एमसीडी मंे केजरीवाल को झटका

देश की सबसे बड़ी अदालत ने दिल्ली महानगर निगम (एमसीडी) को लेकर एक ऐसा फैसला किया है जिससे अरविन्द केजरीवाल की सरकार को जबर्दस्त झटका लगा है। दशकों के बाद एमसीडी पर भाजपा का वर्चस्व समाप्त कर आम आदमी पार्टी (आप) ने कब्जा जमाया और अपना मेयर भी बना लिया। एमसीडी मंे 10 एल्डरमैन नियुक्त किये जाते हैं। आमतौर पर सरकार इनके नाम की सिफारिश करती है और उपराज्यपाल उनको मंजूरी दे देते हैं। केजरीवाल की सरकार के साथ लेफ्टीनेंट गवर्नर (एलजी) की तनातनी शुरू से चल रही है इसलिए एलजी विनय कुमार सक्सेना ने केजरीवाल सरकार के सुझाए गये एल्डरमैन को मनोनीत करने की अनुमति नहीं दी। यह मामला सुप्रीम कोर्ट मंे विचाराधीन था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एलजी को यह पावर म्यूनिसिपल करपोरेशन एक्ट से मिला है। एल्डरमैन नियुक्त करने का पूरा अधिकार एलजी को है। इस प्रकार केजरीवाल की पार्टी को झटका लगा है। दिल्ली नगर निगम चुनाव मंे आम आदमी पार्टी ने 15 साल के बाद भाजपा को सत्ता से बाहर किया था। एमसीडी की 250 सीटों मंे आम आदमी पार्टी को 134, भाजपा को 104, कांग्रेस को 9 और 3 सीटें अन्य को मिली थीं। वर्ष 2022 के अंत में चुनाव हुए थे।
एमसीडी में एल्डरमैन नियुक्ति मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एकदम साफ-साफ फैसला दे दिया है कि 10 एल्डरमैन नियुक्त करने का अधिकार एलजी के पास है। आम आदमी पार्टी को सुप्रीम कोर्ट से इस मामले में झटका लगा है। दरअसल सवाल इस बात का था कि दिल्ली सरकार नगर निगम में एल्डरमैन के लिए जिन नामों की सिफारिश करती है, क्या एलजी उनको मानने के लिए बाध्य हैं। सुप्रीम कोर्ट इस फैसले के बाद नगर निगम के लिए जनवरी 2023 में एलजी ने जो नाम तय किए थे, वह ही मान्य रहेंगे।
14 महीने से ज्यादा समय से फैसला लटका हुआ था। इसका असर एमसीडी के काम पर भी देखा जा रहा था। जस्टिस नरसिम्हा ने अपने फैसले में साफ कहा कि एलजी को पूरा अधिकार एल्डरमैन नियुक्त करने का है। कोर्ट ने कहा कि एलजी को यह पावर दिल्ली म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन ऐक्ट से मिली है। ऐसे में उन्हें दिल्ली सरकार से सलाह की जरूरत नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली नगर निगम में सदस्यों को मनोनीत करने की एलजी की शक्ति एक वैधानिक शक्ति है न कि कार्यकारी शक्ति है। इस वजह से दिल्ली के एलजी अपने विवेक के मुताबिक कार्य कर सकता है। दिल्ली बनाम केंद्र सरकार के मामले में सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की बेंच ने फैसला सुनाया था कि संसद दिल्ली की राज्य और समवर्ती सूचियों पर कानून बना सकती है, जिससे निर्वाचित सरकार का अधिकार क्षेत्र खत्म हो जाएगा। ये मामला निगम एक्ट के तहत आता है, इसमें अनुच्छेद 239 ।। के तहत केबिनेट की सलाह की जरूरत नहीं। इस मामले में संविधान का अनुच्छेद 243 लागू होता है। दिल्ली सरकार की तरफ से वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा था कि पिछले 30 साल से एल्डरमैन को दिल्ली सरकार नियुक्त करती रही है। एलजी सिर्फ सलाहकार की भूमिका में थे। पहली बार एलजी ने एल्डरमैन नियुक्त किया है, जो नियम के खिलाफ है। 