राजनीतिलेखक की कलम

क्या राहुल कश्मीर में उठा रहे जोखिम

 

लगभग एक दशक की प्रतीक्षा के बाद जम्मू-कश्मीर में विधानसभा का चुनाव हो रहा है। इस बीच जम्मू-कश्मीर को केन्द्रशासित प्रदेश बना दिया गया है और दिल्ली की तरह उपराज्यपाल के पास ही ज्यादातर अधिकार रहेंगे। इसके बावजूद विपक्षी दल भी पूरे उत्साह के साथ चुनाव मैदान में उतरे हैं। कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस के बीच चुनावी गठबंधन हो गया है। राजनीतिक गलियारे में चर्चा है कि कहीं राहुल गांधी के लिए यह समझौता जोखिम भरा तो नहीं साबित होगा? इसका संकेत समझौते से पहले ही मिल गया है। कांग्रेस चाहती थी कि जम्मू-कश्मीर मंे भी विपक्षी दलों का ‘इंडिया; गठबंधन बना रहे। इंडिया गठबंधन में पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की पीडीपी भी शामिल है। कांग्रेस पीडीपी के साथ ही नेशनल कांफ्रेंस (एनसी) से गठबंधन करके चुनाव लड़ना चाहती थी लेकिन उमर अब्दुल्ला ने साफ-साफ कहा कि पीडीपी भाजपा के साथ सरकार बना चुकी है, इसलिए उनको गठबंधन मंे साथ नहीं लिया जा सकता है। इस तरह कांग्रेस को नेशनल कांफ्रेंस के दबाव में काम करना पड़ सकता है। एनसी नेता डा. फारुक अब्दुल्ला पाकिस्तान से वार्ता की वकालत करते रहते हैं और कश्मीर में अनुच्छेद 370 की वापसी का वादा जनता से कर रहे हैं। ये दोनों बातें  कांग्रेस को असहज स्थिति में डाल सकती हैं। पिछली बार कांग्रेस को लोकसभा चुनाव में 99 सांसद इसलिए मिले क्योंकि पार्टी ने अपना चेहरा मुस्लिम समर्थक नहीं बनने दिया। हालांकि भाजपा ने बहुत प्रयास किये थे लेकिन पार्टी के नेता हिन्दुओं के पक्ष में खड़े दिखाई दिये। राहुल गांधी मंदिरों की परिक्रमा कर रहे थे। अब फारुख अब्दुल्ला जब पाकिस्तान का राग अलापेंगे तब कांग्रेस उसका खुलकर विरोध कैसे करेगी और भाजपा इसे चुनाव में मुद्दा बनाएगी।

कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) में जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव के लिए गठबंधन हो गया है। नेकां प्रमुख डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने गुपकार स्थित अपने आवास पर राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के साथ करीब 70 मिनट तक चली बैठक के बाद यह घोषणा की।

डॉ. फारूक ने बैठक के बाद पत्रकारों से कहा कि सौहार्दपूर्ण माहौल में हमारी अच्छी बैठक हुई। भगवान ने चाहा तो यह गठबंधन सुचारु रूप से चलेगा। उन्होंने कहा, सभी 90 विधानसभा सीटों पर सहमति बन चुकी है। फारूक ने कहा कि कांग्रेस और नेकां मिलकर चुनाव लड़ेंगे। सीपीआई (एम) के तारिगामी भी हमारे साथ हैं। मुझे उम्मीद है कि हमारे लोग भी साथ हैं और हम जनता के जीवन को बेहतर बनाने के लिए भारी बहुमत से जीतेंगे। अब्दुल्ला ने उम्मीद जताई कि सभी शक्तियों के साथ जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल किया जाएगा। उन्होंने कहा, राज्य का दर्जा हम सभी के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इस राज्य ने बुरे दिन देखे हैं और हमें उम्मीद है कि यह अपनी पूरी शक्तियों के साथ बहाल होगा। इसके लिए हम इंडिया गठंधन के साथ खड़े हैं।

