खाद्य पदार्थों की पैकिंग में घातक लापरवाही

हाल ही में देशभर से ऐसे कई मामले सामने आ रहे हैं जहां कभी कंपनी की सील आइसक्रीम से इंसान की कटी हुई उंगली निकली, कभी चिप्स के पैकेट से मेंढक निकलना तो कभी सांभर और चॉकलेट सिरप से मरा हुआ चूहा। ऐसे ही एक मामला अब झारखंड में टाटानगर स्टेशन पार्किंग के पास एक व्यक्ति की सीलबंद पानी बोतल में मरी हुई छिपकली दिखी है। कस्टमर ने रेलवे स्टेशन के पास पानी खरीदा था। मशहूर कम्पनियांे की खाने-पीने की वस्तुओं में कीड़े, ब्लेड, कटी उंगली, चूहे, मेंढक और कॉकरोच तक निकल रहे हैं। देश भर में लापरवाही का कुछ इस तरह का दौर चल रहा है कि स्ट्रीट फूड से लेकर बड़ी-बड़ी कम्पनियों द्वारा बनाई गयी। खाने-पीने की वस्तुओं और यहां तक कि विमान सेवाओं द्वारा अपनी उड़ानों के दौरान यात्रियों को परोसे जाने वाले भोजन में भी हानिकारक और जानलेवा पदार्थ बरामद हो रहे हैं। यह स्थिति कितनी गंभीर होती जा रही है, यह इसी महीने के मात्र 15 दिनों के भीतर ही ऐसे दर्जनों गंभीर मामले बताते हैं।
6 जून को असम के बाजाली जिले में एक प्रसिद्ध कम्पनी के फ्रूट ड्रिंक के पैकेट में कीड़ा निकला। 10 जून को विमान सेवा एयर इंडिया की बेंगलुरू से अमरीका के सैनफ्रांसिस्को जा रही फ्लाइट में एक यात्री को परोसे गए स्वीट पोटैटो (शकरकंदी और अंजीर) की चाट में ब्लेड निकलने का मामला सामने आया, जिस पर एयर इंडिया ने गलती स्वीकार कर माफी मांगी।13 जून को मुम्बई में एक डाक्टर जब ऑनलाइन आर्डर करके मंगवाई गई एक प्रसिद्ध कम्पनी की आइसक्रीम खा रहा था तो उसे उसका स्वाद बड़ा ही विचित्र लगा। इस पर उसने उस टुकड़े को मुंह से बाहर निकाल कर देखा तो उसके होश उड़ गए क्योंकि जिस चीज को वह आइसक्रीम में डाला हुआ कोई मेवा या चाकलेट का टुकड़ा समझ कर चबा रहा था, वह किसी इंसान की कटी हुई उंगली थी।15 जून को नोएडा में एक महिला द्वारा मंगवाई गई एक प्रसिद्ध कम्पनी की आइसक्रीम में एक कनखजूरा पाया गया। 18 जून को भोपाल से आगरा जाने वाली वंदे भारत ट्रेन के एक यात्री ने शिकायत की कि उसे इंडियन रेलवे केटरिंग एंड टूरिज्मकार्पोरेशन (आई.आर.सी.टी.सी.) द्वारा परोसी गई सब्जी में मरा हुआ कॉकरोच मिला। यात्री ने सब्जी की तस्वीर भी सोशल मीडिया पर शेयर की।19 जून को गुजरात के जामनगर में जैसमिन पटेल नामक एक युवती द्वारा खरीदे गए एक प्रसिद्ध कम्पनी के पोटैटो चिप्स के एक पैकेट में चिप्स जैसी आकृति में पूरी तरह सड़ा हुआ मेंढक बरामद हुआ। इस मामले में जब महिला ने कम्पनी के वितरण और ग्राहक सेवा विभाग से शिकायत की तो उसे कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया गया।19 जून को ही केरल में एक महिला द्वारा केक के साथ खाने के लिए मंगवाए एक प्रसिद्ध कंफैक्शनरी कम्पनी द्वारा निर्मित चॉकलेट सिरप परिवार की लड़कियों ने चखा तो उनमें से एक बेहोश हो गई। शक होने पर उन्होंने बोतल को खोला तो उसमें से बहुत गाढ़ा सिरप निकला जिसमें कुछ बाल भी चिपके हुए थे तथा उसमें से एक मरा हुआ बहुत छोटा सा चूहा भी बरामद हुआ। मुरादाबाद के एक नामी मिठाई विक्रेता की महंगी अंजीर की मिठाई में कीड़े निकलने के दर्जनों अलग विडियो वायरल हैं। हापुड़ जिले में भी एक हलवाई के समोसे में आलू के साथ मरी छिपकली मिली लेकिन फूड सेफ्टी अधिकारी ने चैथ वसूल कर मामला सुलटा दिया।
