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चारधाम यात्रा: व्यवस्था की चुनौती!

 

उत्तराखंड की चार धाम यात्रा 10 मई से शुरू हो गई है। केदारनाथ और यमुनोत्री गंगोत्री धाम के कपाट खोले गए हैं जबकि बद्रीनाथ मंदिर में दर्शन 12 मई से शुरू हो गए हैं। इसी के साथ पर्यटकों की भारी भीड़ ने तमाम इंतजामात को ध्वस्त कर दिया यहां पहले ही दिन हजारों लोगों की भीड़ के कारण अव्यवस्था देखने को मिली। वहीं श्रद्धा आस्था के ऊपर पर्यटन वाली मानसिकता हावी होती देखी जा सकती है जिसके चलते पहाड़ के नाजुक पर्यावरण के साथ भी मनमानी खिलवाड़ की जा रही है। अब तक चार धाम यात्रा के लिए गए 11 लोगों की मौत भी हो गई है। आस्था और पर्यटन का यह संगम पहाड़ की सेहत के लिए भी खतरा खड़ा कर सकता है।

चार धाम यात्रा के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु उत्तराखंड पहुंच रहे हैं। यात्रा के शुरू होते ही चार धाम में लग रही भारी भीड़ को देखते हुए दो दिनों के लिए ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन बंद किया गया था। पिछले साल यात्रा खत्म होने के बाद सरकार द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक केदारनाथ में 96, यमुनोत्री धाम में 34, गंगोत्री धाम में 29, बद्रीनाथ धाम में 33 और हेमकुंड साहिब में 7 और गौमुख ट्रेक में 1 यानी कुल दो सौ लोगों की मौत हुई थी। वहीं 2022 में चारधाम यात्रा के दौरान 232 श्रद्धालुओं की मौत हुई थी। यह आंकड़े काफी डराने वाले हैं। अगर आप अभी उत्तराखंड में चारधाम यात्रा करने का प्लान बना रहे हैं तो फिलहाल इसे कुछ दिन टाल दें, क्योंकि अधिक भीड़ हो जाने से व्यवस्थाएं चरमरा गई हैं। यह स्थिति इसलिए बनी क्योंकि बिना रजिस्ट्रेशन के यात्री पहुंच रहे हैं, प्रशासन ने सख्ती शुरू कर दी है। व्यवस्था सुधारने के लिए सचिव स्तर के अधिकारी पहुंचे हैं। इन पंक्तियों के लिखे जाने तक 2 लाख 76 हजार 416 श्रद्धालु चारधाम के दर्शन कर चुके थे। उत्तरकाशी-गंगोत्री मार्ग पर पर 13 मई को गंगनानी के पास 45 किलोमीटर लंबा जाम लगा था जिसे बार-बार खुलवाया गया है। हालांकि यात्रा सुचारु रुप से चलने का दावा किया गया है।

यात्रा के लिए 26 लाख से ज्यादा रजिस्ट्रेशन हो चुके हैं। पांडेय ने बताया कि चारधामों में 14 मई तक ऑनलाइन कुल 26 लाख 73 हजार 519 रजिस्ट्रेशन हो चुके हैं। गंगोत्री में 4 लाख 21 हजार 366, यमुनोत्री के लिए 4 लाख 78 हजार 576, श्रीबद्रीनाथ धाम के लिए 9 लाख सात हजार 60 और केदारनाथ धाम के लिए कुल 8 लाख 13 हजार 558 जबकि श्रीहेमकुंड साहिब के लिए 59,312 पंजीकरण हुए हैं। इसके अलावा हरिद्वार एवं ऋषिकेश में 8 से 14 मई तक कुल 1,42,641 पंजीकरण ऑफलाइन हुए हैं। उपलब्ध जानकारी के अनुसार यमुनोत्री में आज तक 59,158, गंगोत्री में 51,378, केदारनाथ में 1,26,306 व बद्रीनाथ धाम में 39,574 श्रद्धालु दर्शन कर चुके हैं।

पहले दिन अधिक श्रद्धालु पहुंच गए। यमुनोत्री धाम में पांच किमी का रास्ता बेहद संकरा है। यहां पर एक समय में सीमित संख्या में ही लोग आ-जा सकते हैं। पिछले साल जब कपाट खुले थे तो उस दिन कुल 6,838 श्रद्धालु आए थे जबकि इस बार कपाट खुलने वाले दिन 12,193 यात्री आ गए। केदारनाथ धाम में पिछले साल कपाट खुलने वाले दिन 18,335 यात्री आए लेकिन इस साल करीब 29 हजार श्रद्धालु पहुंच गए। सुरक्षा के मद्देनजर कुछ यात्रियों को यमुनोत्री व गंगोत्री मार्ग पर भी ठहराया जा रहा है। सूखी टॉप से लौटते समय व गंगनानी से आगे गेट सिस्टम लागू किया गया है।

