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अपराध की विकसित प्रकृति से निपटने के लिए कानून: गोविंद मोहन

नयी दिल्ली। केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन ने उपनिवेशवाद की बेड़ियों को तोड़ने के उद्देश्य से कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लिए समकालीन और प्रासंगिक न्यायप्रणाली की आवश्यकता पर बल दिया है। श्री मोहन ने पुलिस अनुसंधान और विकास ब्यूरो के यहां स्थित मुख्यालय में 54वें स्थापना दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में हिस्सा लिया। गृह सचिव ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा दिए गए पंच प्रण को ध्यान में रखते हुए उपनिवेशवाद की बेड़ियों को तोड़ने और अपराध की विकसित प्रकृति से निपटने के लिए कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लिए समकालीन और प्रासंगिक न्यायप्रणाली की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। गृह सचिव ने कहा कि नए आपराधिक कानून पीड़ित-केंद्रित हैं और इन कानूनों का उद्देश्य सजा नहीं बल्कि न्याय देना है।
केंद्रीय गृह सचिव ने नये आपराधिक कानूनों की प्रमुख विशेषताओं और विभिन्न नए प्रावधानों, विशेष रूप से नागरिक अनुकूल प्रावधानों, जैसे कि जीरो एफ आई आर और ई एफ आई आर पर प्रकाश डाला। उन्होंने सजा के रूप में सामुदायिक सेवा की शुरूआत और पहली बार अपराध करने वालों के प्रति उदार व्यवहार जैसे प्रावधानों का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि नए कानूनों में संगठित अपराध और आतंकवाद को परिभाषित करने की शुरूआत हुई है, नए दंडों को परिभाषित किया गया है, महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों से निपटने पर जोर दिया गया है और साक्ष्य संग्रह तथा उनकी जांच के प्रति अधिक वैज्ञानिक दृष्टिकोण जैसे कई नए प्रावधान भी पेश किए गए हैं।
श्री मोहन ने कहा कि इन कानूनों से फोरेंसिक का अधिक उपयोग, जांच प्रक्रिया डिजिटलीकरण, न्यायिक प्रक्रिया की समयसीमा निर्धारित करने के साथ ही पारदर्शिता, जवाबदेही और समय पर निवारण के लिए विभिन्न प्रक्रियाओं को बेहतर बनाने के प्रावधान भी शामिल किए गए हैं। उन्होंने कहा कि भारत को विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने के लिए प्रभावी पुलिसिंग, प्रभावी कानून एवं व्यवस्था तथा अपराध एवं अपराधियों के विरुद्ध प्रभावी कार्रवाई आवश्यक है। पुलिस आधुनिकीकरण एवं उन्नयन में ब्यूरो की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है।

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