लेखक की कलमसम-सामयिक

आतंकी हमले, पाकिस्तान की साजिश!

 

भारत में आम चुनाव के बाद जम्मू-कश्मीर राज्य में जिस तरह से आतंकवादी घटनाएं एकाएक बढ़ रही हैं। उसे देखकर यही कहा जा सकता कि सीमा पार से आतंकी घुसपैठियों का आना जारी है। अमन और शान्ति अभी भी इस राज्य में अभी दूर की कौड़ी है। और इन तमाम हमलों के पीछे पाकिस्तान के नए निजाम की नापाक हसरतें जिम्मेदार हैं। पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई की मदद से पाकिस्तान की सीमा पार से अभी भी दहशतगर्दों का आना जारी है। इस केन्द्र प्रशासित राज्य के अमन चैन को एक बार फिर आतंकी गोलीबारी तबाह करने पर आमादा है। भारतीय सेना के ठिकानों पर जिस तरह हमले हो रहे हैं उसे देख कर यही लगता है कि पाक अधिकृत कश्मीर में आतंकी शिविर चल रहे हैं। उनमें दहशतगर्दों को प्रशिक्षण दिया जाना जारी है। राज्य का विशेष दर्जा समाप्त हुए कई वर्ष बीत चुके हैं मगर इसके बावजूद पाक आतंकी इस राज्य में घुस आते हैं और हमारी सेनाओं को क्षति पहुंचाते हैं। राज्य के जम्मू इलाके के कठुआ जिले के भीतर एक गांव के निकट जिस तरह सैनिक टुकड़ी के वाहनों पर दिन के उजाले में ही दोपहर तीन बजे के लगभग हमला किया गया उसमें भारत के पांच सैनिकों की शहादत हो गई और पांच गंभीर रूप से घायल हो गये। केवल दो दिनों के भीतर ही सेना पर यह दूसरा हमला किया गया।

एक के बाद एक लगातार हमले के पीछे आतंकियों का ये पैटर्न नया है। पिछले एक महीने में जम्मू में 7 बड़े हमले हुए हैं। इसमें सेना के साथ-साथ आम लोगों को भी निशाना बनाया गया है। सवाल उठ रहा है कि घाटी छोड़ आतंकी अब जम्मू में क्यों टारगेट कर रहे हैं…? जम्मू क्षेत्र, जो अपने शांतिपूर्ण माहौल के लिए जाना जाता है, हाल के महीनों में आतंकवादियों द्वारा किए गए हमलों की एक सीरीज से दहल गया है। ये हमले सीमावर्ती जिले पुंछ, राजौरी, डोडा और रियासी में हुए हैं।

अभी बीते 7 जुलाई को दहशतगर्दों ने राजौरी जिले में स्थित एक सैनिक चैकी पर हमला किया था जिसमें एक सैनिक घायल हो गया था। अगर 72 घंटे के भीतर आतंकी हमले की यह तीसरी वारदात थी तो कहा जा सकता है कि पाकिस्तान अपनी जमीन का इस्तेमाल आतंकवादियों के लिए कर रहा है और यह मुल्क दहशतगर्दों की सैरगाह बना हुआ है। इसका सबूत यह आतंकी हमले हैं- 8 जुलाई 2024-जम्मू कश्मीर में कठुआ जिले के माचेडी इलाके में सेना के एक ट्रक पर घात लगाकर किये गए आतंकवादियों के हमले में जूनियर कमीशंड अधिकारी (जेसीओ) समेत पांच जवान शहीद हो गए और पांच अन्य घायल हुए हैं। 7 जुलाई 2024-राजौरी जिले के मंजाकोट इलाके के गुलाठी गांव में प्रादेशिक सेना के शिविर पर सुबह करीब चार बजे गोलीबारी हुई, जिसमें एक जवान घायल हो गया। 26 जून 2024-डोडा जिले के गंडोह इलाके में सुरक्षाबलों ने 3 आतंकियों को मार गिराया था, सर्च ऑपरेशन के बाद सुरक्षाबलों की आतंकियों से मुठभेड़ हुई थी। 12 जून 2024-डोडा जिले में 2 आतंकी हमले हुए। इसमें 5 जवान और एसपीओ घायल हो गए थे। 11 जून 2024-कठुआ में आतंकियों से मुठभेड़ में छिंदवाड़ा के कबीरदास उइके शहीद हो गए। सुरक्षाबलों ने दो आतंकियों को भी मार गिराया था। 9जून 2024-जम्मू के शिवखोड़ी में तीर्थयात्रियों की एक बस पर आतंकियों ने हमला कर दिया था, जिसमें 9 लोगों की मौत हो गई।

पिछले कुछ सालों से कश्मीर घाटी में सेना की पकड़ मजबूत हुई है। आतंकी हमलों और सीमापार से होने वाली घुसपैठ में भी काफी कमी आई है। अब कश्मीर में पत्थरबाजी की घटनाएं नहीं देखने को मिलती हैं। ऐसे में आतंकियों के आकाओं में यकीनन बेचैनी होगी। इसलिए आतंकियों ने नए टारगेट चुने हैं। ऐसा माना जा रहा है कि आतंकी गतिविधियों में हालिया वृद्धि उनके पाकिस्तानी आकाओं द्वारा आतंकवाद को फिर से बढ़ावा देने के प्रयासों का परिणाम है। डोडा जिले के गंदोह इलाके में हाल ही में हुए हमले के बाद सुरक्षा एजेंसियां हवाई अलर्ट पर हैं, जहां 26 जून को मुठभेड़ में तीन विदेशी आतंकवादी मारे गए थे। गोलीबारी की घटना में राजौरी जिले के मंजकोट इलाके में सेना के एक शिविर को निशाना बनाया गया, जिसमें एक सैनिक घायल हो गया था।

