चाय उद्योग कर रहा कई चुनौतियों का सामना

चाय उद्योग में व्यापारियों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। कोरोना माहमारी के बाद चाय के निर्यात पर काफी असर चाय के निर्यात पर काफी असर हुआ था जिसमें धीमी गति से सुधार हो रहा है। इसके अलावा घरेलू खपत में होने वाली वृद्धि भी धीमी है और खाद्य मुद्रास्फीति बढ़ रही है।
फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया टी ट्रेडर्स एसोसिएशन के अधिकारी ने चाय उद्योग में सामने आ रही चिंताओं के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि चाय उत्पादक संघ और टी बोर्ड इंडिया देश में धीमी गति से वृद्धि हो रही है।
एफएआईटीटीए के अध्यक्ष संजय शाह ने 10वीं वार्षिक आम बैठक में इसकी जानकारी दी। उन्होंने इस बैठक में कहा कि बाजार की स्थिति को हम खुदरा विक्रेताओं के रूप में बेहद पास से देख रहे हैं। जिसके कारण खाद्य मुद्रास्फीति बढ़ रही है। उपभोग पर इसका प्रतिकूल असे पड़ रहा है। संजय शाह ने गैर-आवश्यक वस्तुओं की मांग आवश्यक वस्तुओं में उच्च मुद्रास्फीति प्रतिकूल प्रभाव डालती है। ऐसे में उपभोक्ता कम कीमत वाले गैर-प्रीमियम उत्पादों का चुनाव करते हैं। अभी भी बाजार में चाय के दाम में वृद्धि करने को लेकर चिंताएं हैं।
कोरोना महामारी के बाद चाय की कीमतों में हल्का सुधार आया है। 2022 में,‘ऑर्थोडॉक्स’ यानी खुली चाय की कीमतों में वृद्धि हुई थी। जिसके पीछे का कारण भारत के पक्ष में श्रीलंका की स्थिति थी। साल 2022-23 में एक किलो चाय का दाम 180 रुपये था। लेकिन इसके बाद निर्यात में दबाव के कारण साल 2023 में चाय की कीमतों की वृद्धि में सुस्ती छा गई। फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया टी ट्रेडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष संजय शाह ने आगे कहा कि साल 2023 की स्थिति से साल 2024 में काफी बदलाव हुआ है। डस्ट चाय और उत्तर भारतीय संयुक्त चाय पत्ती के दाम में इस साल 46 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई है। पिछले साल चाय का 139.3 करोड़ किलोग्राम उत्पादन हुआ था। ये आंकड़ा साल 2022 में 136.6 करोड़ किलो था।