यूपी में नेतृत्व में बदलाव का कोई सवाल नहीं, भाजपा ने अपने नेताओं से कहा, एकजुटता के साथ उपचुनाव पर करें फोकस

लखनऊ। हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनावों में उत्तर प्रदेश में भाजपा के खराब प्रदर्शन के बाद भाजपा को लेकर कई सवाल सामने आ रहे हैं। पार्टी के भीतर विवाद की भी स्थिति देखने को मिल रही हैं। भाजपा ने लोकसबा चुनाव में विपक्ष की 43 सीटों की तुलना में सिर्फ 36 सीटें जीतीं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के बीच कलह की चर्चा से राज्य इकाई में उथल-पुथल मच गई है। केशव प्रसाद मौर्य ने भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की थी। इसी के बाद कलह को लेकर चर्चा तेज हो गई।
डिप्टी सीएम ने लखनऊ में भाजपा की बैठक में – जहां योगी आदित्यनाथ, पाठक और लगभग 3,500 प्रतिनिधि मौजूद थे – यह कहकर आग में घी डालने का काम किया कि कोई भी सरकार संगठन से बड़ी नहीं है। उन्होंने साफ तौप पर कहा, “संगठन से बड़ा कोई नहीं है। हमें अपने कार्यकर्ताओं पर गर्व है।
बयान से पता चलता है कि कैसे भाजपा नेताओं के एक वर्ग को लगता है कि यूपी में नौकरशाही भाजपा संगठन पर भारी पड़ रही है। इसे एक कारण के रूप में चिह्नित किया गया था कि उत्तर प्रदेश में हाल के चुनावों में भाजपा कार्यकर्ताओं ने आक्रामक तरीके से काम नहीं किया। एनडीए के सहयोगी संजय निषाद ने मौर्य के बयान का समर्थन करते हुए कहा कि कई अधिकारी समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के साथ जुड़े हुए हैं, जिसके कारण राज्य में भाजपा का खराब प्रदर्शन हुआ।