मुइज्जू व प्रचंड पर भारत विरोध भारी

हम भारत के लोग शांति और सहअस्तित्व में विश्वास रखते हैं। पड़ोस के देशों के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध बनाने को प्राथमिकता देते हैं। यह बात अलग है कि पड़ोसी देश हमारी सहानुभूति का गलत अर्थ लगाने लगे हैं। इसका उनको खामियाजा भी भुगतना पड़ रहा है। मालदीव और नेपाल इसके ताजा उदाहरण हैं। मालदीव में जबसे चीन के समर्थक माने जाने वाले मोहम्मद मुइज्जू ने राष्ट्रपति की कुर्सी संभाली है, तभी से भारत के प्रति अविश्वास की भावना जता रहे हैं। भारत ने मालदीप के हित में सैनिक तैनात किये थे, जिनको वापस भेजे जाने की जिद मुइज्जू ने की। अब वे भारत पर एक और गंभीर आरोप लगा रहे हैं। उनका आरोप है कि भारतीय पायलटों ने मालदीव में बगैर परमिट के सैन्य आपरेशन किया था। भारत की तरफ से मुइज्जू के इस आरोप का खंडन किया गया है। इसी के साथ वहां के विपक्षी दल मुइज्जू सरकार की विदेशनीति की आलोचना कर रहे हैं। उधर, हमारे निकटतम पड़ोसी नेपाल में करेन्सी पर नेपाल का नया नक्शा जारी कर भारतीय भू भाग को नेपाल में दिखाया गया है। भारत इस बात का विरोध करता रहा है। वहां के मधेशियों की पार्टी ने सरकार से अपना समर्थन वापस लेने की घोषणा कर दी थी। इस तरह मुइज्जू और प्रचण्ड पर भारत का विरोध करना भारी पड़ रहा है।
मालदीव की मुइज्जू सरकार ने एक बार फिर भारत पर गंभीर आरोप लगाया है। मालदीव के रक्षा मंत्री घासन मौमून ने कहा कि भारतीय सैन्य पायलटों ने साल 2019 में बगैर अनुमति के मालदीव में एक ऑपरेशन को अंजाम दिया था, जिसका मुद्दा संसद में भी उठा। मालदीव में स्थित भारतीय उच्चायोग ने मालदीव की तरफ से लगाए गए इस आरोप का खंडन किया है। भारतीय उच्चायोग की तरफ से जारी बयान में बताया गया कि भारतीय विमानन प्लेटफॉर्म हमेशा से सहमत प्रक्रियाओं और उचित प्राधिकरण के साथ संचालित होते रहे हैं।
11 मई को मालदीव के रक्षा मंत्री घासन मौमून ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा था कि भारतीय एएलएच प्लेटफॉर्म द्वारा 9 अक्टूबर, 2019 को एक अनधिकृत लैंडिंग की गई थी। भारतीय उच्चायोग ने इसका जवाब 14 मई को दिया। उच्चायोग ने कहा कि भारतीय विमानन प्लेटफॉर्म मालदीव में हमेशा सहमत प्रक्रियाओं के साथ संचालित हुए हैं। प्रेस कॉन्फ्रेंस में जिस लैंडिग की चर्चा की गई है, वह उड़ान भी एमएनडीएफ की मंजूरी के बाद की गई थी। उच्चायोग ने कहा कि रही बात लैंडिग की तो अति आवश्यकता पड़ने पर थिमाराफुशी हवाई अड्डे पर एटीसी से ऑन ग्राउंड परमिट लेने के बाद लैंडिंग हुई थी। इस दौरान चालक दल की सुरक्षा को सुनिश्चित करना था।
मालदीव के साथ रिश्तों में आई खटास के बीच भी भारत ने बड़ा दिल दिखाया है। पर्यटन के मोर्चे पर झटका खा चुके मालदीव के हाथ फैलाने पर इंडिया की ओर से उसके बजट में मदद की गई है। देश ने सहयोग का संदेश देते हुए वहां (मालदीव) के वित्त मंत्रालय की तरफ से जारी पांच करोड़ अमेरिकी डॉलर के सरकारी बॉन्ड की मियाद एक साल के लिए बढ़ा दी है।
भारतीय उच्चायोग की ओर से इस बारे में 13 मई को जानकारी दी गई। आधिकारिक बयान में बताया गया कि भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने मालदीव के वित्त मंत्रालय की तरफ से जारी पांच करोड़ यूएस डॉलर के सरकारी बॉन्ड की मियाद एक वर्ष के लिए और बढ़ा दी है। मालदीव सरकार के विशेष अनुरोध पर अवधि बढ़ाने का फैसला लिया गया है।
