राजनीति

मोहन सरकार का सराहनीय फैसला

नेताओं को जनता ने दुख-दर्द से लेना-देना सिर्फ भाषण तक सीमित माना जाता है। ऐसे हालात में अगर किसी राज्य की सरकार कोई फैसला प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप में जनता के हित में करती है तो उसे अनुकरणीय कहा जाएगा। मध्य प्रदेश की मोहन यादव सरकार ने एक ऐसा ही फैसला लिया है। इससे आम जनता को प्रत्यक्ष रूप से कुछ भी मिलता नहीं दिख रहा है लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से जनता का भला होगा। जनहित में कई योजनाएं सरकार को इसलिए स्थगित करनी पड़ती हैं क्योंकि सरकार के पास पर्याप्त पैसा नहीं होता। इसलिए मध्य प्रदेश की मोहन यादव सरकार ने अपने मंत्रियों का आयकर (इनकम टैक्स) न भरने का जो फैसला किया है, उससे बचा हुआ धन जनहित में खर्च किया जा सकेगा। मध्य प्रदेश मंे 1972 मंे इस प्रकार का निर्णय लिया गया था, जिसके तहत सरकार अपने मंत्रियों का आयकर अदा करती थी। पिछले वित्तीय वर्ष में भी मध्य प्रदेश की सरकार ने इसी मद मंे 79 लाख से ज्यादा रुपये जमा कराए थे। पिछले पांच साल में मंत्रियों के आयकर अदा करने पर सरकार के साढ़े 3 करोड़ रुपये खर्च हो गये। इन रुपयों से अस्पताल बनवाया जा सकता है अथवा छात्र-छात्राओं के लिए विद्यालय खोला जा सकता है। मध्य प्रदेश की तरह ही अन्य राज्य सरकारों को भी मंत्रियों और विधायकों पर खर्च की गयी राशि में कटौती करनी चाहिए। मंत्रियों और विधायकों को वेतन-भत्ते और अन्य सुविधाएं इतनी मिलती हैं कि सरकार दो फीसद भी कटौती कर दे तो करोड़ों रुपये बचेंगे। मध्य प्रदेश में ही सरकार को जरूरी खर्चे पूरे करने के लिए केन्द्र सरकार से 15 हजार करोड़
रुपये का कर्ज लेना पड़ रहा है। कमोवेश ऐसी ही स्थिति कई अन्य राज्यों की है।

मध्य प्रदेश में अब मंत्री खुद अपना इनकम टैक्स भरेंगे। राजधानी भोपाल में 25 जून को हुई कैबिनेट की बैठक में प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने यह फैसला लिया। अब तक मंत्रियों का इनकम टैक्स प्रदेश सरकार ही जमा करते आई थी लेकिन सीएम मोहन यादव के इस फैसले के बाद मंत्री भी इनकम टैक्स का भुगतान करेंगे। डॉ. मोहन यादव ने कैबिनेट की मीटिंग के बाद कहा कि अब सभी मंत्री अपना इनकम टैक्स स्वयं वहन करेंगे और शासन को इससे कोई भार नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा, अब तक 1972 के नियम के मुताबिक मंत्रियों और संसदीय सचिव तक का इनकम टैक्स भरने का भार सरकार पर जाता था लेकिन अब तमाम मंत्री इनकम टैक्स खुद ही भरेंगे।
हर वर्ष मुख्यमंत्री और मंत्रियों के इनकम टैक्स भरने में सरकार के करोड़ों रुपये खर्च होते थे। इस फैसले से सरकारी खाते में काफी बचत होगी। सीएम मोहन यादव ने फैसले की जानकारी देते हुए कहा कि कैबिनेट की बैठक में कई सारे निर्णय लिये गए हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश की प्रगति को लेकर अहम फैसले हुए हैं। मोहन यादव ने कहा कि अब हमारे सारे मंत्रीगण अपने-अपने इनकम टैक्स खुद ही भरेंगे। एक रिपोर्ट के अनुसार, साल 2023 से 2024 के लिए मंत्रियों और विधानसभा अध्यक्ष सहित 35 जनप्रतिनिधियों का 79 लाख से ज्यादा का इनकम टैक्स प्रदेश की सरकार ने जमा किया था। पिछले पांच साल में मंत्रियों के आयकर पर करीब साढ़े 3 करोड़ रुपये सरकार के खर्च हुए।
मध्य प्रदेश की सरकार एक बार फिर भारी कर्ज लेने जा रही है। यह कर्ज 88 हजार 540 करोड़ रुपये का होगा। इससे सरकार अपनी महत्वाकांक्षी योजनाओं को संचालित कर सकेगी। इस कर्ज में सरकार 73 हजार 540 करोड़ रुपये बाजार से और 15 हजार करोड़ रुपये केंद्र सरकार से लेगी। पिछले वित्तीय वर्ष के मुकाबले यह कर्ज 38 फीसदी ज्यादा है। सरकार ने 2023-24 वित्त वर्ष में 55 हजार 708 रुपये का कर्ज लिया था। इस मामले को लेकर वित्तीय मंत्री जगदीश देवड़ा का कहना है कर्ज लेना कोई महत्वपूर्ण बात नहीं है। सरकार विकास के लिए कर्ज लेती है और समय पर उसका भुगतान भी करती है। कांग्रेस इसे लेकर सरकार पर सवाल खड़े किए।

