सुप्रीम कोर्ट का नीट-यूजी 2024 को रद्द करने और दोबारा परीक्षा कराने से इनकार

नई दिल्ली। पेपर लीक के आरोपों पर नीट-यूजी परीक्षा दोबारा आयोजित करने की मांग के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को फैसला सुनाया। अपने आदेश में अदालत ने कहा कि प्रश्नपत्र के व्यवस्थित रूप से लीक होने का संकेत देने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं। भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ प्रश्न पत्र-लीक और अन्य कदाचार के आधार पर इस साल 5 मई को आयोजित एनईईटी-यूजी परीक्षा की दोबारा परीक्षा की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।
बड़े पैमाने पर कोई पेपर लीक नहीं हुआ था। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि इस स्तर पर रिकॉर्ड पर ऐसी सामग्री का अभाव है जिससे यह निष्कर्ष निकाला जा सके कि परीक्षा का परिणाम दूषित है या परीक्षा की पवित्रता का प्रणालीगत उल्लंघन हुआ है। कोर्ट ने कहा कि फिलहाल, हम दागी छात्रों को बेदागी छात्रों से अलग कर सकते हैं। अगर जांच के दौरान दागियों की पहचान होती है तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। अगर कोई छात्र इस घोटाले में शामिल पाया जाता है तो उसे प्रवेश नहीं मिलेगा। हम पेपर लीक के ठोस सबूत के बिना दोबारा परीक्षा का फैसला नहीं दे सकते हैं। हो सकता है कि केंद्रीय जांच ब्यूरो जांच के बाद पूरी तस्वीर ही बदल जाए।
कोर्ट ने कहा कि हमें लगता है कि नए सिरे से नीट-यूजी का निर्देश देना गंभीर परिणामों से भरा होगा, जो परीक्षा में शामिल होने वाले 24 लाख से अधिक छात्रों के लिए और प्रवेश कार्यक्रम में व्यवधान पैदा करेगा। सुनवाई के दौरान, 711 अंक हासिल करने वाले याचिकाकर्ताओं ने परीक्षा में एक प्रश्न को चुनौती दी जिसमें अस्पष्ट विकल्प थे। याचिकाकर्ता के अनुसार, उक्त प्रश्न का विकल्प 4 अद्यतन एनसीईआरटी संस्करण के अनुसार सही उत्तर था। हालाँकि, विकल्प 2 चुनने वाले छात्रों को अनुग्रह अंक भी दिए गए क्योंकि यह एनसीईआरटी के पिछले संस्करणों के अनुसार सही था।