लेखक की कलमसम-सामयिक

हिंडनबर्ग से बांग्लादेशी द्वीप तक

 

अमेरिका हमारा मित्र राष्ट्र है। हम यह कैसे  भूल सकते हैं कि जब सन् 1962 में चीन ने नेहरू जी की दोस्ती के साथ विश्वासघात किया और हमारे  देश पर हमला कर दिया था। उस समय हमारे दूसरे सबसे बड़े मित्र सोवियत संघ ने यह कहकर किनारा कर लिया था कि एक मेरा दोस्त है दूसरा मेरा भाई। उस समय अमेरिका ने ही चीन को धमकी दी थी और कहा था तत्काल पीछे  लौटो वरना विश्व के नक्शा से चीन गायब हो जाएगा। यह बात अलग है कि तबसे अमेजन में बहुत सा पानी बह गया है। इसलिए अमेरिका की रिसर्च कम्पनी हिंडनबर्ग की रिपोर्ट और बांग्लादेश की निर्वासित पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने जो आरोप लगाया है उसको लेकर लोगों के कान न खडे होते। शेख हसीना ने गत 11 अगस्त को आरोप लगाया कि अगर वह सेंट मार्टिन द्वीप अमेरिका  के हवाले कर देतीं तो सत्ता नहीं गंवाती।

ध्यान रहे  कुछ दिन पहले ही बांग्लादेश में विद्रोह के चलते  सत्ता पलट दी गयी और शेख हसीना को इस्तीफा दे कर भारत में शरण लेनी पड़ी है। हालांकि अमेरिका ने शेख हसीना के आरोपों का खंडन किया है।

शेख हसीना ने बांग्लादेश में तख्तापलट के लिए अमेरिका को जिम्मेदार ठहराया है। उनकी कथित चिट्ठी के हवाले से खबर चल रही है कि अमेरिका, बांग्लादेश के सेंट मार्टिन आइलैंड पर मिलिटरी बेस बनाना चाहता था लेकिन शेख हसीना ने इसकी इजाजत नहीं दी। अगर शेख हसीना ये आइलैंड अमेरिका को दे देतीं तो वो सत्ता में बनी रहतीं। पहली बार है जब शेख हसीना, देश के हालात के लिए सीधे तौर पर अमेरिका को दोषी बता रही हैं। इसके पहले वो अमेरिका पर इशारों में आरोप लगाती थीं, जैसे मई 2024 में हसीना ने दावा किया था कि बांग्लादेश को तोड़कर एक ईसाई मुल्क बनाने की साजिश चल रही है। एक गोरी चमड़ी वाले विदेशी ने उन्हें आसानी से चुनाव जीतने का ऑफर दिया था, बदले में वो बांग्लादेश में मिलिटरी बेस बनाना चाहता था। उस समय शेख हसीना ने किसी देश का नाम तो नहीं लिया था. लेकिन शक की सुईं अमेरिका पर ही गई थी। पर अब आरोप खुल्लम खुल्ला अमेरिका पर लगे हैं और चर्चा में है सेंट मार्टिन आइलैंड। यह सही है कि अगर इस आइलैंड पर अमेरिकी मिलिटरी बेस बनता है तो बंगाल की खाड़ी पर सीधे अमेरिका का प्रभाव बढ़ जाएगा। ये चीन के लिए खतरे की घंटी होती ही साथ में भारत के लिए भी मुश्किल खड़ी कर सकता था।

अमेरिका ने बांग्लादेश में तख्तापलट और सियासी उठापटक में खुद पर लगे आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया और कहा कि इसमें हमारा कोई हाथ नहीं है। अमेरिका ने इस संकट में सरकार की संलिप्तता के आरोपों को खारिज कर दिया है, जिसमें देश में विरोध प्रदर्शन के कारण सैकड़ों लोगों की मौत हो गई। सभी रिपोर्टों और अफवाहों का खंडन करते हुए, व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव, कैरीन जीन पियरे ने 12 अगस्त को एक मीडिया ब्रीफिंग में कहा, ष् इसमें हमारी कोई भी भागीदारी नहीं है। कोई भी बात या ऐसी रिपोर्ट बस अफवाह है कि संयुक्त राज्य अमेरिका इन सबमें शामिल था, इन घटनाओं में यह बिल्कुल झूठ है। जीन पियरे ने कहा कि बांग्लादेशी लोगों को बांग्लादेशी सरकार का भविष्य तय करना चाहिए। यह उनके लिए और उनकी ओर से एक विकल्प है। कोई भी ऐसा आरोप निश्चित रूप से गलत है और बिल्कुल झूठ है कि इस तरह की घटना में  अमेरिका का हाथ है। अमेरिका स्थित विदेश नीति विशेषज्ञ और विल्सन सेंटर में दक्षिण एशिया संस्थान के निदेशक माइकल कुगेलमैन ने  भी बड़े पैमाने पर विद्रोह के पीछे विदेशी हस्तक्षेप के आरोपों का खंडन किया, जिसके कारण शेख हसीना को सत्ता से बाहर होना पड़ा। उन्होंने साफ कहा कि इन दावों का समर्थन करने के लिए किसी तरह का कोई सबूत नहीं मिला है।

कुगेलमैन ने कहा कि हसीना सरकार की प्रदर्शनकारियों पर कठोर कार्रवाई ने आंदोलन को बढ़ा दिया। इसे लेकर मेरा दृष्टिकोण बहुत सरल है। मैं इसे एक ऐसे संकट के रूप में देखता हूं जो पूरी तरह से आंतरिक कारकों से प्रेरित था, जो छात्र किसी विशेष मुद्दे, नौकरी कोटा से नाखुश थे जो उन्हें पसंद नहीं था और वे सरकार के बारे में चिंतित थे। शेख हसीना सरकार ने छात्रों पर बहुत सख्ती की और इसके बाद आंदोलन बहुत बड़ा हो गया और यह केवल आंतरिक कारकों से प्रेरित था।

