गेम जोन से मौत के अस्पताल तक

गुजरात के गेम जोन मंे आग लगने से 32 लोगांे की मौत हो गयी। वहां के हाईकोर्ट ने नगर निगम और स्थानीय प्रशासन को जमकर लताड़ लगायी। वहां सब कुछ तो गड़बड़ पाया गया। जमीन अनाधिकृत थी, जहां गेम जोन बनाया गया। आग से सुरक्षा का कोई इंतजाम ही नहीं था। प्रवेश और निकास का एक ही गेट था। किसी की नजर नहीं पड़ी। सभी हादसे का इंतजार करते रहे। यह व्यवस्था की एक बानगी है। इसी तरह दिल्ली के एक अस्पताल मंे नीचे आक्सीजन सिलेण्डर भरने का अवैध धंधा हो रहा था। सिलेण्डरों मंे विस्फोट हो गया और 7 नवजात शिशुओं की मौत हो गयी। दिल्ली के शिशु केयर अस्पताल में भी केयरलेस व्यवस्था पायी गयी। मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल और उनके मंत्री स्वास्थ्य, पानी और बिजली को लेकर अपनी सरकार की पीठ ठोंकते रहते हैं लेकिन स्वास्थ्य के मामले मंे हद दर्जे की लापरवाही हो रही थी। उपराज्यपाल वीके सक्सेना और राज्य के स्वास्थ्य मंत्री सौरम भारद्वाज ने इस हादसे की जांच के आदेश दिये हैं। व्यवस्था का विद्रूप तो पुणे में भी दिखाई पड़ा जहां एक धनवान के नाबालिग बेटे ने तेज रफ्तार मंे गाड़ी दौड़ाकर दो युवा इजीनियरों की जान ले ली। इतना ही नहीं नाबालिग बेटे को बचाने के लिए कानून से खिलवाड़ उन लोगों ने कियस जिनको मरीज धरती पर जीता-जागता भगवान समझते हैं। उन्हांेने ब्लड सैंपल बदल कर यह साबित करने का प्रयास किया कि नाबालिग शहजादा शराब नहीं पिये थे। भला हो, पुलिस का जिसने एक अतिरिक्त ब्लड सैंपल दूसरे अस्पताल मंे भेज कर पिता के डीएनए से उसका मिलान करवा दिया और आरोपी डाक्टर जेल पहुंचे। सरकार को इस प्रदूषित व्यवस्था को बदलना होगा।
गुजरात हाईकोर्ट ने नगर निगम और स्थानीय प्रशासन को राजकोट गेम जोन मामले को लेकर खूब फटकार लगाई है। टीआरपी गेम जोन के मालिक ने यह पूरा लकड़ी से बना रखा था। इसके अलावा वहां एंट्री-एग्जिट का एक ही गेट था और उन्होंने प्रशासन से एनओसी भी नहीं ली थी। इन गड़बड़ियों की तरफ इशारा करते हुए हाईकोर्ट ने सख्त लहजे में फटकार लगाई। हाईकोर्ट ने पाया कि राजकोट का गेमिंग जोन अनधिकृत जमीन पर बना हुआ था और फायर सेफ्टी को लेकर चार साल से मामला चल ही रहा था। कोर्ट ने इस पर कहा, ‘अब हमें स्थानीय व्यवस्था और राज्य सरकार पर भरोसा नहीं है, आप
अंधे हो गए थे। इतने साल से यह सब चल रहा था तो क्या अधिकारी सो गए थे।’ गुजरात हाईकोर्ट में जस्टिस बीरेन वैष्णव और देवेन देसाई की बेंच ने सुनवाई के दौरान सवाल किया कि इस हादसे के लिए कौन जिम्मेदार है। हम पिछले चार सालों में कितने ऑर्डर पास कर चुके हैं। इसके जिम्मेदार अधिकारी क्यों नींद में थे।’ इस मामले में हाई कोर्ट एडवोकेट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष ब्रिजेश त्रिवेदी ने कोर्ट से कहा कि घटनास्थल को साफ किया जा रहा है। ऐसे में आरोपियों के खिलाफ सबूत कैसे जुटाएंगे। इस पर हाईकोर्ट ने निर्देश दिया कि सभी नगर निगमों के वकील अपना पक्ष रखेंगे। इसके बाद राज्य सरकार के वकील बताएंगे कि सरकार ने क्या कदम उठाएं हैं?