मुइज्जू सरकार के खिलाफ देश का मुख्य विपक्षी दल मालदीव डेमोक्रेटिक पार्टी यानी एमडीपी महाभियोग तक ले आयी। एमडीपी के संसदीय दल के उपनेता अंधुन हुसैन ने कहा था कि संख्या बल उनके पक्ष में है। मुइज्जू के खिलाफ महाभियोग लाने का वक्त कई मायनों में अहम हो। मालदीव और भारत के बीच बीता कुछ वक्त तनाव भरा रहा है। मोहम्मद मुइज्जू के हाथ में मालदीव की कमान आने के बाद से भारत से दूरी बढ़ी है। भारत को लेकर मोहम्मद मुइज्जू सरकार के रवैये की आलोचना मालदीव के विपक्षी दल भी करते रहे हैं। मोहम्मद मुइज्जू इंडिया आउट नारे के चुनावी अभियान के साथ राष्ट्रपति चुनाव जीते थे। मालदीव सरकार ने भारतीय सैनिकों को 15 मार्च तक देश छोड़ने की डेडलाइन दी थी।
एमडीपी के संसदीय दल के उपनेता हुसैन ने कहा था राष्ट्रपति हिंद महासागर क्षेत्र को अपनी नीतियों के कारण खतरे में डाल रहे हैं। वो सेना की मदद और पैसे का इस्तेमाल कर देश की संसद को सही से चलने नहीं दे रहे हैं। 80 सदस्यों वाली मालदीव की पीपल्स मजलिस यानी संसद में एमडीपी के पास 42 सीटें हैं।
उधर, भारत और नेपाल में चल रही खींचतान के बीच मधेसी समुदाय के लोग पहले ओली सरकार के खिलाफ उतर आए थे। मधेसी नेताओं का कहना है कि भारत और नेपाल के बीच वर्षों से रोटी-बेटी का रिश्ता है लेकिन इसे खत्म करने के लिए नेपाली सरकार नया नागरिकता कानून ला रही है। वहीं भारतीय चैनलों के प्रसारण पर भी नेपाल में रोक लगा दी गई है। इस फैसले का मधेसी लोग विरोध कर रहे हैं।
नेपाल में रहने वाले भारतीय मूल के बहुत से लोग मैथिल,थारू, अवधी और भोजपुरी भाषा का प्रयोग करते हैं। इनका रहन-सहन और वेश-भूषा भारत के लोगों की तरह होती है। उनको नेपाल में मधेसी कहते है। ये लोग भारतीय मूल के लोग ही हैं जो नेपाल में पीढ़ी दर पीढ़ी बसे हुए हैं।
अब नेपाल की पुष्प कमल दहन प्रचंड की सरकार ने सौ रूपये के नोट पर विवादास्पद नक्शा छापा। नेपाल के राष्ट्रपति राम चंद्र पौडेल के आर्थिक सलाहकार ने 100 रुपये के नये नोट जारी करने के सरकार के फैसले पर अपनी विवादास्पद टिप्पणी को लेकर इस्तीफा दे दिया है। राष्ट्रपति कार्यालय द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, राष्ट्रपति ने चिरंजीवी नेपाल के इस्तीफे को मंजूरी दे दी। देश के केंद्रीय बैंक के पूर्व गवर्नर चिरंजीवी नेपाल ने कथित तौर पर नोटों पर नया नक्शा छापने के सरकार के फैसले को अनुचित कदम करार दिया था। पिछले हफ्ते कैबिनेट की बैठक में फैसला किया गया कि 100 रुपये के नए नोट छापते समय पुराने नक्शे की जगह नए नक्शे को लाया जाएगा। नए नक्शे में कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा जैसे क्षेत्र शामिल हैं। भारत का कहना है कि लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा उसकी सीमा के अंतर्गत आते हैं।
भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने पिछले सप्ताह नेपाल सरकार के नए नोट जारी करने के फैसले पर असंतोष व्यक्त किया था। जयशंकर ने कहा कि इससे जमीनी हालात बदलने नहीं जा रहे हैं। नेपाल पांच भारतीय राज्यों- सिक्किम, पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के साथ 1,850 किलोमीटर से अधिक सीमा साझा करता है। (हिफी)
(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)