सबसे पहले ये खबर 11 अगस्त को इकोनोमिक टाइम्स अखबार ने सूत्रों के हवाले से चलाई फिर खबर ये भी चली कि सेंट मार्टिन आइलैंड पर अमेरिकी कब्जे वाली बात शेख हसीना की एक कथित चिट्ठी में भी लिखी थी। दावा किया गया कि ये चिट्ठी शेख हसीना ने देश छोड़ते समय लिखी थी।  इन सब खबरों में सेंट मार्टिन आइलैंड केंद्र में है । सबसे पहले इसी बारे में जान लेते हैं। बंगाल की खाड़ी में बांग्लादेश के कॉक्स बाजार जिले में जमीन की एक पतली सी पट्टी समंदर में दाखिल होती है। यहीं पड़ता है टेकनाफ का इलाका। तीन ओर से बंगाल की खाड़ी से घिरे इस इलाके को कहते हैं कॉक्स बाजार टेकनाफ प्रायद्वीप। ये इलाका बांग्लादेश के सबसे दक्षिण पूर्वी छोर पर है। एक तरह से बांग्लादेश यहां खत्म ही हो जाता है और म्यांमार शुरू हो जाता है लेकिन इस प्रायद्वीप के छोर से 9 किलोमीटर दूर बंगाल की खाड़ी में जमीन का एक और टुकड़ा है, जो बांग्लादेश की हद में पड़ता है। यही है सेंट मार्टिन आइलैंड। क्षेत्रफल महज 3 वर्ग किलोमीटर लेकिन जमीन तो जमीन है और फिर सामरिक महत्व।

अब बात हिंडनबर्ग की करते  हैं। इसी साल 25 जनवरी को हिंडनबर्ग ने अदाणी ग्रुप के संबंध में 32 हजार शब्दों की एक रिपोर्ट जारी की। रिपोर्ट के निष्कर्ष में 88 प्रश्नों को शामिल किया। रिपोर्ट में दावा किया गया कि यह समूह दशकों से शेयरों के हेरफेर और अकाउंट की धोखाधड़ी में शामिल है। रिपोर्ट में कहा गया है कि तीन साल में शेयरों की कीमतें बढ़ने से अदाणी समूह के संस्थापक गौतम अदाणी की संपत्ति एक अरब डॉलर बढ़कर 120 अरब डॉलर हो गई है। इस दौरान समूह की 7 कंपनियों के शेयर औसत 819 फीसदी बढ़े हैं। कई देशों में मुखौटा कंपनियां होने का आरोप भी रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है । मॉरीशस से लेकर संयुक्त अरब अमीरात तक टैक्स हेवन देशों में अदाणी परिवार की कई मुखौटा कंपनियों का विवरण है। आरोपों के मुताबिक, इनका उपयोग भ्रष्टाचार, मनी लांड्रिंग के लिए किया गया। इन मुखौटा कंपनियों के जरिए फंड की हेराफेरी भी की गई।

अदाणी समूह कोई पहला नहीं है जिस पर अमेरिकी फर्म ने रिपोर्ट जारी की है। इससे पहले इसने अमेरिका, कनाडा और चीन की करीब 18 कंपनियों को लेकर अलग अलग रिपोर्ट प्रकाशित की है जिसके बाद काफी घमसान मचा। ज्यादातर कंपनियां अमेरिका की ही थीं, जिन पर अलग-अलग आरोप लगे। हिंडनबर्ग की सबसे चर्चित रिपोर्ट अमेरिका की ऑटो सेक्टर की बड़ी कंपनी निकोला को लेकर रही। इस रिपोर्ट के बाद निकोला के शेयर 80 फीसदी तक टूट गए थे। निकोला को लेकर जारी रिपोर्ट में व्हिसलब्लोअर और पूर्व कर्मचारियों की मदद से कथित फर्जीवाड़े को उजागर किया गया था। निकोला के संस्थापक और कार्यकारी अध्यक्ष ट्रेवर मिल्टन ने तुरंत कंपनी से इस्तीफा दे दिया। रिपोर्ट के बाद कंपनी जांच के दायरे में है।

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद खुद उसकी विश्वसनीयता को लेकर सवाल खड़े हुए हैं। फोर्ब्स मैगजीन के मुताबिक, अमेरिकी न्याय विभाग दर्जनों बड़े शॉर्ट-सेलिंग निवेश और शोध फर्मों की जांच कर रहा है। इनमें मेल्विन कैपिटल और संस्थापक गेबे प्लॉटकिन, रिसर्चर नैट एंडरसन और हिंडनबर्ग रिसर्च सोफोस कैपिटल मैनेजमेंट और जिम कारुथर्स भी शामिल हैं। विभाग ने साल 2021 के अंत में लगभग 30 शॉर्ट-सेलिंग फर्मों के साथ-साथ उनसे जुड़े तीन दर्जन व्यक्तियों के बारे में जानकारी जुटाई थी। वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के मुताबिक, संघीय अभियोजक इस बात की जांच कर रहे हैं कि क्या शॉर्ट-सेलर्स ने समय से पहले हानिकारक शोध रिपोर्ट साझा करके और अवैध व्यापार रणनीति में शामिल होकर शेयर की कीमतों को कम करने की साजिश रची थी। (हिफी)

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)

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