नेकां अध्यक्ष ने कहा कि दोनों पार्टियों के बीच न्यूनतम साझा कार्यक्रम का कोई सवाल ही नहीं है। हमारा साझा कार्यक्रम देश में मौजूद विभाजनकारी ताकतों को हराने के लिए चुनाव लड़ना है। यह पूछे जाने पर कि क्या चुनाव पूर्व या गठबंधन के बाद पीडीपी के लिए कोई जगह है, उन्होंने कहा, हमें पहले चुनाव देखने दीजिए, फिर हम उन चीजों पर गौर करेंगे। सीट बंटवारे पर फारूक ने कुछ दिन इंतजार करने के लिए कहा। उन्होंने कहा, पहले चरण से पहले सब कुछ सामने आ जाएगा। अब्दुल्ला ने इस सवाल का जवाब देने से इनकार कर दिया कि वह चुनाव लड़ेंगे या नहीं। उन्होंने कहा कि वह बहुत खुश हैं कि कांग्रेस नेतृत्व के साथ बैठक सौहार्दपूर्ण माहौल में हुई और वे देश को मजबूत बनाने के लिए निकले हैं।

इस प्रकार कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी के जम्मू-कश्मीर के दौरे ने असर दिखाया। आखिरकार जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस, नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) और सीपीएम गठबंधन का ऐलान हो गया। हालांकि, पीडीपी को लेकर तस्वीर अब तक साफ नहीं हो सकी। इससे पहले पर्दे के पीछे कांग्रेस और एनसी के नेता लगातार गठबंधन को लेकर संपर्क बनाये हुए थे। श्रीनगर में रात को राहुल और खरगे ने लाल चैक जाकर वाजवान और आइसक्रीम खाकर लुत्फ उठाया। शायद संकेत दे रहे थे कि सियासी मौसम सही दिशा में है। फिर सुबह होते-होते कार्यकर्ताओं और नेताओं के बीच राहुल गांधी ने ऐलान कर दिया कि गठबंधन तो होगा और कार्यकर्ताओं का सम्मान भी रखा जाएगा। इसके बाद खरगे-राहुल टीम के साथ सीधे फारुक अब्दुल्ला के घर पहुंचे, जहां उमर अब्दुल्ला भी मौजूद थे। आनन-फानन में शुक्रवार सुबह साढ़े 11 बजे सुबह जम्मू-कश्मीर में 10 उम्मीदवारों के नामों पर चर्चा के लिए स्क्रीनिंग कमेटी की और उसी शाम नाम फाइनल करने के लिए 3 बजे केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक बुला ली गयी, जबकि पहले चरण में कुल 24 सीटें हैं। उधर, श्रीनगर में एक घंटे की मुलाकात की तस्वीरों ने शायद वही बयान कर दिया था, जो कुछ देर बाद फारूक अब्दुल्ला ने ऐलान किया। फारुख अब्दुल्ला ने कहा कि नेशनल कॉन्फ्रेंस, कांग्रेस और सीपीएम के बीच गठबंधन हो गया है। पीडीपी के सवाल पर बोले कि हमारे दरवाजे किसी के लिए बंद नहीं हैं।

सूत्रों के मुताबिक एनसी के उमर अब्दुल्ला कांग्रेस को 90 में से 25-30 सीटें देने को तैयार थे। वहीं, कांग्रेस 90 में से 40 सीटें मांग रही थी। ऐसे कांग्रेस को 35 के आस-पास सीटें मिल सकती है। साथ ही एक सीट सीपीएम के यूसुफ तारिगामी को दी जाएगी। ये तो लाजमी है कि कांग्रेस जम्मू में तो एनसी श्रीनगर में ज्यादा सीटें लड़ेंगे। कांग्रेस चाहती है कि इंडिया गठबंधन बना रहे इसलिए पीडीपी को शामिल किया जाए, लेकिन उमर अब्दुल्ला ने कांग्रेस को दो-टूक कहा कि बीजेपी के साथ सरकार बनाने के बाद महबूबा मुफ्ती डिस्क्रेडिट हो चुकीं हैं। ऐसे में कांग्रेस ने महबूबा मुफ्ती से अपनी बेटी इल्तजा को आगे करने को कहा, जो महबूबा ने माना। अब कांग्रेस ने एनसी से कहा है कि, महबूबा के बजाय इल्तजा पर बात करिये। उमर अब्दुल्ला इल्तजा के नाम पर भी पीडीपी के साथ नहीं जाना चाहते, लेकिन फारुख अब्दुल्ला ने इल्तजा को लेकर कांग्रेस को सकारात्मक संकेत दिए हैं।

तीखे बयान बयान शुरू हो गये हैं। डा. फारूक अब्दुल्ला ने दावा किया है कि कोई भी कश्मीरी पंडित अब कभी भी कश्मीर नहीं लौटेगा। (हिफी)

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)

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