आंध्र में बदले की राजनीति!

लोकतंत्र के लिए इसे कतई अच्छा नहीं कहा जाएगा लेकिन नियम-कानूनों का सहारा लेकर दक्षिण भारत मंे बदले की राजनीति जमकर की जाती है। तमिलनाडु मंे स्वर्गीय एम. करुणानिधि और स्वर्गीय जे. जयललिता के बीच बदले की राजनीति ने पुलिस कार्रवाई का रूप ले लिया था। अब आन्ध्र प्रदेश मंे भी यही राजनीति दिखाई पड़ रही है। पूर्व मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी को इस बार विधानसभा चुनाव में पराजय का सामना करना पड़ा है। उनकी पार्टी सत्ता से हट गयी और पूर्व सीएम चंद्रबाबू नायडू को नई सरकार बनाने का मौका मिला है। हालांकि उनकी पार्टी तेलुगुदेशम पार्टी (टीडीपी) ने भाजपा और पवन की पार्टी जनसेना के साथ मिलकर सरकार बनायी है लेकिन चन्द्रबाबू नायडू ने जगनमोहन रेड्डी को सबक सिखाना अभी से शुरू कर दिया है। हैदराबाद महानगर निगम (जीएचएमसी) ने गत 16 जून को जगन मोहन रेड्डी के लोटस पांड आवास से लगे फुटपाथ पर कथित अवैध निर्माण को ध्वस्त कर दिया है। जगन मोहन रेड्डी के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के 10 दिन बाद ही यह कार्रवाई हुई है। सितम्बर 2023 मंे आन्ध्र्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री चन्द्रबाबू नायडू को घोटाले के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। राज्य की राजधानी बदलने के पीछे भी यही बदले की राजनीति रही है। आन्ध्र प्रदेश की 175 सदस्यीय विधानसभा मंे टीडीपी को 135 जनसेना को 21, भाजपा को 8 और जगन मोहन रेड्डी की वाईएसआर को सिर्फ 11 विधायक मिले हैं।
हैदराबाद महानगर निगम (जीएचएमसी) ने आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वाई एस जगन मोहन रेड्डी के लोटस पॉन्ड आवास से लगे फुटपाथ पर अवैध निर्माण को ध्वस्त कर दिया। रेड्डी के आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के 10 दिन बाद यह कार्रवाई की गई है। जीएचएमसी के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, नगर निगम के अधिकारियों ने जगन के आवास के सामने फुटपाथ पर परिसर की दीवार से सटे अवैध निर्माण को ध्वस्त कर दिया। उन्होंने कहा कि इन अवैध निर्माण का उपयोग सुरक्षाकर्मियों द्वारा किया जा रहा था। जीएचएमसी के नगर नियोजन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार उन्होंने जगन के आवास पर संबंधित व्यक्तियों को फुटपाथ निर्माण कार्य के लिए छह महीने पहले ही अवैध निर्माण को हटाने के लिए सूचित कर दिया था। अधिकारी ने फुटपाथ निर्माण कार्य के लिए अवैध निर्माण हटाने को कहा था। कॉलोनी के निवासियों ने फुटपाथ पर अतिक्रमण की भी शिकायत की है, जिससे सड़क से गुजरने वाले लोगों को असुविधा हो रही है। उधर, वाईएसआर कांग्रेस पार्टी का कहना है कि ये निर्माण कार्य बारिश एवं गर्मी के दौरान सुरक्षाकर्मियों की सुविधा के लिए किये गए हैं।
आंध्र प्रदेश मंे बदले की राजनीति की कहानी बहुत पुरानी है। लगभग 2 साल पहले सितंबर 2023 तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) के अध्यक्ष और आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू को गिरफ्तार कर लिया गया। उनकी गिरफ्तारी आंध्र प्रदेश पुलिस की सीआईडी ने कथित स्किल डिवेलपमेंट घोटाले में की थी। आरोप था कि यह घोटाला नायडू के 2014 से 2019 के बीच मुख्यमंत्री रहते हुए हुआ था। नायडू की गिरफ्तारी आंध्र प्रदेश में प्रतिशोध की राजनीति के बदलते हुए परिदृश्य को सामने लाई थी। कुछ लोगों का कहना है कि चंद्रबाबू नायडू की गिरफ्तारी भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 का उल्लंघन है। उनका तर्क है कि गिरफ्तारी से पहले न तो राज्यपाल की मंजूरी ली गई और न ही उन्हें कोई नोटिस दिया गया। पिछले पाँच साल में यह पहली बार नहीं है कि उन्हें निशाना बनाया गया है। टीडीपी की 2019 के विधानसभा चुनाव में हुई करारी हार के बाद से उनके खिलाफ 10 मामले दर्ज किए गए। इसी दौरान उनके बेटे नारा लोकेश के खिलाफ 16 अन्य मामले दर्ज किए गए हैं। साल 2019 की हार के बाद अमरावति में चंद्रबाबू नायडू के दफ्तर को बुलडोजर से जमींदोज कर दिया गया था। वाईएसआर कांग्रेस के नेताओं ने इस कार्रवाई पर जश्न मनाया था। वाईएसआर कांग्रेस का कहना था कि अतिक्रमण की वजह से यह कार्रवाई की गई। इसी तरह की कार्रवाई टीडीपी मुख्यालय पर भी हुई थी। इस तरह राज्य में प्रतिशोध की राजनीति का एक नया अध्याय शुरू हुआ। यही नहीं राज्य की विधानसभा में नायडू के परिवार के खिलाफ व्यक्तिगत हमले किए गए। यह इतना तगड़ा था कि नायडू विधानसभा में ही रो पड़े। उन्होंने कसम खाई कि अब मुख्यमंत्री बनने के बाद ही वो विधानसभा में आएंगे। यह वाईएसआर कांग्रेस की ओर से शुरू किया गया कोई नवाचार नहीं था।
