह अमेरिका को भी अपना अच्छा मित्र माना है। अमेरिका के मौजूदा राष्ट्रपति जो बाइडेन कहते भी हैं कि अमेरिका को भारत की दोस्ती पर गर्व है। इतना सब होने के बाद भी भारत के अंदरूनी मामलों में अमेरिका दखल क्यों देता है? अभी ताजा मामला भारत का ईरान के साथ चाबहार बंदरगाह के विकास का समझौता है। यह बात काफी दिनों से चल रही थी लेकिन डील अब फाइनल हुई है। भारत के लिए चाबहार बंदरगाह का विकास व्यापार और सामरिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। अमेरिका ने ईरान पर कुछ प्रतिबंध लगा रखे हैं लेकिन दूसरे देशों के हित प्रभावित हों, ऐसे प्रतिबंधों की कौन परवाह करेगा। भारत ने रूस पर प्रतिबंध होने के बावजूद वहां से कच्चा तेल खरीदा था क्योंकि तेल सस्ता मिला था और रूपये मंे भुगतान किया गया था। अमेरिका और यूरोपीय देश तब भी बिदक रहे थे। अब अमेरिका ने ईरान से चाबहार पर समझौते को लेकर अप्रत्यक्ष रूप से चेतावनी दी है तो भारत की तरफ से भी कड़ी प्रतिक्रिया जतायी गयी है। विदेश मंत्री जयशंकर ने दो टूक कहा कि चाबहार परियोजना से पूरे ़क्षेत्र को फायदा होगा इसके लिए छोटी सोच दिखाना ठीक नहीं है। दरअसल, चाबहार बंदरगाह के विकसित होने से चीन के व्यापार पर विपरीत असर पड़ेगा और अमेरिका के हित में होगा। इसके बावजूद अमेरिका ने भारत को अप्रत्यक्ष रूप से चेतावनी दी तो भारत ने भी जयशंकर कह दिया। भारत की यह कूटनीतिक योजना है और चीन चारों तरफ से घिर जाएगा।
भारत ने ईरान के साथ चाबहार बंदरगाह को लेकर 10 साल की डील की है, जिससे अमेरिका बिल्कुल भी खुश नहीं है। अमेरिका ने भारत को प्रतिबंधों के संभावित जोखिम की चेतावनी दी है। चेतावनी के एक दिन बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अमेरिका को दो टूक जवाब दिया है। एस जयशंकर ने ये भी साफ कर दिया कि इस परियोजना से पूरे क्षेत्र को फायदा होगा, इसके लिए छोटी सोच को लोगों को स्वीकार नहीं करना चाहिए। विदेश मंत्री ने इस बात पर भी जोर दिया कि अमेरिका ने पहले चाबहार पोर्ट के व्यापक महत्व को स्वीकार किया था। विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा, अमेरिका ने पहले ऐसा नहीं किया है, इसलिए, अगर आप चाबहार में बंदरगाह को लेकर अमेरिका के रवैये को देखें, तो पहले वह पोर्ट की व्यापक प्रासंगिकता की सराहना करता रहा है। उन्होंने कहा कि हम इस पर काम करेंगे। बता दें कि अमेरिका ने 14 मई को चेतावनी दी थी कि तेहरान के साथ व्यापारिक डील पर विचार करने वाले किसी को भी प्रतिबंधों के संभावित जोखिम के बारे में पता होना चाहिए। अमेरिकी विदेश विभाग के उप-प्रवक्ता वेदांत पटेल ने एक प्रेस ब्रीफिंग में कहा, मैं बस यही कहूंगा। ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंध लागू रहेंगे और इनको जारी रखा जाएगा। जब उनसे यह पूछा गया कि इन प्रतिबंधों के दायरे में क्या भारतीय कंपनियां भी आ सकती हैं, इस पर वेदांत पटेल मे कहा कि जो कोई भी ईरान के साथ व्यापारिक सौदे पर विचार कर रहा है, उस पर संभावित जोखिम का खतरा बना रहेगा।
