चंडीगढ़ में फिर दिलचस्प मुकाबला

पंजाब में भले ही आम आदमी पार्टी (आप) और कांग्रेस दोस्ताना लड़ाई (फ्रेंडली फाइट) कर रहे हैं लेकिन केन्द्रशासित प्रदेश चंडीगढ़ में कांग्रेस प्रत्याशी मनीष तिवारी को आम आदमी पार्टीं का पूरा समर्थन प्राप्त है। कांग्रेस और भाजपा में सीधा मुकाबला होना है। चंडीगढ़ में संसद की एक मात्र सीट पर भाजपा और कांग्रेस दोनों ने प्रत्याशी बदल दिये हैं, इसलिए अंदरूनी विरोध का असर दोनों पर पड़ेगा। कांग्रेस को पिछले महीनों में हुए मेयर के चुनाव परिणाम से अपने प्रत्याशी की जीत की उम्मीद है तो भाजपा उस पराजय का बदला लोकसभा चुनाव में चुकाना चाहेगी। मेयर के चुनाव में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने मिलकर भाजपा को पराजित किया था। इस चुनाव में मतपत्र अवैध करने का प्रकरण ज्यादा उछला था और मामला कोर्ट तक पहुंचा था। इसके बाद ही मेयर पद से भाजपा को हटाकर कांग्रेस प्रत्याशी को कुर्सी दी गयी थी। इस बार भाजपा ने किरण खेर की, जगह संजय टंडन को लोकसभा चुनाव में उतारा जबकि कांग्रेस ने पवन बंसल की जगह मनीष तिवारी को साझा उम्मीदवार बनाया। चंडीगढ़ में 2019 में भाजपा की किरण खेर विजयी रही थीं जो इस बार बीमार बतायी जाती हैं। भाजपा इस बार भी अपनी जीत का दावा करती है जबकि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी मनीष तिवारी इस बार चंडीगढ़ पर विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया का पताका फहराने की बात कहते हैं।
चंडीगढ़ की सीट पिछले दो चुनाव से बीजेपी का गढ़ बनी हुई है, लेकिन इस बार इस सीट पर मुकाबला रोमांचक बना हुआ है। बीजेपी ने इस बार अपनी वर्तमान सांसद किरण खेर का टिकट काटकर संजय टंडन को उम्मीदवार बनाया है तो इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार के तौर पर कांग्रेस नेता मनीष तिवारी मैदान में हैं। पिछले दो चुनाव में इस सीट पर भाजपा की किरण खेर का मुकाबला कांग्रेस के पवन बंसल से हुआ। इस बार दोनों नए उम्मीदवार हैं।
दोनों उम्मीदवारों ने पूरी ताकत झोंकी है। संजय टंडन संघ कार्यकर्ताओं के घर तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं वही मनीष तिवारी आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ जुटे हुए हैं। संजय टंडन ने मनीष तिवारी पर बाहरी होने का आरोप लगाया। मनीष तिवारी ने 2009 में लुधियाना से चुनाव लड़ा, फिर 2019 में आनन्दपुर साहिब चले गए। आज भी उनका वोट लुधियाना में है। वो ये बतायें कि इस बार मतदान वाले दिन वो वोट डालने लुधियाना जाएंगे या नहीं, क्योंकि पिछली बार तो उन्होंने वोट नहीं डाला था। बीजेपी की वर्तमान सांसद किरण खेर पर उनके विरोधी क्षेत्र से अनुपस्थित रहने और जनता से दूर रहने का आरोप लगाते हैं। इस पर टंडन ने कहा कि अपने दूसरे कार्यकाल के आखिरी दो-तीन साल के दौरान किरण खेर बीमारी से जूझ रही थीं और ऐसी हालत में किसी तरह का आरोप लगाना ठीक नहीं है।
कांग्रेस ने हार चुके पवन बंसल की जगह पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी पर दांव लगाया है। इस सीट पर उन्हें आम आदमी पार्टी का भरपूर साथ मिल रहा है। प्रचार समाप्त होने से एक दिन पहले आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल ने उनके लिए रोड शो कर माहौल भी बनाया। चंडीगढ़ सीट पर आप का साथ उनके लिए बेहद जरूरी है। यहां नगर निगम में इस समय आप का ही मेयर है और पार्टी की यहां राजनीतिक ताकत भी है।
इसी साल 30 जनवरी को हुए चंडीगढ़ मेयर चुनाव में बीजेपी की जीत के बाद आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने अदालत का रुख किया था। सुप्रीम कोर्ट में ये याचिका चंडीगढ़ मेयर चुनाव में आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार कुलदीप कुमार की ओर से दाखिल की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने आम आदमी पार्टी (आप) के कुलदीप कुमार को चंडीगढ़ मेयर चुनाव का वैध विजेता करार दिया। इसके बाद रिटर्निंग ऑफिसर अनिल मसीह द्वारा ‘आप’ नेता के पक्ष में आठ वोटों को जानबूझकर अमान्य करने और खारिज करने के कारण कई सप्ताह तक चला विवाद खत्म हो गया। मसीह को अदालत की अवमानना की कार्रवाई का भी सामना करना पड़ा। उन्हें सुप्रीम कोर्ट की तरफ से ‘कारण बताओ’ नोटिस जारी किया गया था।
प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला एवं न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने सुनवाई के दौरान बीजेपी अल्पसंख्यक सेल के पूर्व सदस्य पर कड़ी कार्रवाई करने और बार-बार मुकदमा चलाने की चेतावनी दी थी। कोर्ट ने अपनी जांच में यह पाया कि चुनाव अधिकारी ने अदालत से झूठ बोला है।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, “वीडियो फुटेज को हमने देखा, जिससे लगता है कि चुनाव अधिकारी ने उन 8 बैलेट पेपर्स पर निशान बनाए थे, जो कुलदीप कुमार के पक्ष में थे.” आम आदमी पार्टी और कांग्रेस का आरोप था कि इस चुनाव में पीठासीन अधिकारी ने धांधली की और संख्या बल न होने के बावजूद भी बीजेपी की जीत का एलान किया। यह तथ्य है कि संख्या बल आप और कांग्रेस के पक्ष में था लेकिन उनके आठ वोट अमान्य करार दिए गए थे। अमान्य करार दिए जाने को ही आप और कांग्रेस ने धांधली बताया था।
आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने पहले पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट का रुख किया था, जहाँ से राहत न मिलने पर वो सुप्रीम कोर्ट पहुँचे थे। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए सख्त टिप्पणी की थी चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड ने कहा था, यह लोकतंत्र का मजाक है। जो हुआ, हम उससे हैरान हैं। लोकतंत्र की हत्या इस तरह से नहीं होने दे सकते।
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव करवाने वाले पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह को भी कड़ी फटकार लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव में धांधली मामले में चंडीगढ़ प्रशासन और नगर निगम को भी नोटिस जारी किया था सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “रिटर्निंग अफसर ने अपने अधिकार से बाहर जाकर काम किया।
चुनाव प्रक्रिया के दौरान के जो वीडियो सामने आए थे, उनमें देखा जा सकता था कि पीठासीन अधिकारी मतपत्रों पर हस्ताक्षर करते या कुछ लिखते हुए दिख रहे थे। इस प्रकार कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के पक्ष में जो माहौल बना था, उसकी ही पुनरावृत्ति कांग्रेस चाहती है। (हिफी)
(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)