लेखक की कलमसम-सामयिक

मोहन भागवत का गूढ़ संदेश

 

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का मूल संगठन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) अगर कोई बात कहता है तो उसके पीछे गूढ़ संदेश होता है। संघ को लेकर पिछले लोकसभा चुनाव में कुछ विवादास्पद बयान भी आये। समय की नजाकत को देखते हुए उन पर लीपापोती भी की गयी। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने एक अंग्रेजी समाचार पत्र को साक्षात्कार में कह दिया कि अब भाजपा को संघ की जरूरत नहीं है। संयोग से भाजपा को इस बार लोकसभा चुनाव में अपेक्षित सांसद नहीं मिल पाये। आश्चर्य इस बात का रहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के भव्य मंदिर निर्माण के बाद भी अयोध्या में भाजपा प्रत्याशी पराजित हो गया। यूपी में भाजपा को सिर्फ 33 सांसद मिल पाये जबकि समाजवादी पार्टी को उससे ज्यादा (37) सांसद मिले। यही स्थिति महाराष्ट्र की रही जहां नागपुर में संघ का मुख्यालय है। चुनाव नतीजों के बाद संघ के एक नेता ने बयान दिया कि भाजपा को अभिमान हो गया है। संघ की तरफ से इसे व्यक्तिगत बयान बताया गया लेकिन अभी संघ प्रमुख मोहन भागवत ने झारखण्ड के गुमला में ग्राम स्तरीय कार्यकर्ता बैठक को संबोधित करते हुए जो कहा, उसे भाजपा के लिये गूढ़ संदेश माना जा रहा है। संघ प्रमुख ने कहा कि एक आदमी सुपरमैन बनना चाहता है फिर एक देव और फिर भगवान। संघ प्रमुख के इस बयान को कई संदर्भों में देखा जा रहा है। कांग्रेस नेता जयराम नरेश ने इसे लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर तंज कसा है। जयराम रमेश ने सोशल मीडिया पर लिखा-मुझे यकीन है कि स्वयंभू, नाॅन बायोलाॅजिकल प्रधानमंत्री को इस ताजा अग्नि मिसाइल की खबर मिल गयी होगी जिसे नागपुर ने झारखण्ड से दागा है। जयराम रमेश का इशारा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के वाराणसी में चुनाव के दौरान उस भाषण से है जिसमें उन्होंने अपने को स्प्रीचुएल पावर वाला बताया था।

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने झारखंड के गुमला में एक गैर लाभकारी संगठन द्वारा आयोजित ग्राम स्तरीय कार्यकर्ता बैठक को संबोधित किया। आरएसएस सर संघचालक ने कहा कि प्रगति का कभी कोई अंत होता। जब हम अपने लक्ष्य तक पहुंचते हैं, तो हम देखते हैं कि अभी भी बहुत कुछ करना बाकी है। उन्होंने कहा कि एक आदमी सुपरमैन बनना चाहता है, फिर एक देव और फिर भगवान। आंतरिक और बाह्य दोनों ही प्रकार के विकासों का कोई अंत नहीं है। यह एक सतत प्रक्रिया है। बहुत कुछ किया जा चुका है, लेकिन अभी भी बहुत कुछ बाकी है।

मोहन भागवत ने कहा कि लोगों को मानव जाति के कल्याण के लिए अथक प्रयास करना चाहिए, क्योंकि विकास और मानव महत्वकांक्षा का कोई अंत नहीं है। मोहन भागवत ने आदिवासी समाज के विकास की चर्चा करते हुए कहा कि जनजाति बंधु विकास में पीछे तो जरूर हैं, परंतु शांतिप्रिय और प्रामाणिक हैं। इन पर आंख मूंद कर विश्वास कर सकते हैं। सरसंघचालक ने कहा कि आदिवासी समाज के लिए हम जो काम करते हैं वह उन पर उपकार नहीं करते हैं। दूसरे के लिए सेवा कार्य करते हैं तो अपना भी विकास करते हैं। मोहन भागवत ने कहा कि यहां 33 करोड़ देवी-देवता हैं और 3800 भाषा और बोली है। खान पान रीति रिवाज अलग है, स्वभाव अलग है। इसके बाद भी भारत के लोग एक हैं। यह विदेश में देखने को नहीं मिलता है। उन्होंने यह बातें विकास भारती की ओर से गुमला जिले के बिशुनपुर में आयोजित ग्राम विकास सम्मेलन में संस्था से जुड़े लोगों को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि मोह व आकर्षण में नहीं पड़ते हुए काम करना है। समाज में जो भी अच्छा हो रहा है वह खराब होने से 40 गुना अच्छा है। समाज स्वस्थ रहेगा तो देश भी आगे बढ़ेगा।

