लोकसभा स्पीकर पर रार

राजनीति में मर्यादा का दिन-प्रतिदिन हनन हो रहा है। इस बार 18वीं लोकसभा के स्पीकर अर्थात लोकसभा अध्यक्ष के पद पर चुनाव कराने की चर्चा हो रही है। सामान्य रूप से लोकसभाध्यक्ष का पद सत्तारूढ़ दल के पास रहता है। अब इस सिद्धांत को किनारे रख दिया गया है। राष्ट्रपति द्रौपदीमुर्मू ने गत 20 जून को ओड़िशा के कटक से भााजपा सांसद भर्तृहरि महताब को लोकसभा का प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया। प्रोटेम स्पीकर नवनिर्वाचित सांसदों को शपथ दिलाएंगे। नियमानुसार लोकसभा अथवा विधान सभा का अध्यक्ष दलगत राजनीति से परे होकर कार्य करता है। सभी सांसदों को सदन में अपनी बात करने का अवसर देता है। अपनी पार्टी के निर्देशों को भी मानने के लिए बाध्य नहीं होता। यूपीए की पहली सरकार में बामपंथी नेता सोमनाथ चटर्जी लोकसभा अध्यक्ष बनाए गये थे और कांग्रेस के नेतृत्व वाली मनमोहन सिंह सरकार ने अमेरिका से परमाणु समझौता किया तो वामपंथियों ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया। ऐसे हालात में भी सोमनाथ चटर्जी ने अपने पद से इस्तीफा नहीं दिया था।
इस प्रकार लोकसभाध्यक्ष का पद महत्वपूर्ण ही नहीं गरिमा पूर्ण भी होता है। सत्तापक्ष और विपक्ष में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के पद का बंटवारा भी इसी दृष्टिकोण के तहत किया जाता रहा है। अब यहां भी राजनीतिक स्वार्थ पालथी मारकर बैठ गया है। अध्यक्ष और उपाध्यक्ष दोनों पद सत्तारूढ़ दल अपने पास रखना चाहते हैं। इसमें कोई संदेह नहीं कि इस बार विपक्ष काफी मजबूत है। विपक्ष में 235 सांसद हैं लेकिन सत्तारूढ़ दल तिकड़म से अध्यक्ष और
उपाध्यक्ष के पद अपने पास ही रखेंगे। लोकसभा अध्यक्ष का पद भाजपा अपने पास रखेगी। पहले चर्चा थी कि सरकार को समर्थन दे रहे दो बड़े दल-टीडीपी और जद(यू) में से कोई एक अध्यक्ष के पद पर दावेदारी पेश कर सकता है लेकिन चन्द्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार की भी मजबूरियां हैं, जिससे वे दबाव की राजनीति नहीं कर सकते। हां, फायदा उठाने की कोशिश कर सकते है। इसी के तहत उपाध्यक्ष का पद चन्द्रबाबू नायडू की तेलुगुदेशम पार्टी (टीडीपी) को मिल सकता है। हालांकि उपाध्यक्ष पद पर विपक्ष का हक है लेकिन मतदान कराकर भी विपक्ष लोकसभा में उपाध्यक्ष का पद नहीं ले सकता। भाजपा ने लोकसभा में प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति करवाकर यह संदेश दे दिया है कि वह विपक्ष के दबाव में नहीं आने वाली है। लोकसभा में भाजपा और उसके गठबंधन राजग की ताकत कम होने के बावजूद सत्तापक्ष के तेवर में कोई कमी नहीं आई है। सरकार ने ऐलान कर दिया है कि अध्यक्ष और उपाध्यक्ष दोनों पद सत्तापक्ष के पास ही रहेंगे। विपक्ष परम्परा के अनुसार उपाध्यक्ष पद के लिए दावा कर रहा है लेकिन अब संसदीय परम्पराओं का सम्मान ही कितना होता है। भाजपा के इस रूख को देखकर ही विपक्ष ने भी घोषणा कर दी कि अब अध्यक्ष और उपाध्यक्ष दोनों ही पदों पर चुनाव करवाया जाएगा।
यह अच्छी बात नहीं है लेकिन सत्ता पक्ष और विपक्ष के टकराव की शुरूआत प्रोटेम स्पीकर भर्तृहरि को लेकर हो चुकी है। कांग्रेस की तरफ से वरिष्ठ सांसद के। सुरेश का नाम आगे किया गया था। इस प्रकार की भी परम्परा रही है क्योंकि 8 बार के सांसद के। सुरेश का दावा भी बनता था लेकिन भाजपा ने 7 बार के सांसद भर्तृहरि महताब को प्रोटेम स्पीकर बनवाया है। सरकार ने इसे नियमों के अनुरूप भी बताया। तर्क दिया गया कि भर्तृहरि कभी चुनाव नहीं हारे जबकि सुरेश दो बार पराजित हो चुके हैं। बहरहाल, विपक्ष के तेवर भी कमजोर नहीं दिख रहे हैं। कांग्रेस के सांसदों की संख्या ही इस बार लगभग दो गुनी हो गयी है। विपक्ष में 235 सांसद हैं और सरकार को संविधान संशोधन जैसे विधेयकों पर पीछे हटना पड़ेगा।
राष्ट्रपति मुर्मू ने संविधान के आर्टिकल 95 (1) के तहत कटक से भाजपा सांसद भर्तृहरि महताब को लोकसभा का प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया है। महताब संसद में नवनिर्वाचित सांसदों को शपथ दिलाएंगे। संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने सोशल मीडिया पर इसकी जानकारी दी। रिजिजू ने बताया कि राष्ट्रपति ने संविधान के आर्टिकल 99 के तहत लोकसभा स्पीकर के चुनाव तक नवनिर्वाचित सांसदों को शपथ दिलाने में प्रोटेम स्पीकर की मदद करने के लिए सुरेश कोडिकुन्निल, थलिक्कोट्टई राजुथेवर बालू, राधा मोहन सिंह, फग्गन सिंह कुलस्ते और सुदीप बंदोपाध्याय को नियुक्त किया है।
कटक लोकसभा क्षेत्र से छह बार बने रहे सांसद महताब ने 22 मार्च को बीजद (बीजू जनता दल) की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने आरोप लगाया था कि बीजू जनता दल में स्वतंत्र रूप से काम करने का मौका नहीं मिला। तभी से भाजपा में शामिल होने की अटकलें थीं। महताब के इस्तीफा देने के कुछ दिनों बाद बीजू जनता दल ने लोकसभा चुनाव के लिए महताब का टिकट काट दिया था। कटक में महताब के स्थान पर बीजद ने संतृप्त मिश्रा को उम्मीदवार बनाया। महताब ने कटक सीट पर अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी बीजद के संतरूप मिश्रा को 57,077 वोटों से हराया। वहीं ओडिशा में लोकसभा की कुल 21 सीटों में से 20 पर जीत हासिल कर भाजपा ने बीजू जनता दल का लोकसभा चुनाव में सूपड़ा साफ कर दिया।
अठारहवीं लोकसभा का पहला सत्र 24 जून से शुरू हुआ। इस दौरान निचले सदन के नए सदस्य शपथ लेंगे और फिर 26 जून को लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव होगा। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 27 जून को लोकसभा और राज्यसभा की संयुक्त बैठक को संबोधित करेंगी और अगले पांच वर्ष के लिए नई सरकार के कामकाज की रूपरेखा प्रस्तुत करेंगी। (हिफी)
(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)