सरकार की फिलहाल कुल आय 2.52 लाख करोड़ रुपये है। जबकि, उसका राजस्व खर्चा 2.51 लाख करोड़ रुपये है। विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार की आय के मुकाबले खर्चा ज्यादा हो रहा है। इसलिए सरकार को फिलहाल उन्हीं योजनाओं पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए, जो जरूरी हों। सरकार कर्ज लेकर खर्च कर रही है यह ठीक नहीं है। सरकार को अपनी आय के स्रोत बढ़ाने होंगे। गौरतलब है कि वर्तमान में सरकार प्रदेश की ‘फ्री बी’ योजनाओं पर जबरदस्त खर्च कर रही है। इसके बारे में सोचा जाना चाहिए। सरकार लाड़ली बहना योजना पर हर साल 18 हजार करोड़ रुपये खर्च कर रही है। लोगो को 100 रुपये में 100 यूनिट बिजली दी जा रही है। सरकार अगर कृषि पंपों पर सब्सिडी देना चाहती है तो उसे 17 हजार करोड़ रुपये चाहिए। 450 रुपये में सिलेंडर देने के लिए 1000 करोड़ रुपये चाहिए। इस तरह की योजनाओं पर सरकार का 25 हजार करोड़ रुपये खर्च हो रहा है। इसके अलावा कर्मचारियों के वेतन-भत्तों पर भी सरकार का खर्च हो रहा है। सरकार को जीपीएफ में नुकसान हो रहा है। साल 2021-22 में सरकार ने वेतन भत्तों पर 59 हजार 662 करोड़ रुपये खर्च किए। यह बजट का 24.78 फीसदी था। यह खर्च 2023-24 में 82 हजार 838 करोड़ रुपये पहुंच गया। यह बजट का 27.43 फीसदी था। सरकार को 2023-24 में जीपीएफ के लिए 4949 करोड़ रुपये मिले। जबकि, सरकार ने भुगतान 5563 करोड़ रुपये का किया। इसमें सरकार को 600 करोड़ से ज्यादा का भुगतान करना पड़ रहा है।

अब मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव आपातकाल के खिलाफ संघर्ष में भाग लेने वाले लोकतंत्र सेनानियों के लिए कई अतिरिक्त सुविधाओं की भी घोषणा की है। देश में लागू किए गए आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ 25 जून को थी। लोकतंत्र सेनानियों को तीन दिन तक सरकारी अतिथि गृह में ठहरने की सुविधा 50 प्रतिशत छूट पर दी जाएगी। उन्हें राजमार्ग पर टोल चुकाने में भी छूट मिलेगी। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र सेनानियों को आयुष्मान स्वास्थ्य कार्ड के माध्यम से इलाज पर होने वाले खर्च के भुगतान में कोई देरी नहीं होगी। उन्होंने कहा कि संबंधित जिलाधिकारी तीन महीने के भीतर उन्हें भुगतान सुनिश्चित करेंगे। यादव ने इस अवसर पर घोषणा की कि गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं के मामले में लोकतंत्र सेनानियों को इलाज के लिए बड़े अस्पतालों या अन्य महानगरों में जाने के लिए एयर एंबुलेंस उपलब्ध कराई जाएगी।
मोहन यादव सरकार को राज्य की आर्थिक स्थिति को देखकर ही सुविधाओं का भंडार खोलना चाहिए। (हिफी)

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)

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