आतंकवाद को नीली स्याही से जवाब

भारत के स्वर्ग अर्थात् कश्मीर का बारामूला क्षेत्र अशांत माना जाता है। आतंकवादी अपनी नापाक हरकतें अक्सर करते हैं लेकिन पांचवें चरण के मतदान में बारामूला लोकसभा क्षेत्र मंे सबसे ज्यादा मतदान दर्ज किया गया है। इस प्रकार कश्मीर की जनता ने नीली स्याही से आतंकवाद को जवाब दिया है। इससे पहले सबसे ज्यादा संवेदनशील सीट मानी जाने वाली श्रीनगर मंे 38 फीसद से ज्यादा मतदान हुआ था, जो 28 साल में सबसे ज्यादा था। मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने जम्मू-कश्मीर के मतदाताओं को अपने मताधिकार का बड़ी संख्या में उपयोग करने के लिए धन्यवाद दिया है। देश के सभी लोग कश्मीर मंे मतदान के बढ़े प्रतिशत को देखते हुए खुश हैं और उम्मीद जता रहे हैं कि जम्मू-कश्मीर अब राष्ट्र की मुख्यधारा से जुड़ चुका है। जम्मू-कश्मीर अनुच्छेद 370 के कई प्रावधानों को निष्क्रिय करके केन्द्र शासित राज्य बना दिया गया है। केन्द्रशासित राज्य बनाते समय तमाम तरह की आशंकाएं जतायी जा रही थीं लेकिन धीरे-धीरे वे सभी निर्मूल सािबत हो रही हैं। हालात ऐसे ही सुधरते रहे तो जम्मू-कश्मीर मंे विधानसभा के चुनाव भी शीघ्र कराए जा सकते हैं। इस बार यहां की पांच लोकसभा सीटों के लिए पांच चरण में मतदान कराया गया है।
बारामूला लोकसभा सीट पर कुल 1737865 मतदाता हैं और 2103 केन्द्र बनाये गये थे। वर्ष 1989 मंे यहां सिर्फ 5.45 फीसद मतदान हुआ था। उमर अब्दुल्ला, सज्जाद गनी लोन और शेख अब्दुल रशीद उर्फ इंजीनियर रशीद समेत 22 प्रत्याशी अपनी किस्मत आजमा रहे थे। इंजीनियर रशीद फिलहाल जेल मंे हैं लेकिन उन्हांेने यहां त्रिकोणीय मुकाबला बना दिया था। मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार बहुत उत्साहित हैं। वह कहते हैं कि इस केन्द्र शासित प्रदेश मंे जल्द से जल्द विधानसभा चुनाव कराने की दिशा मंे भी आगे बढ़ेंगे। लोकसभा चुनाव के बाद इस पर भी काम शुरू हो जाएगा।
देशभर में अब तक चुनाव के पांच चरण हो चुके हैं। पांचवें चरण की वोटिंग जम्मू-कश्मीर के बारामूला लोकसभा क्षेत्र में अब तक का सबसे ज्यादा मतदान दर्ज किया गया। बारामूला में 59 प्रतिशत मतदान हुआ, जो कि 1984 के बाद से अब तक सबसे ज्यादा है। केंद्र शासित प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी पी.के. पोल ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि संसदीय क्षेत्र के सोपोर विधानसभा क्षेत्र में 44।36 प्रतिशत मतदान हुआ, जहां बीते कुछ दशकों में यह प्रतिशत 10 से कम रहता था। मतदान संपन्न होने के बाद मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने मीडिया से कहा, बारामूला लोकसभा क्षेत्र में 1967 में पहली बार संसदीय चुनाव होने के बाद इस बार रिकॉर्ड मतदान हुआ है। बारामूला लोकसभा क्षेत्र में इससे पहले सबसे ज्यादा 58.90 प्रतिशत मतदान 1984 में हुआ था। पोल ने कहा कि इस बार यह प्रतिशत 59 रहा।
इससे पहले, लोकसभा चुनाव के चैथे चरण में श्रीनगर सीट पर 38.49 प्रतिशत मतदान हुआ था, जो 1996 के बाद से सबसे अधिक है। बता दें कि अनुच्छेद 370 खत्म होने के बाद घाटी में यह पहला आम चुनाव है। जम्मू-कश्मीर का बारामूला क्षेत्र 1989 से आतंकवाद की चपेट में रहा। इसकी वजह से मतदान अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया था। 1990 के दशक की शुरुआत में उत्तरी कश्मीर आतंकवादियों का गढ़ रहा। पांचवें और आखिरी चरण में, श्रीनगर में 38.5 फीसद मतदान दर्ज किया गया था, जो 1996 के बाद से सबसे ज्यादा है। इससे पता चलता है कि घाटी के लोग बड़ी संख्या में मतदान के लिए घरों से बाहर निकले। मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने बड़ी संख्या में अपने अधिकार के इस्तेमाल के लिए जम्मू-कश्मीर के वोटर्स को धन्यवाद दिया।
