चाचा पशुपति को झटका

राजनीति की चालें बड़ों-बड़ों को नतमस्तक कर देती हैं। बिहार मंे भी राजनीति का खेल इसी तरह चल रहा है। राज्य की राजनीति मंे लालू यादव और नीतीश कुमार की शतरंज में रामबिलास पासवान ने ऐसी चाल चली कि उनकी पार्टी-लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) भाजपा के लिए महत्वपूर्ण हो गयी। रामबिलास पासवान का बीमारी के चलते निधन हो गया तो उनके भाई पशुपति पारस ने भतीजे चिराग पासवान को किनारे कर दिया और स्वयं भाजपा के सगे बन गये। भाजपा के लिए मोहरे तभी तक महत्वपूर्ण हैं जब तक वे उसकी मदद करें, इसलिए 2024 के लोकसभा चुनाव में पशुपति कुमार पारस की अपेक्षा चिराग पासवान को महत्व दिया गया। चिराग पासवान को पांच लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ाया गया और उनकी पार्टी पांचों सीटें जीत गयी। चाचा पशुपति को एक भी सीट नहीं मिली थी। वह अंदर ही अंदर नाराज थे और 31 जुलाई को घोषणा कर दी थी कि उनकी पार्टी राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी अपने दम पर बिहार की 243 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। भाजपा ने उनको औकात बता दी है। दरअसल भोजपुर की तरारी विधानसभा सीट से विधायक नरेन्द्र कुमार पांडेय उर्फ सुनील पांडेय 16 अगस्त को भाजपा मंे शामिल हो गये। पशुपति पारस अभी एनडीए का हिस्सा है और सुनील पांडेय के दम पर ही तरारी सीट अपनी पार्टी के लिए मांग रहे थे। अब इसमंे भले ही उनके भतीजे चिराग की कोई प्रत्यक्ष भूमिका नहीं है लेकिन चाचा ने भी भतीजे को इसी तरह परेशान कर नरेन्द्र मोदी के मंत्रिमंडल में जगह बनायी थी।
बीते 31 जुलाई को राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (आरएलजेपी) के अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस ने बिहार विधानसभा की सभी 243 सीटों पर अपने दम पर चुनाव लड़ने की घोषणा की थी। प्रदेश कार्यकारिणी सम्मेलन में इसकी घोषणा की गई थी। उन्होंने प्रदेश कार्यकारिणी के सभी पदाधिकारियों, 38 जिलों के अध्यक्षों एवं जिला प्रभारियों, सभी प्रकोष्ठों के प्रदेश अध्यक्षों और दलित सेना के सभी प्रखंडों व जिलों के अध्यक्षों समेत बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं की भीड़ जुटाकर ताकत भी दिखाई। उन्होंने कार्यकर्ताओं से कहा था लोकसभा चुनाव में एनडीए ने हमारी पार्टी के साथ नाइंसाफी की, धोखा भी हुआ, लेकिन विधानसभा चुनाव में नाइंसाफी बर्दाश्त नहीं करेंगे। सारे विकल्प खुले रखेंगे इसलिए विधानसभा चुनाव की लड़ाई के लिए अभी से तैयारी में जुट जाएं। इस बीच भोजपुर की तरारी विधानसभा सीट से विधायक रह चुके नरेंद्र कुमार पांडेय उर्फ सुनील पांडेय 16 अगस्त को भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गये।
पशुपति कुमार पारस के लिए यह झटका क्यों माना जा रहा है? तो जान लें कि सुनील पांडेय के दम पर ही आरएलजेपी ने एनडीए से तरारी सीट मांगी थी। अब सुनील पांडेय ने ही पशुपति पारस का साथ छोड़ दिया है। 2020 के विधानसभा चुनाव में बतौर निर्दलीय मैदान में उतरे सुनील पांडेय दूसरे स्थान पर रहे थे। बीजेपी के प्रत्याशी कौशल विद्यार्थी बुरी तरह पराजित हो गए थे। भगवान महावीर पर पीएचडी कर चुके सुनील पांडेय का नाम बिहार के बाहुबली नेताओं में आता है। उन्होंने 34 साल की उम्र में पहली बार 2000 में फरार रहते ही पीरो से विधानसभा चुनाव में जीत हासिल कर ली थी। वे निवासी भले ही सीमावर्ती रोहतास जिले के थे पर राजनीति की शुरुआत के लिए उन्होंने भोजपुर के पीरो विधानसभा क्षेत्र को चुना। सुनील पांडेय वर्ष 2000 में समता पार्टी प्रत्याशी के रूप में 43160 मत पाकर पीरो विधानसभा क्षेत्र से पहली बार विधायक बने थे। फरवरी 2005 में पीरो विधानसभा क्षेत्र से 54767 मत पाकर सुनील पांडेय दूसरी बार विधायक बने थे। वर्ष 2005 के अक्टूबर माह में हुए उपचुनाव में पीरो विधानसभा क्षेत्र से 46338 मत पाकर सुनील पांडेय तीसरी बार विधायक बने थे। 