सबसे दुखद घटनाओं में से एक नौ जून को हुई, जब आतंकवादियों ने रियासी जिले के शिव खोड़ी मंदिर से तीर्थयात्रियों को ला रही एक बस पर हमला किया, जिसमें नौ लोगों की जान चली गई और 41 घायल हुए। ये घटनाएं क्षेत्र में बढ़ती हिंसा की उस प्रवृत्ति को रेखांकित करती है, जिसमें सुरक्षा बलों के वाहनों, खोजी दलों और सैन्य काफिलों पर हमलों में नागरिक और सुरक्षाकर्मी दोनों हताहत हुए हैं।

दरअसल पाकिस्तान खड़ा ही हुआ है नफरत की बुनियाद पर, इसके साथ ही यह भी स्पष्ट है कि पाकिस्तान एक आतंकवादी देश घोषित होने की तरफ बढ़ रहा है। यदि यह आतंकवादी शिविरों को समाप्त नहीं कर सकता तो जाहिराना तौर पर आतंकवाद इसकी विदेश नीति का एक अंग बना हुआ है। भारत ने इसके प्रमाण तभी दे दिये थे जब 26 नवम्बर, 2008 मुम्बई हमले का प्रतिकार यह कह किया था कि पाकिस्तान आतंकवादियों को पनाह दे रहा है। इसके साथ ही भारत ने दुनिया के सभी इस्लामी मुल्कों के बीच पाकिस्तान को पूरी तरह अकेला कर दिया था और उस पर आतंकवादी देश घोषित किये जाने की तलवार लटक गई थी। भारत की इस रणनीति को तब कूटनीतिक विजय के रूप में देखा गया था और पाकिस्तान को तब कई दहशतगर्द तंजीमों पर प्रतिबन्ध लगाना पड़ा था। प्रणव दा ने तब एक कूटनीतिक चाल यह भी चली थी कि राष्ट्रसंघ में प्रस्ताव भेजा था और मांग की थी कि पाकिस्तान अपने कब्जे वाले कश्मीर के इलाकों में चल रहे प्रशिक्षण शिविरों की पहचान करे और उन्हें नष्ट करे तथा नाम बदल कर पुनः सक्रिय होने वाले दहशतगर्दों के संगठन को इसके घेरे में ले। वर्तमान समय में जिस तरह पाक आतंकवादी भारतीय सैनिकों को निशाना बना रहे हैं। क्या भारत की वर्तमान मोदी सरकार भी वही रास्ता अपनायेगी जो मुंबई हमले के बाद अपनाया गया था। भारत ने जम्मू-कश्मीर राज्य का विशेष दर्जा खत्म करके सोचा था कि इससे राज्य में शान्ति व सद्भावना कायम होगी और कश्मीरियों को वे पूरे अधिकार मिलेंगे जो नागरिकों के लिए संविधान में हैं। इसका असर तो हुआ है क्योंकि हाल ही सम्पन्न लोकसभा चुनावों में कश्मीरियों ने शेष भारत के नागरिकों की तरह बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। मगर पाकिस्तान इस बदलाव से इस तरह बौखलाया कि उसने भारत में आतंकियों की घुसपैठ कराने के लिए नये रास्ते खोज लिये। कठुवा की हिंसा की जिम्मेदारी पाकिस्तान के आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद से जुड़ी तंजीम-कश्मीरी टाइगर्स ने ली है। पाक आतंकवादियों ने अपनी हरकतों के लिए अब जम्मू क्षेत्र को चुना है। इस क्षेत्र से जुड़ती सीमा रेखा से ही अब घुसपैठिये ज्यादा आते हैं।

सवाल यह है कि सैनिकों पर हमला कोई मामूली घटना नहीं होती। यह देश की प्रभुसत्ता पर हमला माना जाता है मगर पाकिस्तान इसे गैर सरकारी संगठनों का कृत्य बता कर पल्ला झाड़ लेता है। भारत सरकार को पाकिस्तान की इस रणनीति को समझना होगा और इसके जवाब में कठोर प्रतिक्रिया देनी होगी। 2008 की मुम्बई हमले की घटना के बाद तत्कालीन विदेश सचिव ने साफ कह दिया था कि पाकिस्तान ने दहशतगर्दी को अपनी विदेश नीति का अंग बना लिया है। बाद में खुद पाकिस्तान के राष्ट्रपति रहे जनरल परवेज मुशर्रफ ने स्वीकार किया कि आतंकवादी उनके ‘हीरो’ रहे हैं। इससे स्पष्ट है कि जम्मू-कश्मीर में भारत के सैनिकों पर जो सिलसिलेवार हमले हो रहे हैं उनके पीछे पाकिस्तान की बड़ी साजिश काम कर रही है। (हिफी)

(मनोज कुमार अग्रवाल-हिफी फीचर)

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