मोहन भागवत ने कहा कि आज स्थिति ऐसी है कि दुनिया का प्रभाव भारत को चाहिए जरूर परंतु भारत का स्वभाव भी दुनिया को चाहिए। कोरोना के समय विश्व ने भारत की ताकत को देख लिया है। मोहन भागवत के बयान पर कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने टिप्पणी करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तंज कसा है। कांग्रेस नेता ने एक्स पर पोस्ट किया, मुझे यकीन है कि स्वयंभू नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री को इस ताजा अग्नि मिसाइल की खबर मिल गई होगी, जिसे नागपुर ने झारखंड से लोक कल्याण मार्ग को निशाना बनाकर दागा है। जयराम रमेश की यह टिप्पणी मोहन भागवत के उस बयान पर आया है जिसमें उन्होंने कहा है कि मनुष्य आजकल अलौकिक बनना चाहता है, लेकिन वहाँ भी रुकता नहीं है। कांग्रेस नेता ने भागवत के वीडियो बयान को रिपोस्ट करते हुए यह प्रतिक्रिया दी है। मोहन भागवत ने कहा, कुछ लोग मनुष्य से अति मानव, जिसे सुपरमैन कहा जाता है, बनना चाहते हैं, जिनके पास अलौकिक शक्तियाँ होती हैं तो फिर मनुष्य अलौकिक बनना चाहता है। सुपरमैन बनना चाहता है। अति मानव बनना चाहता है लेकिन वहाँ रुकता नहीं। उसको लगता है कि देव बनना चाहिए। वह देवता बनना चाहता है लेकिन देवता कहते हैं कि हमसे तो भगवान बड़ा है। तो भगवान बनना चाहता है और भगवान कहता है कि मैं तो विश्वरूप हूँ। बिना आकार का रूप है। वह असीम है। वहाँ भी रुकने की जगह है क्या, कि वहाँ से भी आगे कुछ है, ये कोई जानता नहीं। मोहन भागवत ने पिछले महीने ही एक और तीखी टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा था कि एक सच्चा सेवक विनम्र होता है और लोगों की गरिमा के साथ सेवा करता है। भागवत ने कहा था कि एक सच्चे सेवक में अहंकार नहीं होता और वह दूसरों को कोई नुकसान पहुंचाए बिना काम करता है।
भागवत ने कहा था, संघ से जुड़ी एक पत्रिका ऑर्गनाइजर ने एक लेख छापा था जिसमें कहा गया कि भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं ने लोकसभा चुनाव में मदद के लिए आरएसएस से संपर्क नहीं किया और इस वजह से पार्टी का प्रदर्शन निराशाजनक रहा। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा था कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के समय और मौजूदा समय में काफी कुछ बदल चुका है। उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस से इंटरव्यू में कहा था कि पहले हम इतनी बड़ी पार्टी नहीं थे और अक्षम थे, हमें आरएसएस की जरूरत पड़ती थी, लेकिन आज हम काफी आगे बढ़ चुके हैं और अकेले दम पर आगे बढ़ने में सक्षम हैं। इसके बाद आरएसएस नेता इंद्रेश कुमार ने हाल के लोकसभा चुनावों में बीजेपी के खराब प्रदर्शन के लिए अहंकार को जिम्मेदार ठहराया। जयपुर के पास कनोता में एक कार्यक्रम में इंद्रेश कुमार ने कहा था, जो लोग भगवान राम की भक्ति करते थे, वे धीरे-धीरे अहंकारी हो गए। उस पार्टी को सबसे बड़ी पार्टी घोषित किया गया था, लेकिन अहंकार के कारण भगवान राम ने उन्हें 241 पर रोक दिया। उनका इशारा नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा की ओर था। बीजेपी को लोकसभा में 240 सीटें मिली हैं। अब संघ प्रमुख मोहन भागवत ने भी गूढ़ संदेश दिया है। (हिफी)

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)

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