गेम जोन’ में 25 मई की शाम लगी भीषण आग में 10 बच्चों सहित 32 लोगों की मौत हो गई। सरकार के बयान में कहा गया है कि इन अधिकारियों को ‘जरूरी मंजूरी के बिना इस ‘गेम जोन’ को चलाने की इजाजत देकर घोर लापरवाही बरतने का’ जिम्मेदार ठहराया। सरकार ने छह अधिकारियों को निलंबित करने की कार्रवाई ऐसे समय में की है, जब मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल ने संबंधित विभागों को ऐसी गंभीर घटना के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त और दंडात्मक कार्रवाई करने का निर्देश दिया था। ‘गेम जोन’ में आग लगने से 32 लोगों की मौत के बाद पुलिस ने इसके छह पार्टनर्स और एक अन्य के खिलाफ गैर इरादतन हत्या के आरोप में एफआईआर दर्ज की है और दो लोगों को गिरफ्तार किया है।
उधर, दिल्ली के विवेक विहार बेबी केयर अस्पताल अग्निकाण्ड के बाद सरकार हरकत में आई है। दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने स्वास्थय विभाग के साथ बैठक की। उन्होंने सभी छोटे बड़े प्राइवेट और सरकारी अस्पतालों को 8 जून 2024 फायर ऑडिट कराने और रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए है। सरकार ने नर्सिंग होम और अस्पतालों के रजिस्ट्रेशन फॉर्म में भी बदलाव के संकेत दिए हैं। वहीं, अस्पताल के मालिक डॉ नवीन किची को स्थानीय कोर्ट ने 30 मई तक पुलिस रिमांड में भेज दिया है।
स्वास्थ्य मंत्री भरद्वाज ने कहा, ‘अस्पताल मैनेजमेंट ने फरवरी में रिन्यूअल के लिए अप्लाई किया था, लेकिन इसके कुछ डॉक्यूमेंट्स में कमी थी, इसके वजह से इनका रिन्यूवल नहीं हो पाया। मुझे मालूम चला कि डॉ नवीन किची का एक ऐसा ही अस्पताल पश्चिमपुरी इलाके में भी है। इनके खिलाफ पहले से ही 2 केस चल रहे हैं। उन मुकदमों पर भी जल्दी ही फैसला आने का अनुमान है।’
स्वास्थ्य विभाग की बैठक में कुछ अहम फैसले लिए गये। नर्सिंग होम या अस्पताल के रजिस्ट्रेशन फॉर्म में बदलाव किया जाएगा। रजिस्ट्रेशन फॉर्म में स्मोक डिटेक्टर, फायर इस्टिग्यूशर्स और वाटर स्प्रिंक्लर की जानकारी देनी होगी। सभी ब्क्डव् को अस्पतालों और नर्सिंग होम का रेंडम निरिक्षण करने के भी निर्देश दिए गए। स्वस्थय मंत्री ने बैठक में पीड़ित परिवार को आर्थिक मदद या मुआवजा देने के लिए रेवेन्यू डिपार्टमेंट को प्रक्रिया पूरी करने के निर्देश दिया। वहीं सरकार अग्निकांड मामले में 2 नर्स और 5 पड़ोसियों को ब्रेवरी अवार्ड। वहीं, आग लगने की कारणों पर बात करते हुए भरद्वाज ने बताया कि ऐसा अंदेशा जताया जा रहा है कि ग्राउंड फ्लोर पर ऑक्सीजन रिफिलिंग का काम हो रहा था, जिसके वजह से हीयह दुर्घटना घटी। उन्होंने इसकी जांच कराने की भी बात कही।
पुणे के हिट एंड रन की घटना 19 मई की है। पुणे के कल्याणी नगर इलाके में रियल एस्टेट डेवलपर विशाल अग्रवाल के 17 साल के बेटे ने अपनी स्पोर्ट्स कार पोर्श से बाइक सवार दो इंजीनियरों को रौंद दिया था, जिससे दोनों की मौत हो गई। इस घटना के 14 घंटे बाद आरोपी नाबालिग को कोर्ट से कुछ शर्तों के साथ जमानत मिल गई थी। इस घातक दुर्घटना के मामले में कोर्ट ने तीन आरोपियों को पुलिस कस्टडी में भेज दिया है। इनमें जितेश शेवनी, जयेश बोनकर और नाबालिक आरोपी के पिता विशाल अग्रवाल शामिल हैं। अब तक इस मामले में 6 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।
कोर्ट आदेश में कहा गया, किशोर सड़क दुर्घटनाओं और उनके समाधान विषय पर 300 शब्दों का निबंध लिखेगा। पुणे पुलिस ने जमानत आदेश को चुनौती देते हुए सेशन कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था और लड़के के साथ एक वयस्क के रूप में व्यवहार करने की अनुमति मांगी थी क्योंकि उसने जो अपराध किया है वह ‘जघन्य’ है।
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि कार दुर्घटना मामले से निपटने में पुलिस की कोई लापरवाही सामने नहीं आई है और उन्होंने मामले की जांच कर रहे पुलिसकर्मियों पर किसी तरह का दबाव होने से भी इनकार किया था लेकिन बाद में व्यवस्था की पोल खुलती चली गयी। (हिफी)
(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)