अगर कोई टूर ऑपरेटर बिना पंजीकरण वाले यात्रियों को ले जाते हुए मिलता है तो यात्रियों को होल्ड कर वाहनों के परमिट सस्पेंड किए जाएंगे। प्रशासन ने लोगों से रजिस्ट्रेशन कराने के बाद ही यात्रा करने को कहा है साथ ही कहा कि जिस तारीख का पंजीकरण हो उसी दिन पहुंचें।श्रद्धालुओं की हेल्थ स्क्रीनिंग के इंतजाम किए गए हैं श्रद्धालुओं की स्वास्थ्य जांच संबंधी स्क्रीनिंग के पर्याप्त इंतजाम हैं। श्रद्धालुओं से स्वास्थ्य हिस्ट्री पूछी जा रही है। श्रद्धालुओं को स्वास्थ्य के बारे में पूरी व सही जानकारी देना चाहिए। चारों ही धाम ऊंचाई पर हैं जहां एकाएक गर्म स्थानों से आए लोगों को यहां के क्लाइमेट में ढलने में दिक्कत होती है। श्रद्धालुओं के लिए कुल 14 भाषाओं में स्वास्थ्य एडवाइजरी जारी की गई है।केदारनाथ धाम के लिए 18 हजार प्रतिदिन व यमुनोत्री में 8 हजार श्रद्धालु प्रतिदिन के लिहाज से पर्याप्त सुविधाएं उपलब्ध हैं।

10 मई को कपाट खुलने के बाद से अब तक 1 लाख 26 हजार 306 श्रद्धालुओं ने केदारनाथ पहुंचकर नया रिकॉर्ड बनाया है।लोगों के लिए न रुकने का ठिकाना, न खाने-पीने की व्यवस्था पिछले चार दिनों के दौरान गंगोत्री जाते वक्त उत्तरकाशी से 20 किमी आगे बढ़ते ही सड़क किनारे बच्चे, महिलाएं, बुजुर्ग आराम करते दिख रहे हैं। यहां न खाने का ठिकाना है और न रुकने का। आसपास के गांवों के लोग पानी की बोतल के 30 से 50 रु. तो शौचालय उपयोग का 100 रु. तक ले रहे हैं। गंगोत्री रूट पर छह दिन से जाम में फंसे महाराष्ट्र, मप्र, गुजरात, राजस्थान, ओडिशा और दिल्ली के 7 हजार यात्रियों ने आगे की यात्रा स्थगित कर लौटना ही मुनासिब समझा।पौराणिक ग्रंथों के मुताबिक उत्तराखंड में चार धाम यात्रा 1200 साल से हो रही है, लेकिन पहली बार इतने श्रद्धालु पहुंचे हैं। पिछले साल यमुनोत्री, गंगोत्री के कपाट 22 अप्रैल तो केदारनाथ के 25 अप्रैल और बद्रीनाथ के 27 अप्रैल को खुले थे तब यात्रा के शुरुआती पांच दिनों में 52 हजार लोग ही पहुंचे थे। इस बार चार दिन में 1.30 लाख से ज्यादा लोग पहुंच चुके हैं। 2023 में इतने लोग 16 दिन में पहुंच पाए थे।गुजरात सरकार ने श्रद्धालुओं की मदद करने के लिए गांधीनगर में इमरजेंसी ऑपरेशन सेंटर बनाया है।

अधिक तादाद में श्रद्धालुओं के पहुंचने से एक ओर व्यवस्थाओं का गड़बड़ाना लाजिमी है दूसरी ओर पवित्र स्थलों की पवित्रता भी प्रभावित होने की संभावना कम नही है। जब इतना अधिक संख्या में यात्रियों के जमघट चारों धाम पहुंच रहे हैं तो पहाड़ के संवेदनशील भोगोलिक वातावरण पर दुष्प्रभाव होना भी स्वाभाविक है बेशक पर्यटन से राजस्व कमाने और रोजगार व अर्थव्यवस्था सुधारने के लिए चारधाम यात्रा को आकर्षण बनाने की मुहिम की गई जिस का परिणाम यात्रा के लिए आरहे लोगों की बढी तादाद है लेकिन तत्कालिक लाभ के लिए पहाड़ की सेहत से खिलवाड़ उचित नहीं है। पूर्व में उत्तराखंड का केदारनाथ जिस प्राकृतिक त्रासदी से दो चार हो चुका है जिसमें कई हजार श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी उस को भी याद रखना चाहिए लेकिन इन दिनों लोगों में कभी बेहद दुर्गम व पवित्र तीर्थ धाम माने जाने वाले इन पावन स्थलों को पर्यटन की तर्ज पर घूमने की होड़ लगी हुई है दरअसल सम्पन्न मध्यमवर्गीय लोगों में आस्था और पर्यटन एक पंथ दो काज करने की मानसिकता बनी है। लोग इन समुद्र तल से आठ हजार फुट से अधिक ऊचाईयों वाले कम आक्सीजन वाले धार्मिक स्थलों पर बुजुर्गों और छोटे बच्चों को भी साथ लेकर आ रहे हैं। यात्रा शुरु होने के पहले सप्ताह में ही दर्जनों श्रद्धालुओं की मौत बता रही है कि लापरवाही चरम पर है, व्यवस्थाएँ कमजोर है और सिस्टम नाकारा है। (हिफी)

(मनोज कुमार अग्रवाल-हिफी फीचर)

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