2010 के विधानसभा चुनाव में जेडीयू प्रत्याशी के रूप में तरारी विधानसभा क्षेत्र से 46338 मत पाकर सुनील पांडेय चैथी बार विधायक बने थे। 2015 के विधानसभा चुनाव में एलजेपी प्रत्याशी के रूप में सुनील पांडेय की पत्नी गीता पांडेय चुनाव मैदान में उतरीं और 43778 मत पाकर महज 272 मतों के अंतर से उनको हार का सामना करना पड़ा था। चार बार विधायक रह चुके सुनील पांडेय कभी सत्ता के काफी करीब थे। एक बार तो सरकार बचाने और बहुमत जुटाने को लेकर उनकी खूब चर्चा हुई थी। बताया जा रहा है कि 2000 में समता पार्टी ने सुनील पांडेय को भोजपुर के पीरो विधानसभा क्षेत्र से टिकट दिया था। उन्होंने आरजेडी के प्रत्याशी काशीनाथ को हराया था। उस चुनाव में किसी पार्टी या गठबंधन को बहुमत नहीं मिला था। समता पार्टी का बीजेपी से गठबंधन था। नीतीश कुमार ने पहली बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। सुनील पांडेय की ओर से बाहुबली राजन तिवारी, मुन्ना शुक्ला, रामा सिंह, अनंत सिंह, धूमल सिंह और मोकामा के सूरजभान जैसे निर्दलीय बाहुबलियों की फौज को नीतीश कुमार के खेमे में खड़ा कर दिया था। तब सुनील पांडेय का कद बहुत बढ़ गया था।
राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस ने जब ऐलान किया है कि वह 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में राज्य की सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे तब बीजेपी की ओर से प्रतिक्रिया आई। उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि यह लोकतंत्र की खूबसूरती है कि सब लोग दावेदारी करते हैं, लेकिन नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में मिलकर ही लड़ते हैं। वहीं तरारी विधानसभा में होने वाले उपचुनाव को लेकर पूछे गए सवाल पर विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि हम लोग मिलकर लड़ते हैं। एनडीए गठबंधन इसका फैसला करेगा। उपमुख्यमंत्री सह जिला मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने कार्यकर्ताओं से कहा कि लगातार तीसरी बार देश की जनता ने एनडीए गठबंधन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर विश्वास जताते हुए केंद्र में सरकार बनवाई। कार्यकर्ताओं में उत्साह भरते हुए उपमुख्यमंत्री ने कहा कि आज देश आगे बढ़ चुका है। उन्होंने कहा कि बिहार को विकसित बनाने के लिए केंद्र सरकार की मदद से डबल इंजन की सरकार कार्य कर रही है। विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि विकास के लिए प्रधानमंत्री ने बिहार को 70 हजार करोड़ रुपये का विशेष पैकेज दिया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस, आरजेडी, माले की ओर से सदन के अंदर अपराधीकरण और सदन के बाहर अपराध पर बल दिया जा रहा है, लेकिन बिहार की सुशासन वाली सरकार उनके मंसूबों को पूरा नहीं होने देगी। बिहार में जंगलराज की पुनरावृत्ति नहीं होगी।
इस बीच पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस ने अपने भतीजे प्रिंस राज के साथ बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से दिल्ली में मुलाकात की है। जेपी नड्डा ने तस्वीर शेयर करते हुए एक्स पर लिखा है, एनडीए में हमारे सहयोगी एवं रालोजपा के प्रमुख पशुपति पारस जी से नई दिल्ली में आवास पर मुलाकात की। एनडीए सदस्य के नाते पशुपति जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में लगातार अच्छे कार्य किए। आने वाले चुनाव में भी हमारा गठबंधन मजबूती से बना रहेगा। (हिफी)
(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)