राजनीति

एमपी मंे शिव व मोहन की बम्पर जीत

 

मोहन यादव के लिए मध्य प्रदेश में लेाकसभा चुनाव 20.24 भाग्यशाली साबित हुए हैं। उनसे पहले राज्य मंे सीएम की कुर्सी शिवराज सिंह चैहान संभाले हुए थे। चैहान ने लाड़ली बहना समेत मध्य प्रदेश को कई लोकप्रिय योजनाएं दीं और केन्द्र की योजनाओं को प्राथमिकता के साथ लागू करवाया। लाड़ली योजना केे चलते ही शिवराज सिंह चैहान को राज्य मंे मामा जी कहा जाता था। उनको हटाकर जब मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाया गया, तब यही कानाफूसी हो रही थी कि लेाकसभा चुनाव पर इसका क्या असर पड़ेगा। भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व ने शिवराज सिंह चैहान को भी लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी बनाया। वह विदिशा से चुनाव लड़े और शानदार जीत भी पायी। चैहान के कार्यकाल मंे ही कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार मंे बगावत हुई थी और ज्योतिरादित्य सिंधिया कई विधायकों के साथ अलग हो गये थे। इस प्रकार शिवराज सिंह चैहान की तीसरी सरकार बनी थी। ज्योतिरादित्य सिंधिया भी गुना संसदीय सीट से पांच लाख से अधिक मतों से जीते हैं। इस प्रकार मोहन यादव के नेतृत्व में मध्य प्रदेश मंे भाजपा ने सभी 29 लोकसभा सीटें जीत लीं। चैहान ने भी पूरी ताकत लगाई। मोदी मंत्रिमंडल मंे राज्य से पांच मंत्री भी बनाए गये हैं। शिवराज सिंह चैहान को केन्द्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास मंत्रालय का दायित्व सौंपा गया है जबकि ज्योतिरादित्य सिंधिया को दूरसंचार मंत्री बनाया गया है। सैटेलाइट ब्राडबैंड और 5जी स्पेक्ट्रम जैसे मामलों पर सिंधिया को महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मध्य प्रदेश के 5 सांसदों को मंत्रिमंडल में शामिल किया लेकिन अब प्रदेश की राजनीति में यह सवाल खड़ा हो गया है कि जो सांसद दिग्गजों को हराकर आए हैं, जिसने लाखों वोटों की बंपर जीत हासिल की है, उनका क्या? उनका क्या, जिन्होंने कमलनाथ और दिग्विजय सिंह जैसे कांग्रेस के बड़े नेताओं को पटकनी दी। पार्टी के उस प्रदेश अध्यक्ष का क्या जिसने प्रदेश में पार्टी को बंपर जीत दिलाई। छिंदवाड़ा में झंडा गाड़ने वाले विवेक बंटी साहू और दिग्विजय सिंह को चुनाव हराने वाले रोडमल नागर खाली हाथ ही रहे। दोनों पीएम मोदी के मंत्रिमंडल में जगह नहीं बना सके। अब ये देखना है कि इन दोनों नेताओं को बड़ी जीत का रिटर्न गिफ्ट कब मिलेगा। बीजेपी को प्रदेश में बंपर जीत दिलाने वाले वीडी शर्मा जल्द ही संगठन में बड़ी भूमिका में नजर आ सकते हैं।

मध्य प्रदेश जैसी सफलता बीजेपी को किसी और राज्य में नहीं मिली। यही वजह है कि एमपी से 5 मंत्री बनाए गए हैं। उन्हें तीन बड़े मंत्रालय भी मिले हैं। मोदी के मंत्रिमंडल में जातियों और राज्यों के समीकरण साधने के लिहाज से मंत्रियों को शामिल किया गया है। रोडमल नागर के सामने दिग्विजय सिंह के रूप में कड़ी चुनौती थी। इसके बावजूद उन्होंने सामाजिक समीकरणों को साधकर जीत पक्की की। इसी तरह छिंदवाड़ा जीतने वाले बंटी साहू पहली बार के सांसद हैं। ऐसे में मध्य प्रदेश में सभी 29 सीटें जीतकर इतिहास बना चुकी बीजेपी बड़ी जीत हासिल करने वाले नेताओं को सरकार और संगठन में जिम्मेदारी देकर बेहतर रिटर्न गिफ्ट दे सकती है।