चुनाव आयोग की वोटर टर्नआउट ऐप के मुताबिक, हंदवाड़ा विधानसभा क्षेत्र, में सबसे ज्यादा 72 फीसद मतदान दर्ज किया गया, जबकि सोपोर विधानसभा क्षेत्र में सबसे कम 40.1 फीसद मतदान हुआ। चुनाव आयोग ने मुख्य रूप से राहत शिविरों में कश्मीरी प्रवासी मतदाताओं के लिए वोटिंग के लिए विभिन्न श्रेणियों के मतदान केंद्र स्थापित किए थे। जम्मू में 21, उधमपुर में एक और दिल्ली में चार विशेष मतदान केंद्र बनाए गए थे।
चुनाव के पांचवें चरण में 6 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेश की 49 सीटों के लिए शाम छह बजे औसतन 57 प्रतिशत से अधिक मतदान हुआ है लेकिन इनमें सबसे चैंकाने वाला मतदान जम्मू-कश्मीर के बारामुला संसदीय सीट पर देखी गयी जहां 40 सालों के सारे रिकार्ड को तोड़ते हुए 59 प्रतिशत मतदाताओं ने हिस्सा लिया है। लोकतंत्र के महापर्व में जम्मू-कश्मीर के लोगों की बड़ी भागीदारी न सिर्फ लोकतंत्र के प्रति उनकी मजबूत आस्था का संदेश है बल्कि मतदान को लेकर निष्क्रियता दिखाने वाले देश के दूसरे हिस्सों में रहने वाले लोगों को सीख देने वाली है। लद्दाख में भी मतदाताओं ने इस पर्व में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया, जहां 67 प्रतिशत से अधिक मतदान हुआ है। पांचवें चरण में शाम छह बजे तक जिन राज्यों में सबसे अधिक मतदान हुआ है, उनमें पश्चिम बंगाल में 73 प्रतिशत, झारखंड में 63 प्रतिशत, ओडिशा में 61 प्रतिशत, उत्तर प्रदेश में करीब 58 प्रतिशत, बिहार में करीब 53 प्रतिशत व महाराष्ट्र में करीब 49 प्रतिशत मतदान हुआ है। 49 सीटों के लिए हुए मतदान में एक सीट जम्मू-कश्मीर की है जहां बारामूला में मतदान हुआ है।वहीं एक सीट लद्दाख की भी है। इसके साथ ही लोकसभा की जिन सीटों पर मतदान हुआ है, उनमें उत्तर प्रदेश की 14, पश्चिम बंगाल की सात, बिहार की पांच, झारखंड की तीन, महाराष्ट्र की 13 सीटों और ओडिशा की पांच सीटें शामिल है। निर्वाचन आयोग के आंकड़ों के मुताबिक जम्मू-कश्मीर की बारामुला सीट पर इससे पहले 1984 में इतने बड़े पैमाने पर मतदान हुआ था। मतदान का यह रुझान बारामुला में आने वाले क्षेत्रों जैसे हंदवारा, गुलगर्म, कुपवाड़ा, लोलाब व उरी में भी बड़े पैमाने पर देखने को मिला है।पांचवें चरण में बारामुला में लोकतंत्र का ऐसा जश्न मना कि 40 साल बाद रिकॉर्ड मतदान हुआ। जम्मू-कश्मीर में मतदाता जिस तरह का उत्साह दिखा रहे हैं, वह देश के लोकतंत्र में बढ़ते भरोसे का प्रतीक है। पांचवें चरण में बारामुला में लोकतंत्र का ऐसा जश्न मना कि 40 साल बाद रिकॉर्ड मतदान हुआ।
कश्मीर घाटी में सक्रिय आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-ताइबा के एक सक्रिय आतंकवादी उमर के भाई रउफ अहमद लोन ने मतदान करने के बाद कहा कि वोट उनका अधिकार है। उन्होंने कहा कि सभी लोग मतदान करें। अपना वोट बर्बाद न करें। उन्होंने अपने भाई उमर से सुरक्षाबलों के समक्ष आत्मसमर्पण करने की अपील भी की। टीआरएफ कमांडर बिलाल के परिवार ने भी वोट किया। (हिफी)
(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)