चंद्रबाबू नायडू लोकतंत्र के संरक्षक भी नहीं हैं। जगन मोहन रेड्डी जब विपक्ष में थे तो टीडीपी के सदस्यों ने उन पर ताने मारे थे और आरोप लगाए थे। इसके बाद जगन मोहन रेड्डी विधानसभा से बाहर चले गए थे। वो मुख्यमंत्री बनने के बाद ही विधानसभा लौटे थे। चुनाव नजदीक आते ही राज्य में बदले की राजनीति अब अपने चरम पर पहुँच गयी थी। टीडीपी का कहना था कि जब जगन को जेल हुई थी तो उन्हें सहानुभूति मिली थी। बाद मंे जिस तरह से नायडू की गिरफ्तारी हुई, उससे टीडीपी को कुछ सहानुभूति मिल सकती थी।
तेलंगाना के अलग होने के बाद से यानी 4 जून, 2014 से ही आंध्र प्रदेश की राजधानी कहां होगी इसको लेकर चंद्रबाबू नायडू की तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) और जगनमोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के बीच खींचतान देखने को मिली।
तेलुगू देशम पार्टी की ओर से मुख्यमंत्री रहे चंद्रबाबू नायडू ने अमरावती को राज्य की राजधानी बनाने की घोषणा की थी, लेकिन जगनमोहन रेड्डी ने एक साथ तीन शहरों को राज्य की राजधानी का दर्जा देकर नया इतिहास बनाया। उन्होंने कार्यपालिका के लिए विशाखापत्तनम, विधायिका के लिए अमरावती और हाईकोर्ट वाले शहर कर्नूल को न्यायिक मामलों की राजधानी बनाया। तकनीकी रूप से आंध्र प्रदेश की तीन राजधानियों की अवध्रारणा को आंध्र प्रदेश विकेंद्रीकरण और सभी क्षेत्रों के समावेशी विकास अधिनियम, 2020 नामक विवादास्पद कानून में निहित किया गया था। नायडू ने अमरावती को प्राथमिकता दी जिसे आंध्र्र प्रदेश के अन्य शक्तिशाली समुदाय, कम्मों का गढ़ माना जाता है। लेकिन जल्द ही नायडू पर अमरावती शहर के बड़े हिस्से या करीब 33 हजार एकड़ जमीन की बिक्री को लेकर गंभीर आरोप लगे।
जगनमोहन रेड्डी ने उन पर अपने लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए इनसाइडर ट्रेडिंग में लिप्त होने का आरोप लगाया। सरल शब्दों में कहें तो जगनमोहन ने नायडू पर आरोप लगाया कि अमरावती को राज्य की राजधानी बनाए जाने की जानकारी उन्होंने कथित तौर पर अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को लीक की ताकि वे सरकार द्वारा भुगतान की गई मुआवजे की राशि से लाभान्वित हो सकें।
जगनमोहन रेड्डी ने राज्य की राजधानी को विकेंद्रीकृत करने की कल्पना की और उसे हकीकत में जामा पहनाने के लिए कानून भी लाए। लेकिन तीन राजधानी की इस कल्पना को आंध्र प्रदेश के उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया और अमरावती को ही राज्य की राजधानी बनाए रखने का आदेश दिया। हालांकि, सर्वोच्च न्यायालय के मुताबिक, उच्च न्यायालय अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर इस बात पर जोर दे रहा था कि कौन सा शहर राजधानी होगा। उसी समय, सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि उच्च न्यायालय की स्थापना पर राज्य सरकार कोई फैसला नहीं ले सकती। हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी। वहीं इस बहस की दूसरी तरफ अमरावती है जहां 33,000 एकड़ भूमि एक तरह से खाली पड़ी हुई है। ना तो सभी निर्माण कार्य पूरे हो पाए हैं और ना ही जमीन खाली हुई जो किसानों के लिए खेती योग्य है। अब फिर से टीडीपी की सरकार बनी है और चंद्रबाबू नायडू अमरावती को ही राजधानी बनाएंगे।
आंध्र प्रदेश में भाजपा और तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) के गठबंधन को विधानसभा चुनाव में बड़ी जीत मिली है। राज्य में टीडीपी ने सबसे अधिक सीटें जीती हैं। सत्तारूढ़ दल वाईएसआर कांग्रेस 11 सीटों पर सिमट गया है। (हिफी)
(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)