भारत और ईरान ने चाबहार के शाहिद बेहश्ती बंदरगाह के टर्मिनल के संचालन के लिए एक समझौता किया है। 10 साल के लिए एक डील पर हस्ताक्षर किए गए हैं, यह जानकारी ईरान में भारतीय दूतावास की तरफ से एक्स पर एक पोस्ट के जरिए दी गई। इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड और ईरान के पोर्ट्स एंड मेरिटाइम ऑर्गनाइजेशन ने समझौते पर हस्ताक्षर किए। इस मौके पर कैबिनेट मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने ईरान के साथ एक बैठक में कहा, इस डील पर हस्ताक्षर के साथ हमने चाबहार में भारत की दीर्घकालिक भागीदारी की नींव रखी है। इस डील से चाबहार बंदरगाह की व्यवहार्यता और दृश्यता पर कई गुना प्रभाव पड़ेगा। चाबहार न सिर्फ भारत का निकटतम ईरानी बंदरगाह है बल्कि समुद्री परिवहन की दृष्टि से भी यह एक शानदार है। भारत और ईरान के बीच साल 2016 में भी शाहिद बेहेस्ती पोर्ट के संचालन के लिए डील हुई थी। अब हुई नई डील को 2016 की डील का ही नया रूप माना जा रहा है। इसके विकास के लिए दोनों देशों के बीच 2023 में सहमति बनी थी। भारत का कहना है कि इस डील से पोर्ट में बड़े निवेश का रास्ता खुलेगा। पहले भारत से अफगानिस्तान को भेजा जाने वाला कोई भी सामान पाकिस्तान के रास्ते होकर जाता था लेकिन इस डील से भारत को अब व्यापार के लिए पाकिस्तान की जरूरत नहीं होगी। अफगानिस्तान और सेंट्रल एशिया से बिजनेस के लिए भारत को नया रूट मिल जाएगा। यह बंदरगाह भारत के लए रणनीतिक और कूटनीति के लिहाज के भी अहम है।
यह पहला मौका है जब भारत विदेश में मौजूद किसी बंदरगाह का प्रबंधन अपने हाथ में लेगा। चाबहार पोर्ट ईरान के दक्षिणी तट पर सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में मौजूद है। इस बंदरगाह को भारत और ईरान मिलकर विकसित कर रहे हैं। अगर आप ईरान के चाबहार बंदरगाह को गूगल मैप्स पर देखें तो यह समुद्र से लगा एक छोटा सा है हिस्सा है। लेकिन इस छोटे से हिस्से को लेकर भारत से हुई ईरान की डील ने दुनिया के कई मुल्कों की नींद उड़ा कर रख दी है। इस डील के फिक्स होने के बाद अब आलम कुछ यूं है कि अमेरिका से लेकर चीन और चीन से लेकर पाकिस्तान तक परेशान-परेशान दिख रहे हैं। अमेरिका तो इस कदर बौखला गया कि इस डील के बाद उसने भारत पर प्रतिबंध लगाने तक की धमकी दे डाली। अगर पर्दे के पीछे की बात करें तो अमेरिका ये कभी नहीं चाहता कि दुनिया का कोई भी देश ईरान के साथ किसी तरह का व्यापारिक संबंध रखे। साथ ही अमेरिका ये भी नहीं चाहता कि भारत का ईरान से दोस्ती करने का कोई फायदा ईरान को हो। चाबहार बंदरगाह अपनी लोकेशन की वजह से भारत के लिए बेहद खास है। चाबहार बंदरगाह ईरान में ओमान की खाड़ी में स्थित है। यह पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह से महज 72 किमी दूर है। चाबहार अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे (आईएनएसटीसी) का भी हिस्सा है, जो एक मल्टी मॉडल ट्रांसपोर्टेशनल प्रोजेक्ट है। भारत और ईरान के बीच चाबहार बंदरगार को लेकर हुए समझौते का सबसे महत्वपूर्ण पहलू ये भी है कि इसे पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगार और चीन के बेल्ड एंड रोड इनिशिएटिव के लिए भारत के जवाब के तौर पर भी देखा जा रहा है। (हिफी)
(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)