ये तो चंद उदाहरण मात्र हैं। वास्तव में भारत में पिछले कुछ समय के दौरान विशेष रूप से ऑनलाइन मंगवाई जाने वाली खाने-पीने की वस्तुओं में तरह-तरह की हानिकारक वस्तुएं और मरे हुए जीव-जंतु निकलने की घटनाओं में वृद्धि देखी गई है। उक्त घटनाएं उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा हैं जो किसी उत्पाद के निर्माण और पैकेजिंग के मापदंडों पर भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 272 (बिक्री के लिए इच्छित खाद्य या पेय पदार्थों में मिलावट) के तहत कोई भी व्यक्ति जो भोजन या पेय में मिलावट का अपराध करता है, उसे छह महीने तक कैद या जुर्माना या दोनों से पीड़ित किया जा सकता है। गंभीर सवाल भी उठा रही हैं। आईपीसी की धारा 273 (दूषित भोजन या पेय पदार्थों की बिक्र) के तहत जो कोई भी किसी ऐसी वस्तु को बेचता है, या पेश करता है या बिक्री के लिए रखता है, जो दूषित हो गई है या खाने या पीने के लिये अनुपयुक्त स्थिति में है, यह जानता या विश्वास करने का कारण रखता है कि वह भोजन के रूप में दूषित पदार्थ या शराब पीता है, तो उसे छह महीने तक कैद या एक हजार रुपए तक का जुर्माना या दोनों से दंडित किया जाएगा।
फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड एक्ट के तहत मिलावटी व खुले में चीजें बेचने वाले दुकानदारों पर जुर्माना का प्रावधान है और उन्हें जेल भी जाना पड़ सकता है। अधिकारियों की औपचारिक कार्रवाई और दुकानदारों के मुनाफा कमाने के चक्कर में इन खाद्य पदार्थों के सेवन से आम आदमी की सेहत बिगड़ सकती है लेकिन अफसोस कि अब तक इन दुकानदारों के खिलाफ कोई भी कार्रवाई नहीं की जा रही है। डा. सोनू शर्मा के अनुसार बाजार में बिकने वाले तैलीय पदार्थ को बनाने के लिए सामग्री भी मिलावट की इस्तेमाल होती है जिससे शरीर में गैस, अपच, पथरी, एसिड, दस्त जैसी बीमारियों का जन्म होता है। आज कल साठ फीसद बीमारियां दूषित खान पान से होती है। खास बात यह है कि बाजार में कटे व गले फलों को लोग सस्ते होने के कारण खरीद लेते हैं जबकि ऐसे फलों का प्रदूषित होना आम बात है।
देश भर में अधिकांश शहर कस्बों में कुछ दुकानदार दूषित खाद्य पदार्थ बेचकर मुनाफा कमा रहे है। ऐसी चीजें खाने से अक्सर लोग बीमार भी होते हैं। बिना ढके बेची जाने वाली इन चीजों पर धूल-मिट्टी पड़ती है, वहीं मक्खियों के इन पर बैठने से यह खाद्य पदार्थ बीमारी का घर बन जाते हैं। दूसरी तरफ स्वास्थ्य विभाग सिर्फ त्योहारों के समय ही खाद्य पदार्थो की चेकिग व सैंपल भरने की मुहिम चलाता है। त्योहारों के बाद विभाग निष्क्रिय हो जाता है। इसके अलावा शहर के कई हिस्सों में भी बिना जांच परख के मीट बेचा जा रहा है। यहां भी स्वास्थ्य विभाग के नियमों का पालन नहीं हो रहा। वहीं बाजार में समोसे, ब्रेड, गोल गप्पे, पकौड़े, लड्डू, मिठाई बिना ढके ही दुकानदार सरेआम बेच रहे हैं। प्रशासन के आदेश केवल बंद कमरों तक ही सीमित रह जाते हैं। त्योहारों के समय सेहत विभाग की ओर से कमरो से बाहर निकल कर खाद्य पदार्थ बेचने वाले दुकानदारों के खिलाफ ही कार्रवाई की जाती है, मगर जब यह त्योहार समाप्त हो जाते है तो उसके बाद प्रशासन के आदेश बंद कमरों तक ही सीमित होकर रह जाते हैं जिसका फायदा उठाकर दुकानदार खुले में रखे हुए पदार्थ बेचकर लोगों के जीवन के साथ खिलवाड़ किया जाता है।यहां तक कि फूड सेफ्टी के लिए तैनात अधिकारी हर होटल स्वीट दुकानों रेस्टोरेंट किराना व डेरी उत्पाद विक्रेताओं से हर महीने एक नियत चैथ वसूली करते हैं। (हिफी)
(मनोज कुमार अग्रवाल-हिफी फीचर)