राजनीति

ओडिशा मंे पर्दे के पीछे के हीरो

 

ओडिशा (उड़ीसा) मंे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने पहली बार सरकार बनायी है। पूर्वी भारत का यह राज्य कभी कांग्रेस का गढ़ था लेकिन बीजू पटनायक ने बीजू जनता दल (बीजद) बनाकर कांग्रेस से सत्ता छीन ली। सत्ता पर कब्जा करने के लिए भाजपा भी उसी समय से प्रयास कर रही थी। आज अगर वहां भाजपा ने अपने दम पर सरकार बनायी है तो इसमें पर्दे के पीछे के कुछ हीरो शामिल हैं। इसमें अरुण सिंह का नाम सबसे पहले लिया जाएगा जो 2014 में ओडिशा के प्रभारी बनाये गये थे और पंचायत चुनावों मंे भाजपा को दूसरे नम्बर की पार्टी बना दिया था। इसी प्रकार अश्विनी वैष्णव की भूमिका भी बहुत महत्वपूर्ण रही है। वैष्णव उड़ीसा कैडर से ही आईएएस बने थे और शुरुआती पोस्टिंग बालासोर और कटक जिले मंे थी। उसी समय भीषण चक्रवाती तूफान आया था और डीएम के रूप में अश्विनी वैष्णव ने जनता का दिल जीत लिया था। इस बार चुनाव के दौरान ओडिशा में अश्विनी वैष्णव की रैलियां काफी सफल रही थीं। इस प्रकार ओडिशा मंे भाजपा का भगवा लहराने में पर्दे के पीछे कई चेहरे रहे हैं। कनकवर्द्धन सिंह और प्रवति परीडा को इसीलिए उपमुख्यमंत्री बनाया गया है। भाजपा ने मोहन चरण मांझी को मुख्यमंत्री बनाया है। राज्य की 147 सदस्यीय विधानसभा मंे भाजपा को 78, बीजेडी को 51, कांग्रेस को 14, सीपीआई(एम) को 1 और 3 निर्दलीय विधायक हैं।

अश्विनी वैष्णव का 1994 में सिविल सर्विस परीक्षा में चयन हुआ। उन्होंने ऑल इंडिया 27वीं रैंक हासिल की और आईएस अफसर बने। ओडिशा कैडर मिला। वैष्णव की शुरुआती पोस्टिंग बालासोर और कटक जिले में डीएम के तौर पर हुई। जब ओडिशा में साल 1999 में भीषण चक्रवर्ती तूफान आया, तब वैष्णव पहली बार चर्चा में आए। उन्होंने राहत और बचाव के लिए फौरन कदम तो उठाया ही, साथ ही, निचले इलाकों में रहने वाले लोगों को फौरन सूचना भिजवाई। इससे हजारों लोगों की जान बचाई जा सकी।

सरकार और संगठन दोनों में लिए ये मंत्री महत्वपूर्ण हैं। हाल ही में ओडिशा में सरकार बनवाने में इनकी खास भूमिका रही है। अब इनको महाराष्ट्र फतह करने की जिम्मेदारी दी गयी है। प्रशासनिक अधिकारी से राजनेता बने ये मंत्री मूल रूप से राजस्थान के रहने वाले हैं और पीएम की गुड लिस्ट में शामिल हैं। एनडीए की तीसरी सरकार में अश्विनी वैष्णव को तगड़ा प्रमोशन मिला है। लगातार वो दूसरी बार रेल मंत्री बने। साथ ही आईटी और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय जैसे दो और भारी-भरकम पोर्टफोलिये मिले। वैष्णव ने सरकारी नौकरी छोड़ी फिर कॉरपोरेट की दुनिया में कदम रखा। यहीं से नरेंद्र मोदी के करीब आए और राजनीति की सीढ़ियां चढ़ते गए। परदे के पीछे रणनीति और चुनावी गणित बैठाने वाले वैष्णव को आलाकमान ने प्रचार में उतारा तो जरूर, लेकिन मेहनत करनी पड़ी अपनी कर्मभूमि ओडिशा में। वैष्णव ने प्रचार तो गुजरात और महाराष्ट्र में भी किया, लेकिन ओडिशा में उनकी रैलियां और रोड शो जबरदस्त हिट रहे। बालेश्वर के जिला कलेक्टर के तौर पर तूफान राहत में किया गया, उनका काम उन्हें वाजपेयी सरकार में केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति पर ले गया था। हैं। वैष्णव उन इक्का दुक्का मंत्रियों में हैं, जिन्हें बीजेपी का वार रूम संभाल रही चुनाव मैनेजमेंट की समिति में शामिल किया गया था। परदे की पीछे के मैनेजमेंट में अश्विनी वैष्णव पहले ही मध्यप्रदेश में अपना कमाल दिखा चुके थे। उन्हें भूपेन्द्र यादव के साथ सह प्रभारी बनाया गया था। इसका नतीजा भाजपा की अप्रत्याशित जीत रही। इसकी भविष्यवाणी खुद वैष्णव ने वोटिंग के बाद कर दी थी कि बीजेपी इस बार 135 प्लस रहेगी।

