लेखक की कलमसम-सामयिक

मुख्यमंत्री पर मानहानि का मुकदमा

 

राजनीति मर्यादा की लीक से हटकर चलने लगी तो पतन की तरफ जाना स्वाभाविक है। मुख्यमंत्री गिरफ्तार कर जेल भेजे जा रहे हैं, उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे हैं और शर्मनाक तो यह कि वे सीएम पद से इस्तीफा भी नहीं दे रहे हैं। इसी कड़ी में पहली बार पश्चिम बंगाल की मुख्मयंत्री ममता बनर्जी पर मानहानि का मुकदमा दर्ज हुआ है। यह मुकदमा किसी सामान्य व्यक्ति ने नहीं बल्कि राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने दर्ज करवाया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी राज्यपाल पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है। राज्यपालों और मुख्यमंत्रियों के बीच मतभेद तो अक्सर सुनने को मिलते हैं लेकिन अब आरोपों का स्तर गंभीर हो गया है। पश्चिम बंगाल का मामला यही बताता है कि अब कोई ऐसा मानदण्ड तय करना होगा जिससे इस प्रकार के आरोपों की नौबत न आए। केन्द्र और राज्य के अलग-अलग दलों की सरकार होने से राजभवन और सरकार में विवादों की नौबत आती है, इसलिए राजभवन को भी अपनी गरिमा को देखते हुए ही आचरण करना मुनासिब होगा। बहरहाल, पश्चिम बंगाल के राज्यपाल बोस ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर दी है तो अब कोर्ट के फैसले का इंतजार करना चाहिए।

पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ कलकत्ता हाईकोर्ट में मानहानि का केस किया है। देश के इतिहास में शायद यह पहला मौका है जब किसी राज्यपाल ने अपने ही राज्य के मुख्यमंत्री के खिलाफ ऐसा कदम उठाया है। राजभवन ने इस बारे में जानकारी देते हुए कहा कि राज्यपाल बोस ने दिल्ली में केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल से मुलाकात के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ केस करने का फैसला लिया। बाद में बोस ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी। राज्यपाल की याचिका में तृणमूल कांग्रेस के कुछ अन्य नेताओं के भी नाम बताए जा रहे हैं। हालांकि इन नामों को अभी सार्वजनिक नहीं किया गया है। इससे पहले बोस ने ममता बनर्जी के उस बयान की आलोचना की जिसमें सीएम ने कहा था, महिलाएं राजभवन में चल रही गतिविधियों के कारण वहां जाने से डरती हैं। इस बारे में महिलाएं मुझसे शिकायत करती हैं। दरअसल यह मामला विधानसभा उपचुनाव में जीते दो विधायकों सायंतिका बनर्जी और रियात हुसैन के शपथग्रहण से जुड़ा हुआ है। राज्यपाल ने अपनी सुविधा के अनुसार इन दोनों को राजभवन में शपथ लेने के लिए आमंत्रित किया था। लेकिन दोनों विधानसभा में शपथ लेने के लिए अड़े थे और इस बारे में दोनों ओर से पत्र-व्यवहार हो रहे थे। इसी संदर्भ में ममता ने महिलाओं के राजभवन जाने से डरने वाला बयान दिया था। राज्यपाल बोस ने कहा था कि जनप्रतिनिधियों से उम्मीद की जाती है कि वे झूठे और निंदात्मक बयान न दें।