2 जनवरी 2023 को नोट जारी किया जाता है, जिस पर मंत्रालय द्वारा हस्ताक्षर किए जाते हैं और वह सीधे कहते हैं कि एलजी नॉमिनेट करेंगे। यह पहला ऐसा मौका है जब सीधे एलजी ने नॉमिनेट किया है। दिल्ली सरकार ने कहा था कि पहले भी कई बार दिल्ली और केंद्र में अलग सरकार रही है लेकिन तब भी एलजी ने दिल्ली सरकार की सलाह को माना।
लगभग 2 साल पहले दिल्ली नगर निगम चुनाव में आम आदमी पार्टी ने जीत दर्ज की है। इसी के साथ 15 साल से एमसीडी की सत्ता में काबिज बीजेपी को बाहर का रास्ता देखना पड़ा। सभी 250 सीटों में से आम आदमी पार्टी 134, बीजेपी 104, कांग्रेस 9 और अन्य के खाते में 3 सीटें आई। आप मुख्यालय में जीत के बाद पहुंचे सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली की जनता ने 15 साल की भ्रष्ट भाजपा सरकार को हटा कर केजरीवाल के नेतृत्व में आप की सराकार बनाने के लिए बहुमत दिया है इसके लिए जनता का धन्यवाद। ये हमारे लिए बहुत बड़ी जिम्मेदारी है।दिल्ली के लोगों ने मुझे दिल्ली की सफाई, भ्रष्टाचार को दूर करने, पार्क को ठीक करने के साथ कई सारी जिम्मेदारियां दी हैं। मैं दिन रात मेहनत करके कोशिश करूंगा कि आपके इस भरोसे को कायम रखूं। मैं दिल्ली के लोगों के बहुत बधाई देना चाहता हूं। इतनी बड़ी और शानदार जीत के लिए, इतने बड़े बदलाव के लिए मैं दिल्ली के लोगों को बधाई देना चाहता हूं।
वहीं दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने दिल्ली एमसीडी में आम आदमी पार्टी पर भरोसा करने के दिल्ली की जनता का दिल से आभार जताया। इससे पहले सिसोदिया ने ट्वीट किया था कि दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे नेगेटिव पार्टी को हराकर दिल्ली की जनता ने कट्टर ईमानदार और काम करने वाले अरविन्द केजरीवाल को जिताया है। हमारे लिए ये सिर्फ जीत नहीं बड़ी जिम्मेदारी है। वहीं पंजाब के सीएम भगवंत मान इस मौके पर चुटकी लेते नजर आए। उन्होंने कहा कि जब आज वाला एक्जिट पोल गलत साबित हो सकता है तो कल वाला एक्जिट पोल गलत साबित नहीं हो सकता? गुजरात में आपको कल चमत्कार देखने को मिलेगा। हालांकि ऐसा चमत्कार नहीं हुआ।
एलजी के पक्ष में फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कुछ जरूरी बातें कहीं। जस्टिस नरसिम्हा ने कहा कि दिल्ली नगर निगम अधिनियम की धारा 3(3)(बी) में कहा गया है कि उपराज्यपाल 25 वर्ष से कम नहीं और नगरपालिका प्रशासन में विशेष ज्ञान या अनुभव वाले 10 व्यक्तियों को नामित कर सकता है। उन्होंने कहा कि यह सुझाव गलत है कि दिल्ली में उपराज्यपाल की शक्ति एक शब्दार्थिक लॉटरी थी। यह संसद द्वारा बनाया गया कानून है, यह उपराज्यपाल द्वारा प्रयोग किए गए विवेक को पूरा करता है क्योंकि कानून उसे ऐसा करने के लिए कहता है और अनुच्छेद 239 के अपवाद के अंतर्गत आता है। यह 1993 का डीएमसी अधिनियम था जिसने पहली बार उपराज्यपाल को नामित करने की शक्ति दी थी और यह अतीत की कोई विरासत नहीं है। (हिफी)
(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)