मध्य प्रदेश की सभी 29 सीटों पर भाजपा ने जीत हासिल की है। मध्य प्रदेश में 29 सीटों के लिए चार चरणों में मतदान हुआ। पहले चरण में 19 अप्रैल को छह सीटों शहडोल, मंडला, जबलपुर, बालाघाट, छिंदवाड़ा और सीधी के लिए वोट डाले गए थे। दूसरे चरण में 26 अप्रैल को छह सीटों – सतना, दमोह, होशंगाबाद, खजुराहो, रीवा और टीकमगढ़ में मतदाता वोट डालेंगे। तीसरे चरण में 7 मई को नौ लोकसभा सीटों – बैतूल, भिंड, भोपाल, गुना, ग्वालियर, मुरैना, राजगढ़, सागर और विदिशा पर मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। चैथे चरण में 13 मई को लोकसभा सीटों – खरगोन, देवास, मंदसौर, उज्जैन, धार, खंडवा और इंदौर पर वोट डाले गए। सीधी से भाजपा के राजेश मिश्रा जीते हैं। उन्होंने कांग्रेस के कमलेश्वर पटेल को हराया है। इस सीट पर वोटिंग प्रतिशत काफी कम रहा। मध्य प्रदेश के विदिशा से भाजपा उम्मीदवार शिवराज सिंह चैहान ने कहा, मैं उन लोगों को धन्यवाद देना चाहता हूं जिन्होंने मुझे 8.20 लाख से अधिक वोटों से जिताया। यह पीएम मोदी पर लोगों के भरोसे का नतीजा है। खरगोन और मुरैना से भाजपा प्रत्याशी जीते हैं। शिवमंगल सिंह तोमर ने मुरैना में बड़े अंतर से जीत दर्ज की है, क्योंकि माना जा रहा था कि शाहपुरौठ में कड़ी टक्कर होगी। गुना-शिवपुरी संसदीय क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ऐतिहासिक जीत हासिल कर एक बार फिर वापसी की है। सिंधिया को 880666 वोट मिले, जबकि कांग्रेस के यादवेंद्र सिंह यादव को 368502 वोट मिले।

लोकसभा चुनाव के नतीजों और सरकार के गठन के बाद बीजेपी में मंथन की बारी है। पार्टी मंथन करेगी कि किसने चुनाव में मेहनत की, किसने अपनों को ही नुकसान पहुंचाया। इसके साथ-साथ पार्टी उन पूर्व सांसदों के भविष्य पर भी मंथन करेगी, जिनका टिकट लोकसभा चुनाव में कट गया। हालांकि, बीजेपी का तर्क है कि पार्टी में हर कार्यकर्ता के लिए काम और हर काम के लिए कार्यकर्ता हैं। यह सूत्र बीजेपी की रणनीति का हिस्सा सदा से रहा है। किस कार्यकर्ता को चुनाव लड़ाना है, किस कार्यकर्ता को संगठन को मजबूत करने का काम देना है, यह बात पार्टी का सामूहिक नेतृत्व तय करता रहा है। आगे भी नेतृत्व ही यह बात तय करेगा। बीजेपी ऐसा प्रयोग बार-बार करती है। इसलिए कभी सफल होती है तो कभी असफल। अगर बीजेपी किसी का टिकट काट रही है तो फिर संगठन में एडजस्ट कर देती है। बीजेपी जिनको टिकट नहीं देती है उनका उपयोग करना भी जानती है। उन्हें काम पर लगाए रखती है। इसलिए नेताओं को यह नहीं लगता कि हम खाली हो गए और हमारी राजनीति खत्म हो गई। बीजेपी ने इस बार साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, गुमान सिंह डामोर, विवेक शेजवलकर, छतर सिंह दरबार, ढाल सिंह बिसेन जैसे नेताओं को टिकट नहीं दिया।

मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान को भी सीएम की कुर्सी से उतारा गया था लेकिन अब राजनीतिक फलक पर काफी ऊपर देखे जा रहे हैं। विदिशा लोकसभा सीट से उन्होंने ऐतिहासिक जीत हासिल की है। शिवराज सिंह चैहान आठ लाख से अधिक वोटों से चुनाव जीतकर दिल्ली जा रहे हैं। विधानसभा चुनाव से लेकर लोकसभा चुनाव तक में ब्रांड शिवराज का जलवा रहा है। विधानसभा चुनाव में भी उनकी योजनाओं का बोलबाला था। कई मामलों में वह नरेंद्र मोदी से आगे निकलते दिखाई दे रहे हैं। बीजेपी के बड़े नेताओं में शिवराज की जीत बड़ी है। एमपी में बीजेपी 29 सीटें जीती हैं तो उसमें शिवराज की योजनाओं और उनकी सक्रियता का बड़ा रोल है। वहीं, राजस्थान में पीएम के चेहरे पर चुनाव लड़ रही बीजेपी को बड़ा नुकसान हुआ है।

दिलचस्प बात यह है कि जबकि देश के कई अलग-अलग हिस्सों में भाजपा के बड़े-बड़े दिग्गज अपने किले नहीं बचा पाए, ऐसे में शिवराज सिंह चैहान ने विदिशा लोकसभा सीट में रिकॉर्ड मतों से विजय हासिल की है। खास बात यह है कि शिवराज सिंह चैहान की मुख्यमंत्री रहते हुए लड़े गए मध्य प्रदेश की विधानसभा चुनाव 2023 में प्रदेश में रेकॉर्ड बहुमत से भाजपा की सरकार बनी थी। प्रदेश में 230 में से 163 सीट पर भाजपा ने जीत हासिल की थी। (हिफी)

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)

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