इसी प्रकार अरुण सिंह उत्तर प्रदेश के एक भारतीय राजनीतिज्ञ हैं और वर्तमान में संसद सदस्य, राज्यसभा और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय महासचिव के रूप में अपना दूसरा कार्यकाल पूरा कर रहे हैं। सिंह, एक प्रसिद्ध शिक्षाविद् और सफल राजनेता हैं और भाजपा के दो राज्यों- राजस्थान और कर्नाटक के प्रभारी भी हैं। इससे पहले जब वे भारत के पूर्वी राज्य ओडिशा के प्रभारी थे, तो उनकी कड़ी मेहनत और सुनियोजित रणनीतियों ने पार्टी को ओडिशा में अपने संगठन को और अधिक मजबूत करने में मदद की, जिसके परिणामस्वरूप वहां भाजपा के समर्थन आधार में भी काफी वृद्धि हुई। वर्तमान में वे भाजपा मुख्यालय के भी प्रभारी हैं। यह लगातार दूसरी बार है कि पार्टी नेतृत्व ने श्री सिंह को दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव की जिम्मेदारी सौंपी है। इससे पहले वे राष्ट्रीय सचिव और भाजपा के राष्ट्रीय सदस्यता कार्यक्रम के सह-प्रमुख थे, जिसके बाद भारतीय जनता पार्टी दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी बन गई है।अरुण सिंह ने सार्वजनिक जीवन में तब प्रवेश किया जब वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) में शामिल हुए और संपर्क प्रमुख के साथ काम करते हुए अपनी योग्यता साबित की। उनका राजनीतिक जीवन भारतीय जनता युवा मोर्चा के नेता बनने के साथ शुरू हुआ, जो भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की युवा शाखा है। उन्होंने 1999 से 2004 तक भाजपा की युवा शाखा के उपाध्यक्ष और राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष का पद संभाला और निवेशक प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय संयोजक भी बने। भाजयुमो के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान, देश भर से एक लाख से अधिक युवाओं ने आगरा में आयोजित दो दिवसीय युवा महाधिवेशन में भाग लिया, जो अब तक का सबसे बड़ा महाधिवेशन था। उन्होंने 2009 से 2014 तक भाजपा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य के रूप में भी काम किया। वे वर्ष 2013-14 में ओडिशा भाजपा के राज्य सह-प्रभारी (प्रभारी) थे और बाद में उनकी कर्मठता और दक्षता को देखते हुए उन्हें राज्य प्रभारी के पद पर पदोन्नत किया गया। वे मोदी अभियान समिति, नई दिल्ली, भारत की टीम के सदस्य भी रहे हैं।

ओडिशा में मोहन चरण माझी को नया मुख्यमंत्री बनाया गया है। इसके अलावा ओडिशा में दो उप मुख्यमंत्री भी होंगे। दोनों उप मुख्यमंत्रियों के नाम कनक वर्धन सिंह देव और प्रवति परीडा है।

कनक वर्धन सिंह देव राजघराने से ताल्लुक रखते हैं। इसके अलावा वे काफी समय से बीजेपी से जुड़े हुए हैं। पटनागढ़ विधानसभा सीट से कनक वर्धन सिंह देव ने जीत दर्ज की थी। उन्होंने बीजेडी के उम्मीदवार सरोज कुमार मेहर को 1357 वोटों के अंतर से हरा दिया था। वहीं प्रवति परीडा निमापाड़ा विधानसभा सीट से पहली बार विधायक चुन कर पहुंची हैं। इससे पहले वे ओडिशा में बीजेपी की महिला विंग की अध्यक्ष रह चुकी हैं। ओडिशा की उपमुख्यमंत्री प्रवति परीडा ने कहा कि अब ओडिशा में सुशासन होगा, जहां ओडिशा वासियों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गारंटियों पर लोगों को भरोसा है, हम ओडिशा वासियों के लिए काम करेंगे। (हिफी)

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)

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