इसके बाद ही राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ कलकत्ता हाईकोर्ट में मानहानि का मुकदमा दायर किया है। राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने कहा कि मुख्यमंत्री को झूठ के जरिए उनका चरित्र खराब करने का कोई अधिकार नहीं। इस तरह के आरोपों से मुझे कोई नहीं डरा सकता। मैं अपने स्वाभिमान का हनन बर्दाश्त नहीं करूंगा। अपने खिलाफ कथित आपत्तिजनक टिप्पणी को लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ कलकत्ता हाईकोर्ट में मानहानि का मुकदमा दायर करने के बाद राज्यपाल डॉ. सीवी आनंद बोस ने तृणमूल सुप्रीमो पर जोरदार हमला बोलते हुए सारी हदें पार कर देने का आरोप लगाया है। नई दिल्ली में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात के बाद राज्यपाल ने कहा कि मुख्यमंत्री को झूठ के जरिए उनका चरित्र खराब करने का कोई अधिकार नहीं है। इस तरह के आरोपों से मुझे कोई डरा नहीं सकता है। मैं अपने स्वाभिमान का हनन बर्दाश्त नहीं करूंगा। मामला वही है कि विधानसभा उपचुनाव में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के दो नव निर्वाचित विधायकों सायंतिका बनर्जी और रेयात हुसैन सरकार के शपथ में देरी को लेकर मुख्यमंत्री ने दावा किया था कि महिलाओं ने मुझसे शिकायत की है कि वे राजभवन में हालिया घटनाओं के कारण वहां जाने से डरती हैं। राजभवन की एक अस्थाई महिला कर्मचारी ने हाल में राज्यपाल पर छेड़छाड़ का आरोप लगाते हुए कोलकाता पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी। ममता का इशारा उसी की तरफ था। मुख्यमंत्री की इसी टिप्पणी के खिलाफ राज्यपाल ने मानहानि का मुकदमा किया है।

पश्चिम बंगाल में नए विधायकों के शपथ ग्रहण समारोह को लेकर तृणमूल कांग्रेस और राज्यपाल के बीच तनातनी बढ़ गई है। दोनों टीएमसी विधायक सायंतिका बनर्जी और रेयात हुसैन सरकार राजभवन के बजाय विधानसभा में ही शपथ लेना चाहते हैं। उनका कहना है कि राजभवन में महिलाओं के लिए सुरक्षित माहौल नहीं है। यह विवाद तब और बढ़ गया जब दोनों विधायकों ने राज्यपाल सीवी आनंद बोस द्वारा राजभवन में शपथ ग्रहण के निमंत्रण को अस्वीकार कर दिया। उन्होंने विधानसभा परिसर में बीआर अंबेडकर की प्रतिमा के सामने धरना दिया और विधानसभा अध्यक्ष को ही शपथ दिलाने की मांग की।

विधानसभा अध्यक्ष बिमान बनर्जी ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर इस मामले में हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया है। वहीं, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्यपाल पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्हें इस प्रक्रिया में बाधा डालने का कोई अधिकार नहीं है। बनर्जी ने कहा कि कोई भी राजभवन नहीं जाना चाहता क्योंकि वहां कुछ ऐसी गतिविधियां चल रही हैं। महिलाएं राजभवन में प्रवेश करने से डरती हैं। सयांतिका बनर्जी और रेयात हुसैन ने हाल ही में हुए उपचुनाव में जीत हासिल की है। दोनों को राजभवन में शपथ लेने के लिए आमंत्रित किया गया था। टीएमसी ने दावा किया कि परंपरा यह है कि उपचुनाव जीतने वाले विधायकों के मामले में राज्यपाल, विधानसभा के अध्यक्ष या उपाध्यक्ष को शपथ दिलाने की जिम्मेदारी सौंपते हैं। मगर राज्यपाल ने दोनों के अनुरोध के अनुसार विधानसभा में कार्यक्रम आयोजित करने से इनकार कर दिया और नई दिल्ली चले गए थे।

टीएमसी के दो नव-निर्वाचित विधायक विधानसभा में ही शपथ ग्रहण समारोह पर अड़े हैं। उधर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का कहना है कि राज्यपाल के पास विधायकों को शपथ ग्रहण से रोकने का कोई अधिकार नहीं है। पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के दो नवनिर्वाचित विधायकों के शपथ ग्रहण समारोह को लेकर हंगामा मचा हुआ है। इस लेकर टीएमसी प्रमुख ने राज्यपाल सीवी आनंद बोस पर निशाना साधा है। ममता बनर्जी ने कहा ‘एक महीना बीतने को है लेकिन मेरी पार्टी के विध्सायकों सायंतिका और रेयात हुसैन सरकार शपथ नहीं ले पा रहे हैं। राज्यपाल द्वारा शपथ ग्रहण में बाधा डाली जा रही है। उधर टीएमसी की नव-निर्वाचित विधायक सायंतिका बंदोपाध्याय ने कहा ‘हम राज्यपाल और संविधान का सम्मान करते हैं लेकिन वह हमें सम्मान नहीं दे रहे हैं। (हिफी)

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)

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